ETV Bharat / state

आधुनिक युग में भी विष्णुपद मंदिर में स्थापित है धूप घड़ी, तीर्थयात्री होते हैं आकर्षित - sunshine clock in Vishnupad temple

पहले जब लोगों के पास घड़ी नहीं थी तो लोग धूप देखकर ही समय का अंदाजा लगाया करते थे. 160 साल पहले विष्णुपद मंदिर परिसर में धूप घड़ी लगाई गई थी. जो आज भी समय बता रही है. यहां आने वाले लोग घड़ी को जरूर देखते हैं.

160 साल पुरानी धूप घड़ी
160 साल पुरानी धूप घड़ी
author img

By

Published : Dec 25, 2020, 2:28 PM IST

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया जी में 160 साल पहले विष्णुपद मंदिर प्रांगण में धूप घड़ी लगाया गया था. तब से ये घड़ी अनवरत बिना सुई और बिना बैटरी समय बता रही है. गया पाल पंडा इस घड़ी का समय देख भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए प्रयोग में लाते थे. अब जानकारी के अभाव में कई तीर्थयात्री इस घड़ी की बड़ी शिद्दत से पूजा-अर्चना करते हैं. नई पीढ़ी के लोग इस धूप घड़ी के साथ सेल्फी लेते दिखाई देते हैं.

160 वर्ष पूर्व लगाई गई थी घड़ी
दरअसल मिस्र की सभ्यता से शुरू हुई धूप घड़ी अब तक भारत के कई हिस्सों में सुरक्षित है. गया के विष्णुपद मन्दिर में 160 वर्ष पूर्व लगायी गयी धूप घड़ी आज भी सुरक्षित है. धूप घड़ी बिना किसी ऊर्जा के अनवरत समय बता रही है. ये घड़ी आस्था के साथ-साथ लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. धूप घड़ी विष्णुपद मंदिर के प्रांगण में सोलह वेदी के निकट जमीन से तीन फीट ऊंची गोलाकार आकार के एक खंभा पर स्थापित है. इसके ऊपरी हिस्से पर पीतल का एक नुकीला सा मेटल लगा है. गोलाकार पर समय की गणना के लिए अंक भी अंकित हैं, जो सूर्य की रोशनी के हिसाब से सटीक समय बताती है.

देखें रिपोर्ट.

धूप की परछाई से समय की गणना
अपने भाई के साथ विष्णुपद मंदिर घूमने आए प्रियांशु प्रतीक वर्मा ने बताया कि मंदिर प्रांगण में बहुत सालों से ये धूप घड़ी स्थापित है. पुराने जमाने में जब घड़ियां नहीं थी तो लोग धूप घड़ी दिन के समय का पता करता थे. गोलाकार पत्थर के ऊपर में लगे मेटल से सूर्य की किरणें मिलती हैं और परछाई बनती हैं. उसी परछाई के सहारे समय की गणना की जाती थी. ये एक धरोहर है जिससे संरक्षित रखा गया है. लेकिन इसकी जानकारी को प्रदर्शित करना चाहिए जिससे नए पीढ़ी को अतित की जानकारी होगी.

160 साल पुरानी धूप घड़ी
160 साल पुरानी धूप घड़ी

पंडित हीरालाल भाई ने स्थापित की थी घड़ी
विष्णुपद प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्य शंभु लाल बीठल ने बताया की विक्रम संवत 1911 में पंडित हीरालाल भाई के माध्यम से विष्णुपद मंदिर परिसर में धूप घड़ी को स्थापित किया था. तब यह घड़ी विष्णुपद में भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए समय की जानकारी सटीक पता करने के लिए उपयोग किया जाता था. इस घड़ी का उपयोग समय देखने के लिए नहीं होता है. लेकिन ये धरोहर है इसलिए इसे संरक्षित करके रखा गया है.

160 साल पुरानी धूप घड़ी
160 साल पुरानी धूप घड़ी

पूजा-अर्चना से मिटा अंक
विष्णुपद मंदिर में स्थित धूप घड़ी आज के समय में दिन के 9:00 बजे से लेकर दोपहर 3:30 बजे तक ही सटीक समय की जानकारी देती है. क्योंकि इसी 6 घंटे सूरज की धूप उस घड़ी पर सीधे तौर पर पड़ती है. विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति धूप घड़ी को धरोहर मानती है. लेकिन धूप घड़ी की मेंटेनेंस थोड़ा भी नहीं होता है. घड़ी पर पूजा-अर्चना करने से घड़ी पर अंकित अंक कई स्थानों पर मिट गई है, जिसकी वजह से धरोहर घोषित हुआ तो घड़ी आज अपनी वास्तविक रूप से काफी दूर दिखती है.

