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मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब छोड़ गांव पहुंचा यह शख्स, किसानों की संवार रहा जिंदगी - गया में प्याज की खेती

बोधगया प्रखंड के अमवा गांव में मयंक 30 किसानों को मशरूम की खेती की जानकारी दे रहे हैं. इनका कहना है कि बिहार में खेती का बहुत स्कोप हैं. यदि यहां मशरूम की खेती की जाए तो किसानों को काफी फायदा होगा.

व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण
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Published : Oct 19, 2019, 7:11 AM IST

Updated : Oct 19, 2019, 10:10 AM IST

गया: जिले में इस साल किसानों को मौसम की दोहरी मार झेलनी पड़ी है. बाढ़ और सुखाड़ के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर आये दो दोस्त किसानों को व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं. अब तक पांच हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर आये दो दोस्त प्रभात और मयंक किसानों को मशरूम, प्याज और सहजन की खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं. इनका कहना है कि बिहार में खेती का बहुत स्कोप है. यदि यहां मशरूम की खेती की जाए तो किसानों को काफी फायदा होगा.

gaya
किसानों को व्यवसायिक खेती का दिया जा रहा प्रशिक्षण

प्याज की खेती से शुरूआत
इंजीनियर मयंक जैन ने बताया कि हमलोगों ने 2015 में पहली बार कोंच प्रखंड में 12 किसानों के साथ प्याज की खेती से शुरूआत की थी. इस दौरान किसानों को उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध कराया गया और आधुनिक तरीके से कम समय और कम लागत में खेती करने की प्रशिक्षण दिया गया.

gaya
किसानों को दी जा रही मशरूम की खेती की जानकारी

किसानों को व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण
बोधगया प्रखंड के अमवा गांव में मयंक 30 किसानों को मशरूम की खेती की जानकारी दे रहे हैं. प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं महिला किसान ने बताया कि ने हमलोग नगदी फसल करते हैं. पहले हम मशरूम के खेती नहीं करते थे. चूंकि अब इन दोनों ने हमें मशरूम की खेती से होने वाले मुनाफे के बारे में बताया है कि अब सभी मिलकर मशरूम की खेती करेंगे.

पेश है रिपोर्ट

मशरूम की खेती कर नुकसान की होगी भरपाई
किसान बताते हैं कि इस साल धान की फसल के बाद नगदी फसल भी बर्बाद हो गया. इससे काफी नुकसान हुआ है. दिल्ली से आए दो लड़के जिले के अति नक्सल प्रभावित इलाके में घूम-घूमकर ठंड के मौसम में मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. आगामी मौसम में मशरूम के खेती कर नुकसान की भरपाई करेंगे.

गया: जिले में इस साल किसानों को मौसम की दोहरी मार झेलनी पड़ी है. बाढ़ और सुखाड़ के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर आये दो दोस्त किसानों को व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं. अब तक पांच हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर आये दो दोस्त प्रभात और मयंक किसानों को मशरूम, प्याज और सहजन की खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं. इनका कहना है कि बिहार में खेती का बहुत स्कोप है. यदि यहां मशरूम की खेती की जाए तो किसानों को काफी फायदा होगा.

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किसानों को व्यवसायिक खेती का दिया जा रहा प्रशिक्षण

प्याज की खेती से शुरूआत
इंजीनियर मयंक जैन ने बताया कि हमलोगों ने 2015 में पहली बार कोंच प्रखंड में 12 किसानों के साथ प्याज की खेती से शुरूआत की थी. इस दौरान किसानों को उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध कराया गया और आधुनिक तरीके से कम समय और कम लागत में खेती करने की प्रशिक्षण दिया गया.

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किसानों को दी जा रही मशरूम की खेती की जानकारी

किसानों को व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण
बोधगया प्रखंड के अमवा गांव में मयंक 30 किसानों को मशरूम की खेती की जानकारी दे रहे हैं. प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं महिला किसान ने बताया कि ने हमलोग नगदी फसल करते हैं. पहले हम मशरूम के खेती नहीं करते थे. चूंकि अब इन दोनों ने हमें मशरूम की खेती से होने वाले मुनाफे के बारे में बताया है कि अब सभी मिलकर मशरूम की खेती करेंगे.

पेश है रिपोर्ट

मशरूम की खेती कर नुकसान की होगी भरपाई
किसान बताते हैं कि इस साल धान की फसल के बाद नगदी फसल भी बर्बाद हो गया. इससे काफी नुकसान हुआ है. दिल्ली से आए दो लड़के जिले के अति नक्सल प्रभावित इलाके में घूम-घूमकर ठंड के मौसम में मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. आगामी मौसम में मशरूम के खेती कर नुकसान की भरपाई करेंगे.

