ETV Bharat / state

गया का करामाती पेड़ा: जिसे खाकर महारानी विक्टोरिया ने माफ कर दी थी कालापानी की सजा, रोचक है इतिहास - History Of Gaya kesaria peda

बिहार के गया का केसरिया पेड़ा देश भर में प्रसिद्ध है. केसरिया पेड़े का इतिहास को देखें तो इसकी काफी महत्ता है. एक ओर विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में केसरिया पेड़ा का भोग भगवान को लगाया जाता है. तो दूसरी ओर इसी केसरिया पेड़े की वजह से अंग्रेजों द्वारा हिंदुस्तानियों को दिए गए काला पानी की सजा भी माफ हो गई थी.

केसरिया पेड़ा
केसरिया पेड़ा
author img

By

Published : Dec 13, 2022, 11:13 PM IST

Updated : Dec 14, 2022, 8:39 AM IST

गया का करामाती पेड़ा

गया: बिहार के गया के केसरिया पेड़ा का इतिहास (History Of Gaya kesaria peda ) काफी पुराना है. वर्तमान में गया संग्रहालय में भी इसे धरोहर की सूची में शामिल किया गया है. संग्रहालय में इसका बोर्ड लगा है, जिसमें इसे 400 साल की विरासत बताते हुए जिक्र किया गया है. केसरिया पेड़ा देश में गिने-चुने स्थानों पर ही बनाया जाता है, जिसमें एक गया जिला भी शामिल है. यहां का केसरिया पेड़ा देशभर में काफी प्रसिद्ध है और विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर (World Famous Vishnupad Temple) आने वाले तीर्थयात्री इसे अपने घरों को ले जाना नहीं भूलते हैं. इसकी मिठास और स्वाद का जादू कुछ ऐसा ही महारानी विक्टोरियों ने इसे खाकर गया के पांच लोगों की कालापानी की सजा को माफ कर दिया.

ये भी पढ़ें- विष्णुपद मंदिर में 41 मन मिठाई के पहाड़ पर विराजे भगवान विष्णु, देखने भक्तों की उमड़ी भारी भीड़


7 वीं पीढ़ी चला रही है केसरिया पेड़े का व्यवसाय: अभी गया में 300 साल से भी पुराने केसरिया पेड़े का व्यवसाय इसकी 7 वीं पीढ़ी संचालित कर रही है. इन्हें काफी खुशी भी है कि पुरखों की इस विरासत को उन्होंने अभी तक संभाल कर रखा है. वहीं, इसकी डिमांड में अभी भी कोई कमी नहीं आई है. इसकी प्रसिद्धि बनी हुई है.

विष्णुपद मंदिर में लगाया जाता है भोग : गया के पचमहल्ला मोहल्ले में केसरिया पेड़े बेचने वाले ललित गुप्ता बताते हैं कि इस केसरिया पेड़ा का भोग विष्णुपद मंदिर में लगाया जाता है. यह सैकड़ों सालों से चल रहा है. भगवान को लगाने वाले भोग में इस केसरिया पेड़ा को शामिल किया जाता है. वहीं विष्णुपद के पचमहल्ला मोहल्ले में ललित गुप्ता आज भी केसरिया पेड़े की दुकान को संचालित कर रहे हैं. यह लोग 7 वीं पीढ़ी के हैं. इनके पहले बाढ़ो साव, नागा प्रसाद, परमेश्वर प्रसाद, लखन प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद और अब ललित गुप्ता द्वारा केसरिया पेड़े को बनाया और बेचा जाता है.

