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गया: प्रशासन ने मुंह मोड़ा तो गांव वालों ने बनाया क्वारंटीन सेंटर, प्रवासी को 14 दिन किया जाता है आइसोलेट - क्वारंटीन सेंटर बनाने में नहीं की मदद

एक गांव में एक भी कोरोना मरीज नहीं है. इसका श्रेय ग्रामीणों को जाता है. ग्रमीणों ने क्वारंटीन सेंटर बनाया है जहां पर प्रवासी कामगारों को 14 दिन के लिए आइसोलेट किया जाता है. जिससे गांव में कोरोना नहीं फैला है.

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Published : May 20, 2021, 2:26 PM IST

Updated : May 20, 2021, 5:28 PM IST

गया: जिले के एक गांव में एक भी कोरोना के मरीज नहीं है. इसके पीछे सरकार का प्रयास या व्यवस्था नहीं है बल्कि ग्रामीणों की सजगता है. ग्रामीणों ने गांव से बाहर सरकारी स्कूल प्रवासी कामगारों के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाया है जहां मजदूर को कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने तक क्वरंटाइन रहना पड़ता है. ग्रामीणों की एक पहल से गांव अभी तक संक्रमित होने से बचा है.

ये भी पढ़ें- Bihar Corona Update: संक्रमण दर घटकर हुआ 4.32 फीसदी, 3 दिनों में 311 की मौत

गांव संक्रमित होने से बचा
दरअसल गया नगर निगम के वार्ड नं 46 के अंतर्गत केंदुआ गांव है. इस गांव में अभी तक एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है. ग्रामीणों ने पिछले साल सरकार की पहल पर क्वारंटीन सेंटर की उपयोगिता को देख गांव को कोरोना से बचाने के लिए ग्रामीण युवाओं ने मिलकर क्वारंटीन सेंटर बनाया है. यह क्वारंटीन सेंटर एक सरकारी स्कूल के एक रूम में है जहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं.

देखें वीडियो

केंदुआ गांव के ग्रामीण चंदन लाल बताते है कि गांव में कोरोना प्रवासी मजदूरों से फैल रहा है. हमलोग ग्रामीण कोरोना की दूसरी लहर आने के साथ ही फैसला किये की गांव में प्रवासी मजदूर को क्वारंटीन सेंटर में रखा जाएगा. जिसके लिए सरकारी स्कूल का चयनित किया गया. इस स्कूल में एक रूम बुनियादी सारी सुविधाएं उपलब्ध है. खाना और अन्य जरूरत के सामान उनके घर आता है जब उनका कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आता है तब उनको गांव में जाने की अनुमति मिलती है. अगर किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव या कोरोना के लक्षण दिखता है तो उन्हे क्वारंटीन सेंटर में आइसोलेट होना पड़ता है. अभी तक इस क्वारंटीन सेंटर में 12 लोग रहे है. सबसे ज्यादा एक व्यक्ति पांच दिन तक रहा है.

गांव वालों ने बनाया क्वारंटीन सेंटर
गांव वालों ने बनाया क्वारंटीन सेंटर

ये भी पढ़ें- दर्द-ए-मोहब्बत! पता चल गया...सीएम नीतीश से गुहार लगाने के बाद भी GF से क्यों नहीं हो पाई शादी

गांव में एक भी कोरोना मरीज नहीं

गौरतलब है कि गांव की आबादी करीब चार हजार की है. गांव के लोग पूरी तरह से खेती पर निर्भर है और गांव में बुजुर्ग लोग टीकाकरण में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं. कई बुजुर्ग ऐसे भी हैं जो टीका का दोनों डोज ले चुके हैं. वही गांव में दो बार कोरोना जांच के लिए शिविर लग चुका है लेकिन एक भी व्यक्ति गांव में संक्रमित नहीं निकला है. वार्ड पार्षद प्रीति सिंह का भी कहना है कि दो बार गांव में कोरोना जांच का शिविर लग चुका है लेकिन गांव में एक भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव नहीं निकला है.

गया: जिले के एक गांव में एक भी कोरोना के मरीज नहीं है. इसके पीछे सरकार का प्रयास या व्यवस्था नहीं है बल्कि ग्रामीणों की सजगता है. ग्रामीणों ने गांव से बाहर सरकारी स्कूल प्रवासी कामगारों के लिए क्वारंटीन सेंटर बनाया है जहां मजदूर को कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने तक क्वरंटाइन रहना पड़ता है. ग्रामीणों की एक पहल से गांव अभी तक संक्रमित होने से बचा है.

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गांव संक्रमित होने से बचा
दरअसल गया नगर निगम के वार्ड नं 46 के अंतर्गत केंदुआ गांव है. इस गांव में अभी तक एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है. ग्रामीणों ने पिछले साल सरकार की पहल पर क्वारंटीन सेंटर की उपयोगिता को देख गांव को कोरोना से बचाने के लिए ग्रामीण युवाओं ने मिलकर क्वारंटीन सेंटर बनाया है. यह क्वारंटीन सेंटर एक सरकारी स्कूल के एक रूम में है जहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं.

देखें वीडियो

केंदुआ गांव के ग्रामीण चंदन लाल बताते है कि गांव में कोरोना प्रवासी मजदूरों से फैल रहा है. हमलोग ग्रामीण कोरोना की दूसरी लहर आने के साथ ही फैसला किये की गांव में प्रवासी मजदूर को क्वारंटीन सेंटर में रखा जाएगा. जिसके लिए सरकारी स्कूल का चयनित किया गया. इस स्कूल में एक रूम बुनियादी सारी सुविधाएं उपलब्ध है. खाना और अन्य जरूरत के सामान उनके घर आता है जब उनका कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आता है तब उनको गांव में जाने की अनुमति मिलती है. अगर किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव या कोरोना के लक्षण दिखता है तो उन्हे क्वारंटीन सेंटर में आइसोलेट होना पड़ता है. अभी तक इस क्वारंटीन सेंटर में 12 लोग रहे है. सबसे ज्यादा एक व्यक्ति पांच दिन तक रहा है.

गांव वालों ने बनाया क्वारंटीन सेंटर
गांव वालों ने बनाया क्वारंटीन सेंटर

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गांव में एक भी कोरोना मरीज नहीं

गौरतलब है कि गांव की आबादी करीब चार हजार की है. गांव के लोग पूरी तरह से खेती पर निर्भर है और गांव में बुजुर्ग लोग टीकाकरण में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं. कई बुजुर्ग ऐसे भी हैं जो टीका का दोनों डोज ले चुके हैं. वही गांव में दो बार कोरोना जांच के लिए शिविर लग चुका है लेकिन एक भी व्यक्ति गांव में संक्रमित नहीं निकला है. वार्ड पार्षद प्रीति सिंह का भी कहना है कि दो बार गांव में कोरोना जांच का शिविर लग चुका है लेकिन गांव में एक भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव नहीं निकला है.

Last Updated : May 20, 2021, 5:28 PM IST
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