गया:बिहार के गया में प्राकृतिक गुलाल काफी मात्रा में बनाए जा रहे हैं. बोधगया में जीविका की महिलाएं अरारोट से प्राकृतिक गुलाल (Arrowroot Gulal in Gaya ) बना रही है. होली के पर्व पर महिलाएं इस तरह के गुलाल बनाने में जुटी हुई हैं. महिलाओं का कहना है कि आरारोट से बनी गुलाल नुकसानदेह नहीं होती है. इस गुलाल का निर्माण जीविका संस्था की महिलाएं कर रही है.
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जीविका संस्था की बना रही गुलालः जीविका संस्था की महिलाओं द्वारा अरारोट से गुलाल बनाया जा रहा है. संस्था से जुड़ी महिलाएं दिन- रात गुलाल बनाने में जुटी हुई है. होली का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे ही प्राकृतिक गुलाल की डिमांड बढ़ती जा रही है. डिमांड ज्यादा आने से आजीविका की महिलाएं काफी उत्साहित हैं.
अरारोट से बन रहा प्राकृतिक गुलालः बोधगया अंतर्गत भागलपुर गांव में आजीविका की महिलाएं गुलाल बनाकर खुद और अपने परिवार के भविष्य को संवार रही है. इससे पहले इन महिलाओं के पास कोई काम नहीं था. पहली बार आजीविका संस्था से जुड़ी और फिर अरारोट से गुलाल बनाने का काम शुरू हुआ है. इसमें अच्छी बचत भी हो जा रही है.
ऊपर से आरारोट का गुलाल बनाने का आया है निर्देश:इस संबंध में आजीविका से जुड़ी महिला रिया देवी बताती है, कि ऊपर से निर्देश आया था. इसके बाद आजीविका में पहली बार अरारोट से गुलाल तैयार किया जा रहा है. गुलाल को हम लोग मार्केट में बिक्री भी करवा रहे हैं. इसकी डिमांड काफी ज्यादा आ रही है, जिससे व्यापक पैमाने पर इसे बनाने का काम हो रहा है. महिलाएं समूह में बैठकर प्राकृतिक गुलाल को बनाने में जुटी हुई हैं. होली के दिन नजदीक आते ही अरारोट से बनने वाले प्राकृतिक गुलाल की डिमांड काफी बढी हुई है.
"ऊपर से निर्देश आया था. इसके बाद आजीविका में पहली बार अरारोट से गुलाल तैयार किया जा रहा है. गुलाल को हम लोग मार्केट में बिक्री भी करवा रहे हैं. इसकी डिमांड काफी ज्यादा आ रही है, जिससे व्यापक पैमाने पर इसे बनाने का काम हो रहा है" - रिया देवी