160 साल पुरानी धूप घड़ी
160 साल पुरानी धूप घड़ी

गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया जी में 160 साल पहले विष्णुपद मंदिर प्रांगण में धूप घड़ी लगाया गया था. तब से ये घड़ी अनवरत बिना सुई और बिना बैटरी समय बता रही है. गया पाल पंडा इस घड़ी का समय देख भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए प्रयोग में लाते थे. अब जानकारी के अभाव में कई तीर्थयात्री इस घड़ी की बड़ी शिद्दत से पूजा-अर्चना करते हैं. नई पीढ़ी के लोग इस धूप घड़ी के साथ सेल्फी लेते दिखाई देते हैं.

160 वर्ष पूर्व लगाई गई थी घड़ी
दरअसल मिस्र की सभ्यता से शुरू हुई धूप घड़ी अब तक भारत के कई हिस्सों में सुरक्षित है. गया के विष्णुपद मन्दिर में 160 वर्ष पूर्व लगायी गयी धूप घड़ी आज भी सुरक्षित है. धूप घड़ी बिना किसी ऊर्जा के अनवरत समय बता रही है. ये घड़ी आस्था के साथ-साथ लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. धूप घड़ी विष्णुपद मंदिर के प्रांगण में सोलह वेदी के निकट जमीन से तीन फीट ऊंची गोलाकार आकार के एक खंभा पर स्थापित है. इसके ऊपरी हिस्से पर पीतल का एक नुकीला सा मेटल लगा है. गोलाकार पर समय की गणना के लिए अंक भी अंकित हैं, जो सूर्य की रोशनी के हिसाब से सटीक समय बताती है.

देखें रिपोर्ट.

धूप की परछाई से समय की गणना
अपने भाई के साथ विष्णुपद मंदिर घूमने आए प्रियांशु प्रतीक वर्मा ने बताया कि मंदिर प्रांगण में बहुत सालों से ये धूप घड़ी स्थापित है. पुराने जमाने में जब घड़ियां नहीं थी तो लोग धूप घड़ी दिन के समय का पता करता थे. गोलाकार पत्थर के ऊपर में लगे मेटल से सूर्य की किरणें मिलती हैं और परछाई बनती हैं. उसी परछाई के सहारे समय की गणना की जाती थी. ये एक धरोहर है जिससे संरक्षित रखा गया है. लेकिन इसकी जानकारी को प्रदर्शित करना चाहिए जिससे नए पीढ़ी को अतित की जानकारी होगी.

160 साल पुरानी धूप घड़ी
160 साल पुरानी धूप घड़ी

पंडित हीरालाल भाई ने स्थापित की थी घड़ी
विष्णुपद प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्य शंभु लाल बीठल ने बताया की विक्रम संवत 1911 में पंडित हीरालाल भाई के माध्यम से विष्णुपद मंदिर परिसर में धूप घड़ी को स्थापित किया था. तब यह घड़ी विष्णुपद में भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए समय की जानकारी सटीक पता करने के लिए उपयोग किया जाता था. इस घड़ी का उपयोग समय देखने के लिए नहीं होता है. लेकिन ये धरोहर है इसलिए इसे संरक्षित करके रखा गया है.

160 साल पुरानी धूप घड़ी
160 साल पुरानी धूप घड़ी

पूजा-अर्चना से मिटा अंक
विष्णुपद मंदिर में स्थित धूप घड़ी आज के समय में दिन के 9:00 बजे से लेकर दोपहर 3:30 बजे तक ही सटीक समय की जानकारी देती है. क्योंकि इसी 6 घंटे सूरज की धूप उस घड़ी पर सीधे तौर पर पड़ती है. विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति धूप घड़ी को धरोहर मानती है. लेकिन धूप घड़ी की मेंटेनेंस थोड़ा भी नहीं होता है. घड़ी पर पूजा-अर्चना करने से घड़ी पर अंकित अंक कई स्थानों पर मिट गई है, जिसकी वजह से धरोहर घोषित हुआ तो घड़ी आज अपनी वास्तविक रूप से काफी दूर दिखती है.

160 साल पुरानी धूप घड़ी
160 साल पुरानी धूप घड़ी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.