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'अन्न-पानी और पैसे की तरह संगीत भी जरूरी'- सिंगर कविता पौडवाल - गायिका अनुराधा पौडवाल

गया में तपोवन महोत्सव का आयोजन (Tapovan Festival organized in Gaya) किया गया, जिसमें कई कलाकारों ने जमकर अपने संगीत से समां बांध दिया. इस खास मौके पर मशहूर गायिका कविता पौडवाल ने भजन गाकर चार चांद लगा दिया. उन्होंने कहा अन्न-पानी और पैसे की तरह संगीत भी जरूरी है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

गया के तपोवन महोत्सव में सिंगर कविता पौडवाल
गया के तपोवन महोत्सव में सिंगर कविता पौडवाल
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Published : Jan 15, 2023, 10:11 AM IST

Updated : Jan 15, 2023, 11:35 AM IST

तपोवन महोत्सव में सिंगर कविता पौडवाल

गया: तपोवन महोत्सव में रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करने पहुंची प्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल की पुत्री और मशहूर सिंगर कविता पौडवाल (Singer Kavita Paudwal) ने अपनी सुरीली आवाज से समा बांध दिया. पूरे कार्यक्रम में कविता पौडवाल ने मौजूद हजारों लोगों को मुग्ध कर दिया. वहीं इस मौके पर कविता पौडवाल ने कहा है, कि अन्न, पानी और पैसा की तरह संगीत भी जरूरी है. इसे हर भारतवासी समझता है. भारतीय संगीत काफी उपयोगी है. यही वजह है कि लोग एक टाइम का खाना नहीं खाकर संगीत का प्रोग्राम जरूर देखते हैं. हर सिंगर को इंडिया में काफी सम्मान मिलता है.

पढ़ें-Tapovan Festival : गया में तपोवन महोत्सव का समापन, कविता पौडवाल ने बांधा समां


फूहड़ गानों पर क्या कहती हैं कविता: कविता पौडवाल रीजनल गानों पर कहा कि यह अच्छा है कि अलग-अलग भाषाओं में संगीत सुना जा रहा है. भोजपुरी हो या फिर कोई और लोग संगीत सुन रहे हैं. वहीं फूहड़ता पर कहा कि अगर ऐसे गानों को सुनने वाले कम हो जाएंगे, तो यह खुद ही बंद हो जाएगा. इसके बाद अपने कैरियर के बारे में कविता पौडवाल ने कहा कि जुनून नाम की हिंदी फिल्म में 13 की उम्र से गायकी शुरू की थी. यह महेश भट्ट की निर्देशित फिल्म थी, जिसमें पूजा भट्ट के लिए पहली बार गाना गाया था. इसके बाद नदीम श्रवण, एआर रहमान, बप्पी लहरी के लिए भी काम किया है.



मां से तुलना पर क्या बोली कविता: अपनी मां की तरह देश की मशहूर गायिका के रूप में होने की बात पर कविता ने कहा कि हर एक का अपना रास्ता होता है. यदि मुकेश अंबानी ने जो मुकाम हासिल किया है, यह जरूरी नहीं कि उनका पुत्र भी वही मुकाम हासिल करें. सभी का अपना अलग-अलग लक्ष्य होता है. उन्होंने कहा कि आज ऐसे माहौल में हम हैं जहां किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है. आज इंटरनेट का युग है, सभी कुछ पहले से आसान हो गया है.

"जितने म्यूजिक लवर भारतीय हैं, उतने दुनिया में कहीं नहीं है. यही वजह है कि लोग एक टाइम का खाना नहीं खाते हैं, लेकिन संगीत जरूर देखते सुनते हैं. सभी सिंगर को इंडिया में काफी सम्मान मिलता है. तपोवन में आई हूं और इस धार्मिक नगरी में आकर गाना गाकर काफी अच्छा महसूस कर रही हूं."-कविता पौडवाल, गायिका

तपोवन महोत्सव में सिंगर कविता पौडवाल

गया: तपोवन महोत्सव में रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करने पहुंची प्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल की पुत्री और मशहूर सिंगर कविता पौडवाल (Singer Kavita Paudwal) ने अपनी सुरीली आवाज से समा बांध दिया. पूरे कार्यक्रम में कविता पौडवाल ने मौजूद हजारों लोगों को मुग्ध कर दिया. वहीं इस मौके पर कविता पौडवाल ने कहा है, कि अन्न, पानी और पैसा की तरह संगीत भी जरूरी है. इसे हर भारतवासी समझता है. भारतीय संगीत काफी उपयोगी है. यही वजह है कि लोग एक टाइम का खाना नहीं खाकर संगीत का प्रोग्राम जरूर देखते हैं. हर सिंगर को इंडिया में काफी सम्मान मिलता है.

पढ़ें-Tapovan Festival : गया में तपोवन महोत्सव का समापन, कविता पौडवाल ने बांधा समां


फूहड़ गानों पर क्या कहती हैं कविता: कविता पौडवाल रीजनल गानों पर कहा कि यह अच्छा है कि अलग-अलग भाषाओं में संगीत सुना जा रहा है. भोजपुरी हो या फिर कोई और लोग संगीत सुन रहे हैं. वहीं फूहड़ता पर कहा कि अगर ऐसे गानों को सुनने वाले कम हो जाएंगे, तो यह खुद ही बंद हो जाएगा. इसके बाद अपने कैरियर के बारे में कविता पौडवाल ने कहा कि जुनून नाम की हिंदी फिल्म में 13 की उम्र से गायकी शुरू की थी. यह महेश भट्ट की निर्देशित फिल्म थी, जिसमें पूजा भट्ट के लिए पहली बार गाना गाया था. इसके बाद नदीम श्रवण, एआर रहमान, बप्पी लहरी के लिए भी काम किया है.



मां से तुलना पर क्या बोली कविता: अपनी मां की तरह देश की मशहूर गायिका के रूप में होने की बात पर कविता ने कहा कि हर एक का अपना रास्ता होता है. यदि मुकेश अंबानी ने जो मुकाम हासिल किया है, यह जरूरी नहीं कि उनका पुत्र भी वही मुकाम हासिल करें. सभी का अपना अलग-अलग लक्ष्य होता है. उन्होंने कहा कि आज ऐसे माहौल में हम हैं जहां किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है. आज इंटरनेट का युग है, सभी कुछ पहले से आसान हो गया है.

"जितने म्यूजिक लवर भारतीय हैं, उतने दुनिया में कहीं नहीं है. यही वजह है कि लोग एक टाइम का खाना नहीं खाते हैं, लेकिन संगीत जरूर देखते सुनते हैं. सभी सिंगर को इंडिया में काफी सम्मान मिलता है. तपोवन में आई हूं और इस धार्मिक नगरी में आकर गाना गाकर काफी अच्छा महसूस कर रही हूं."-कविता पौडवाल, गायिका

Last Updated : Jan 15, 2023, 11:35 AM IST
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