पटना/गया: कोरोना महामारी के चलते पिछले दो दिनों से विष्णु श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए शवों की कतार लगी हुई थी. सामान्य दिनों में 15 से 20 शव यहां पहुंचते थे, लेकिन कोरोना के चलते एक दिन में 100 से अधिक शव मसान पर पहुंच रहे थे. इतनी संख्या में शव आने से गया मसान घाट में लकड़ियों की किल्लत हो गई. लकड़ी झारखंड और लोकल जंगलों से जुटाई जाने लगी.
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''दो दिन पहले तक शव की संख्या सामान्य दिनों से चार गुना अधिक थी. ऐसे में श्मशान घाट पर लकड़ी घट गई थी. हम लोगों ने मिलकर एक दिन में 100 से अधिक शवदाह करने के लिए लकड़ी उपलब्ध कराई थी. वैसे तो लकड़ी बंगाल से आती है, लेकिन लकड़ी संकट को देखते हुए गया के जंगल और झारखंड से लकड़ी मंगवाई गई थी.''- रंजीत सिंह, लकड़ी विक्रेता
श्मशान घाट पर दोगुना हुई चिताएं, लकड़ी भी महंगी
पटना में भी श्मशान घाट पर शवों की संख्या में एकाएक दोगुना का इजाफा हो गया है. शवों की संख्या बढ़ने से अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी की कीमत में भी काफी उछाल आई है. साथ ही श्मशान घाट पर परिजनों व रिश्तेदारों के दाह संस्कार में आए लोगों को होटलों में पहले की अपेक्षा भोजन भी महंगा मिलने लगा है. घाट पर प्रतिदिन अधिकतम 50 चिताएं जलती थीं, वहीं अब इसका आंकड़ा 100 के करीब पहुंच गया है.
बंगाल से लाई जा रही लकड़ियां
बता दें कि नगर निगम ने बिहार से बाहर की लकड़ियों पर अंतिम संस्कार कराने का फैसला किया था. इसके लिए बंगाल और झारखंड से लकड़ियां मंगाई गई है. पटना के गुल्बी घाट पर 20 टन और खाजेकलां घाट पर 250 टन लकड़ी की व्यवस्था की गई है. वहीं, 50 टन और लकड़ी मंगाई जानी है. अब इन्हीं बाहर की लकड़ियों पर कोविड से मरने वालों का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
लकड़ियों के वसूल रहे मनमाने दाम
ईटीवी भारत ने ऑपरेशन मसान के तहत जानकारी इकट्ठा की तो पता चला कि सामान्य दिनों में 5 हजार में शव जल जाता था, लेकिन इन दिनों 10 हजार से लेकर 20 हजार तक एक शव जलाने के लिए राशि खर्च करना पड़ रही है. इस लूट पर गया नगर निगम भी जुटा हुआ है. गया नगर निगम ने एक शव के अंतिम संस्कार के लिए 9 हजार रुपए तय किए हैं.
कोरोना काल में जुटाई जा रही लकड़ी
दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से दो दिन पहले विष्णु श्मशान घाट में शवदाह के लिए जगह नहीं थी. श्मशान घाट के सामने फाल्गु नदी में हर तरफ शव जल रहे थे. दो दिन पहले एक दिन में औसतन 70 शव आते थे, जिसमें से 35 से 40 कोरोना से मृत्यु वाले शव रहते थे. इतनी संख्या में शव आने से गया श्मशान घाट में लकड़ियों की किल्लत हो गई थी. लकड़ी झारखंड और लोकल जंगलों से जुटाई गई.
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''शवदाह के लिए जितनी भी साम्रगी की जरूरत है, सभी यहां उपलब्ध है. दो दिन सबसे अधिक शव आए थे. इन दो दिनों में लकड़ी मनपसंद नहीं मिल रही थी, जो लकड़ी थी उसी में शवदाह किया जा रहा था. अमूमन सामान्य दिनों में एक शवदाह करने में 5 हजार का खर्च आता है, जिसमे तीन हजार के लगभग लकड़ी ही आती है.''- सन्नी कुमार, लकड़ी-कफन विक्रेता
शवदाह के लिए लकड़ी के दाम
- बेल की लकड़ी- 600 रुपए/40 किलोग्राम
- आम की लकड़ी- 350 से 400 रुपए/40 किलोग्राम
- सखुआ की लकड़ी- 500 रुपए/40 किलोग्राम
- देवदार- 100 रुपए/ किलोग्राम
हैसियत देखकर तय हो रहे दाम
इसके अलावा कफन 10 रुपए से लेकर 50 रुपए, घी 50 रुपए से लेकर 200 रुपए और धुनि 150 रुपये प्रति किलोग्राम तक उपलब्ध है. ये पूरी जानकारी विष्णु मसान घाट के दुकानदारों ने दी है. लेकिन, हकीकत में आदमी की हैसियत को देखकर लकड़ी से लेकर कफन तक के दाम तय होते हैं. अभी एक शव जलाने में 10 हजार से 20 हजार तक का खर्च हो रहा है.
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गया नगर निगम भी लूट में शामिल
वहीं, इस खर्च पर गया नगर निगम ने मुहर लगा दी है. गया नगर निगम ने क्षेत्र में कोविड से मरने वाले लोगों का शवदाह मुफ्त में करेगा. इसके लिए गया नगर निगम ने एक स्टॉल बनाया है. उस स्टॉल में शवदाह में शामिल होने वाली साम्रगी की राशि दोगुनी लिखी गई हैं. जहां 5 हजार में शवदाह हो जाता है. वहीं, गया नगर निगम ने 9 हजार दाम तय किए हैं. गया नगर निगम के दामों का जिक्र कर दुकानदार ग्राहकों से अधिक पैसा ले रहे हैं.