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Gaya News : रामेश्वरम-जम्मू के बाद गया में है स्फटिक शिवलिंग, भक्तों की आस्था- 'कपूर जलाने के बाद नजर आते हैं महादेव'

रामेश्वरम के बाद गया में स्फटिक शिवलिंग है. यहां के बारे में भक्तों की आस्था है कि कपूर जलाने के बाद इस अद्भुत शिवलिंग में भगवान शिव, माता पार्वती और बासुकीनाग नजर आते हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jul 5, 2023, 6:19 AM IST

गया के रामशिला मंदिर में स्थापित स्फटिक का शिवलिंग

गया: बिहार के गया में स्फटिक का शिवलिंग अति प्राचीन रामशिला मंदिर में स्थापित है. रामेश्वरम, जम्मू के बाद स्फटिक शिवलिंग गया में विराजमान हैं. गया के रामशिला पर्वत पर रामशिला मंदिर स्थित है, जिसमें यह स्फटिक का अद्भुत शिवलिंग विराजमान है. मान्यता है कि यह स्फटिक शिवलिंग रामायण कालीन है. स्फटिक शिवलिंग अद्भुत माना जाता है, क्योंकि पूजा करने के क्रम में भक्त जब कपूर की आरती करते हैं, तो इस स्फटिक के शिवलिंग में विभिन्न आकृतियां दिखती है.

ये भी पढ़ें : Rukmini Sarovar Gaya: द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने जिस तालाब को बनवाया था, वहां स्नान करने से होती है संतान सुख की प्राप्ति

18वीं शताब्दी में मंदिर का हुआ था जीर्णोद्धार : भक्तों की आस्था है, कि यह आकृति भगवान शिव, माता पर्वती, वासुकी नाग, चंद्रमा का होता है. वैसे यहां के पुजारी बताते हैं कि स्फटिक शिवलिंग में समस्त देवी देवताओं का वास है. यह रामायण कालीन बताया जाता है. वैसे 18 वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार टिकारी महाराज के द्वारा कराया गया था. यह मंदिर काफी अलौकिक माना जाता है. यहां विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित है. इस मंदिर में अति प्राचीन स्फटिक शिवलिंग के अलावे भगवान गणेश, कार्तिकेय, भगवान सूर्य, माता गौरी, भगवान विष्णु, बजरंगबली, भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण की भी प्रतिमाएं स्थापित है.

रामशिला मंंदिर में स्थापित स्फटिक का शिवलिंग
रामशिला मंंदिर में स्थापित स्फटिक का शिवलिंग
स्फटिक शिवलिंग कालसर्प योग में आती है शांति : मान्यता है कि यहां भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण आए थे. यहां स्थित रामकुंड सरोवर में स्नान भी किया था. स्फटिक के शिवलिंग के पूजन से मार्केश, कालसर्प योग की कुंडली में शांति आती है. इसे लेकर सालों भर यहां भक्त पहुंचते हैं. स्फटिक शिवलिंग का दर्शन करने से भक्तों की मन्नतें पूरी होती है. स्फटिक शिवलिंग में विभिन्न आकृतियों नजर आती है. भक्तों की आस्था है कि स्फटिक शिवलिंग में विभिन्न आकृतियां नजर आती है, जो भगवान शिव, माता पर्वती, बासुकीनाग की होती है. पूजा आरती के दौरान जब कपूर जलाया जाता है तो यह आकृतियां दिखती है.

भगवान राम ने किया था यहां पितरों का दान: रामशिला मंदिर के पुजारी लखन कुमार पांडे बताते हैं कि रामशिला मंदिर स्थित प्राचीन है. प्रभु रामचंद्र जी इस स्थान पर आए थे और अपने पितरों को पिंड दान किए थे. यहां विशिष्ट स्फटिक पत्थर का शिवलिंग स्थापित है, जो देश में गिने-चुने स्थानों पर है. रामेश्वरम, जम्मू के बाद यदा-कदा ही इस प्रकार का स्फटिक की शिवलिंग स्थापित है. गया में रामशिला मंदिर में स्फटिक शिवलिंग का पूजन करने से मन शीतल होता है. जिन पर मार्केश कालसर्प योग रहता है, वह यहां पूजन-दर्शन करने से दूर हो जाता है.

रामशिला मंंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति
रामशिला मंंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति

दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग : लखन कुमार पांडे बताते हैं कि भक्तों के कष्ट इस शिवलिंग के दर्शन करने से दूर होते हैं. इस बार सावन में दो माह भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण को लेकर आएंगे. यह स्फटिक शिवलिंग काफी अद्भुत है. स्फटिक शिवलिंग का दर्शन करने के लिए भारत के कोने कोने से लोग आते हैं. यहां विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमा है. कपूर से आरती के समय जो रोशनी फैलती है उसकी रोशनी जब स्फटिक शिवलिंग पर पड़ती है तो उसमें भगवान शिव, माता पर्वती, बासुकीनाग चंद्रमा नजर आते प्रतीत होते हैं. शिवलिंग के दर्शन करने के लिए काफी दूर दूर से लोग आते हैं. यहां से कई तरह की कथाएं जुड़ी हुई है.