Intro:गया में इस वर्ष किसानों को मौसम के बेरुखी से दोहरी मार लगा, धान के रोपणी के वक़्त सुखाड़ पड़ गया और नगदी फसल के उपज के वक़्त भारी बारिश हो गया ,जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है। किसानों के इस नुकसान से भरपाई के लिए दिल्ली से इंजीनियरिंग के पढ़ाई कर दो दोस्त गया में किसानों को व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं। अब तक पांच हजार किसानों का प्रशिक्षण दे चुके हैं।


Body:प्राकृतिक ने गया के किसानों को पूरी तरह से कमर तोड़ दिया है किसान अब प्राकृतिक के मार से खेती करने से कतराने लगे हैं। गया के किसानों को धान के फसल के बाद नगदी फसल भी बर्बाद हो गया है। ऐसे में सरकार के तरफ देखने के बजाय गया के किसान इंजीनियरिंग के दो दोस्तों के जोड़ी द्वारा दिया गया व्यवासायिक खेती प्रशिक्षण प्राप्त कर मशरूम, प्याज और सहजन के खेती कर रहे हैं। दिल्ली में इंजीनियरिंग के पढ़ाई दो दोस्त प्रभात और मयंक एक साथ पढ़ाई करते थे दोनो दोस्तो ने पढ़ाई पूरी कर बिहार के अति सुखाड़ प्रभावित जिला गया के चयन कर यहां किसानों को व्यवसायिक खेती के करने के लिए प्रशिक्षण देने लगे। इन्होंने 2015 में पहली बार कोंच प्रखंड में 12 किसानों के साथ प्याज के खेती से शुरू किया। इन्होंने किसानों उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध कराया और आधुनिक तरीके से कम समय व कम लागत में खेती करने के प्रशिक्षण दिया। इनदोनो दोस्तो में अपना एक संस्था समर्थ बनाकर गया के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जाकर मशरूम और प्याज के खेती से अत्यधिक फायदा हो उसके लिए उन्होंने किसानों को प्रशिक्षण देते हैं। इनकी संस्था किसान जब खेती करना शुरू करता है उस वक़्त से लेकर फसल उपजने तक उसके बाद ये किसानों का बाजार मुहैया करवाते हैं। गया के बोधगया प्रखंड के अमवा गांव में दो दोस्तों से में एक दोस्त मयंक जो दिल्ली के रहनेवाले हैं वो इस गांव के 30 किसानों को मशरूम के खेती के जानकारी दे रहे थे। प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं आर्य सिन्हा ने बताया हमलोग नगदी फसल करते हैं हमलोग मशरूम के खेती नही करते थे। इनदोनो दोस्तो में गांव गांव में घूमकर मशरूम के खेती करने के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। इन्होंने कहा आप लोग खेती कीजिये सारे जरूरत के समान देगे साथ ही मशरूम जो उपजेगा उसे हम खरीदेगे। हमलोग 30 लोग हैं सभी लोग मशरूम का खेती करेगे। किसान श्याम देव प्रसाद ने बताया मैं मध्यवर्गीय किसान हू, इस वर्ष धान के फसल के बाद नगदी फसल भी बर्बाद हो गया है। दो लड़के दिल्ली से आये हैं वो दोनो ठंड के मौसम में मशरूम के खेती करने के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। आगामी मौसम में मशरूम के खेती कर नुकसान का भरपाई करेगे।


Conclusion:इंजीनियर मयंक जैन ने बताया हमलोग 2015 में गया में काम शुरू किया। शुरुआत में 12 किसानो के साथ काम शुरु किये अब पांच हजार किसान नौ प्रखंडो से हमसे जुड़े हैं। हमलोग व्यवसायिक खेती पर काम करते हैं। यहां किसान फसल उपजाते है लेकिन आधुनिक तरीके से और व्यवसायिक सोच के साथ खेती नही करते हैं। किसानों के उपज के साथ आय का कैसे बढ़ोतरी हो उस पर काम करते हैं। हमारी संस्था किसानों को प्रशिक्षण देती है उसके साथ उन्नत संसाधन और बाजार मुहैया करवाती है। गया जिला में सैकड़ों किसानों के जीवन मे परिवर्तन आया है। हमलोग तीन फसल प्याज ,मशरूम और सहजन के खेती पर काम करते हैं। इनका बाजार लोकल हैं। किसानों को हमलोग बाजार मुहैया करवाते हैं उनके फसल को उचित बाजार तक पहुँचे उनको अच्छी मुनाफा मिले।
Last Updated : Oct 19, 2019, 10:10 AM IST
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