गया: विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला को लेकर विभिन्न वेदियों पर पिंडादानियों की ओर से पिंडदान किया जा रहा है. वैसे तो गया में कई पिंडवेदियां बनाई गई है. जहां पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान करते हैं. लेकिन यहां रुक्मणी तालाब में तीन पिंडवेदियों पर एक-साथ पिंडदान होता है.
गौरतलब है कि रुक्मणी तालाब शहर के दक्षिणी क्षेत्र में है. ये तालाब ब्रह्ययोनी पहाड़ की तलहटी में स्थित है. रुक्मणी तालाब के पास पिंडदान करने से तीन पिंडवेदियों पर एक-साथ पिंडदान का कर्मकांड पूरा हो जाता है.
पिंडदान करने के बाद है गोदान का विधान
पुरोहित संदीप शास्त्री बताते हैं कि पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां पिंडदान करने का बहुत महत्व है. यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. उन्होंने कहा कि भगवान ब्रह्मा ने यहीं पर यज्ञ करने के बाद गौदान किया था. इसलिए यहां पिंडदान करने के बाद गौदान का विधान है. वहीं, कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने राक्षसों का वध करके यहीं पर गदा धोया था और गदा को रखा था. इसलिए यहां गदालोल पिंडवेदी भी विराजमान है.
पितृपक्ष का महत्व
पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि अगर पितृ नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी खुशहाल नहीं रहता है. उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पूर्णिमा से अमावस्या के ये 15 दिन पितरों के कहे जाते हैं. इन 15 दिनों में पितरों को याद किया जाता है और उनका तर्पण किया जाता है. महाभारत के पांच पांडव में भीम ने यहां पिंडदान करने के बाद अपने अंगूठे से पत्थर को दबाया था. इसलिए यहां भीम वेदी भी विराजमान है. इन तीनों वेदियों पर एक साथ पिंडदान की प्रक्रिया संपन्न की जाती है. ऐसा माना जाता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
28 सितंबर तक मनाया जायेगा पितृ पक्ष
पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किये जाने वाले श्राद्ध को पितृ पक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है. इस साल 14 से 28 सितंबर तक श्राद्धपक्ष मनाया जा रहा है. बताया जाता है कि जिन घरों में पितरों को याद किया जाता है. वहां हमेशा खुशहाली रहती है. इसलिए पितृ पक्ष में पृथ्वी लोक में आए हुए पितरों का तर्पण किया जाता है. पितृ पक्ष के अवसर पर लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण कर रहे हैं.