"रामशिला मंदिर स्थित प्राचीन है. प्रभु रामचंद्र जी इस स्थान पर आए थे और अपने पितरों को पिंड दान किए थे. यहां विशिष्ट स्फटिक पत्थर का शिवलिंग स्थापित है, जो देश में गिने-चुने स्थानों पर है. रामेश्वरम, जम्मू के बाद यदा-कदा ही इस प्रकार का स्फटिक की शिवलिंग स्थापित है"- लखन कुमार पांडे, पुजारी व साधक, रामशिला मंदिर

गया के रामशिला मंदिर में स्थापित स्फटिक का शिवलिंग

गया: बिहार के गया में स्फटिक का शिवलिंग अति प्राचीन रामशिला मंदिर में स्थापित है. रामेश्वरम, जम्मू के बाद स्फटिक शिवलिंग गया में विराजमान हैं. गया के रामशिला पर्वत पर रामशिला मंदिर स्थित है, जिसमें यह स्फटिक का अद्भुत शिवलिंग विराजमान है. मान्यता है कि यह स्फटिक शिवलिंग रामायण कालीन है. स्फटिक शिवलिंग अद्भुत माना जाता है, क्योंकि पूजा करने के क्रम में भक्त जब कपूर की आरती करते हैं, तो इस स्फटिक के शिवलिंग में विभिन्न आकृतियां दिखती है.

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18वीं शताब्दी में मंदिर का हुआ था जीर्णोद्धार : भक्तों की आस्था है, कि यह आकृति भगवान शिव, माता पर्वती, वासुकी नाग, चंद्रमा का होता है. वैसे यहां के पुजारी बताते हैं कि स्फटिक शिवलिंग में समस्त देवी देवताओं का वास है. यह रामायण कालीन बताया जाता है. वैसे 18 वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार टिकारी महाराज के द्वारा कराया गया था. यह मंदिर काफी अलौकिक माना जाता है. यहां विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित है. इस मंदिर में अति प्राचीन स्फटिक शिवलिंग के अलावे भगवान गणेश, कार्तिकेय, भगवान सूर्य, माता गौरी, भगवान विष्णु, बजरंगबली, भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण की भी प्रतिमाएं स्थापित है.

रामशिला मंंदिर में स्थापित स्फटिक का शिवलिंग
रामशिला मंंदिर में स्थापित स्फटिक का शिवलिंग
स्फटिक शिवलिंग कालसर्प योग में आती है शांति : मान्यता है कि यहां भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण आए थे. यहां स्थित रामकुंड सरोवर में स्नान भी किया था. स्फटिक के शिवलिंग के पूजन से मार्केश, कालसर्प योग की कुंडली में शांति आती है. इसे लेकर सालों भर यहां भक्त पहुंचते हैं. स्फटिक शिवलिंग का दर्शन करने से भक्तों की मन्नतें पूरी होती है. स्फटिक शिवलिंग में विभिन्न आकृतियों नजर आती है. भक्तों की आस्था है कि स्फटिक शिवलिंग में विभिन्न आकृतियां नजर आती है, जो भगवान शिव, माता पर्वती, बासुकीनाग की होती है. पूजा आरती के दौरान जब कपूर जलाया जाता है तो यह आकृतियां दिखती है.

भगवान राम ने किया था यहां पितरों का दान: रामशिला मंदिर के पुजारी लखन कुमार पांडे बताते हैं कि रामशिला मंदिर स्थित प्राचीन है. प्रभु रामचंद्र जी इस स्थान पर आए थे और अपने पितरों को पिंड दान किए थे. यहां विशिष्ट स्फटिक पत्थर का शिवलिंग स्थापित है, जो देश में गिने-चुने स्थानों पर है. रामेश्वरम, जम्मू के बाद यदा-कदा ही इस प्रकार का स्फटिक की शिवलिंग स्थापित है. गया में रामशिला मंदिर में स्फटिक शिवलिंग का पूजन करने से मन शीतल होता है. जिन पर मार्केश कालसर्प योग रहता है, वह यहां पूजन-दर्शन करने से दूर हो जाता है.

रामशिला मंंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति
रामशिला मंंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति

दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग : लखन कुमार पांडे बताते हैं कि भक्तों के कष्ट इस शिवलिंग के दर्शन करने से दूर होते हैं. इस बार सावन में दो माह भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण को लेकर आएंगे. यह स्फटिक शिवलिंग काफी अद्भुत है. स्फटिक शिवलिंग का दर्शन करने के लिए भारत के कोने कोने से लोग आते हैं. यहां विभिन्न देवी देवताओं की प्रतिमा है. कपूर से आरती के समय जो रोशनी फैलती है उसकी रोशनी जब स्फटिक शिवलिंग पर पड़ती है तो उसमें भगवान शिव, माता पर्वती, बासुकीनाग चंद्रमा नजर आते प्रतीत होते हैं. शिवलिंग के दर्शन करने के लिए काफी दूर दूर से लोग आते हैं. यहां से कई तरह की कथाएं जुड़ी हुई है.

"रामशिला मंदिर स्थित प्राचीन है. प्रभु रामचंद्र जी इस स्थान पर आए थे और अपने पितरों को पिंड दान किए थे. यहां विशिष्ट स्फटिक पत्थर का शिवलिंग स्थापित है, जो देश में गिने-चुने स्थानों पर है. रामेश्वरम, जम्मू के बाद यदा-कदा ही इस प्रकार का स्फटिक की शिवलिंग स्थापित है"- लखन कुमार पांडे, पुजारी व साधक, रामशिला मंदिर

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