गया: जिले में इस साल किसानों को मौसम की दोहरी मार झेलनी पड़ी है. बाढ़ और सुखाड़ के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर आये दो दोस्त किसानों को व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं. अब तक पांच हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर आये दो दोस्त प्रभात और मयंक किसानों को मशरूम, प्याज और सहजन की खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं. इनका कहना है कि बिहार में खेती का बहुत स्कोप है. यदि यहां मशरूम की खेती की जाए तो किसानों को काफी फायदा होगा.
प्याज की खेती से शुरूआत
इंजीनियर मयंक जैन ने बताया कि हमलोगों ने 2015 में पहली बार कोंच प्रखंड में 12 किसानों के साथ प्याज की खेती से शुरूआत की थी. इस दौरान किसानों को उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध कराया गया और आधुनिक तरीके से कम समय और कम लागत में खेती करने की प्रशिक्षण दिया गया.
किसानों को व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण
बोधगया प्रखंड के अमवा गांव में मयंक 30 किसानों को मशरूम की खेती की जानकारी दे रहे हैं. प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं महिला किसान ने बताया कि ने हमलोग नगदी फसल करते हैं. पहले हम मशरूम के खेती नहीं करते थे. चूंकि अब इन दोनों ने हमें मशरूम की खेती से होने वाले मुनाफे के बारे में बताया है कि अब सभी मिलकर मशरूम की खेती करेंगे.
मशरूम की खेती कर नुकसान की होगी भरपाई
किसान बताते हैं कि इस साल धान की फसल के बाद नगदी फसल भी बर्बाद हो गया. इससे काफी नुकसान हुआ है. दिल्ली से आए दो लड़के जिले के अति नक्सल प्रभावित इलाके में घूम-घूमकर ठंड के मौसम में मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. आगामी मौसम में मशरूम के खेती कर नुकसान की भरपाई करेंगे.