केसरिया पेड़ा खाकर माफ हुई थी कालापानी की सजा: केसरिया पेड़े से जुड़ी स्वतंत्रता संघर्ष की कहानी कमाल की बात जाननी जरूरी है. दरअसल केसरिया पेड़े के कारण गया के पांच लोगों को अंग्रेजों ने कालापानी की सजा से मुक्त कर दिया गया था. इसके संबंध में बताया जाता है कि वर्ष 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका जा चुका था. उस समय हिंदुस्तानियों में अंग्रेजों के खिलाफ काफी रोष था. तब इसी समय की बात है, जब विष्णुपद के पचमहल्ला में अंग्रेज सिपाही केसरिया पेड़े की दुकान पर आए और काउंटर से थाली उठाकर केसरिया पेड़े खाए. फिर आधा खाकर उसी थाली में रख दिया. इससे उस समय दुकान के संचालन कर रहे बाढ़ो साव को काफी गुस्सा आया और अंग्रेज सिपाहियों से भिड़ गए. इसमें काफी अफरातफरी का माहौल कायम हो गया. पास के कुछ लोगों की मदद से दोनों अंग्रेज सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया गया. इस घटना के बाद गया के 5 लोगों को अंग्रेजों ने पकड़ा, जिसमें बाढ़ो साव समेत अन्य शामिल थे और फिर सभी को काला पानी की सजा दी गई.

महारानी विक्टोरिया को केसरिया पेड़े के स्वाद ने लुभाया: सभी को अंडमान निकोबार द्वीप में काले पानी की सजा में रखा गया था. इस बीच महारानी विक्टोरिया के जन्मदिन पर बंदियों से अंग्रेजी राय पूछ रहे थे और उनकी मांग जानना चाह रहे थे. जब बाढ़ो साव की बारी आई तो उसने कहा कि तुम अंग्रेज हमें क्या दोगे, हम भले ही कुछ दे सकते हैं. तब अंग्रेजों ने कहा कि तुम क्या दोगे तो बाढ़ो साव ने केसरिया पेड़े की बात बताई. उसके केसरिया पेड़े को महारानी विक्टोरिया के सामने पेश किया गया. महारानी विक्टोरिया ने केसरिया पेड़े को खाया तो काफी प्रभावित हुईं और फिर पांचों लोगों को छोड़ दिया गया.

अंडमान जेल से छूटते ही अंग्रेजों पर भारी पड़े बाढ़ो साव : साथ ही पांचों को काफी सारा गिफ्ट देकर सम्मान के साथ विदा किया गया था. इस तरह केसरिया पेड़े के कारण पांच काला पानी की सजा पाए लोगों को मुक्ति मिल गई थी और इन्हीं पांचों ने छूटने के बाद अंग्रेजो के खिलाफ जोरदार लड़ाई छेड़ी और जेल भी तोड़े. कई साथियों को भी छुड़ाया.

''केसरिया पेड़ा में केसर होता है, इसलिए उसे विष्णुपद मंदिर में भगवान पर चढ़ाया जाता है. वहीं काला पानी की सजा के संबंध में इसकी चर्चा होती है. केसरिया पेड़ा के कारण गया के कई लोगों को काला पानी की सजा से अंग्रेजों द्वारा मुक्त कर दिया गया था, जिसे इतिहास में लिपिबद्ध करने की जरूरत है.''- डॉ राकेश कुमार सिन्हा, इतिहास के जानकार

कैसे बनता है केसरिया पेड़ा: केसरिया पेड़ा को केसर, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, ताल मिश्री, गुलाब, केवड़ा, खोवा, इत्र आदि का प्रयोग कर बनाया जाता है. इस तरह यह पौष्टिक, स्वादिष्ट व सुगंधित मिठाई होती है, जिसका स्वाद हर किसी को लुभाता है. वहीं इस केसरिया पेड़ा का रंग भी लुभावना होता है. फिलहाल गया संग्रहालय में केसरिया पेड़ा को 400 साल की विरासत बताते हुए इसके संदर्भ में एक बोर्ड भी लगाया गया है.

गया का करामाती पेड़ा

गया: बिहार के गया के केसरिया पेड़ा का इतिहास (History Of Gaya kesaria peda ) काफी पुराना है. वर्तमान में गया संग्रहालय में भी इसे धरोहर की सूची में शामिल किया गया है. संग्रहालय में इसका बोर्ड लगा है, जिसमें इसे 400 साल की विरासत बताते हुए जिक्र किया गया है. केसरिया पेड़ा देश में गिने-चुने स्थानों पर ही बनाया जाता है, जिसमें एक गया जिला भी शामिल है. यहां का केसरिया पेड़ा देशभर में काफी प्रसिद्ध है और विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर (World Famous Vishnupad Temple) आने वाले तीर्थयात्री इसे अपने घरों को ले जाना नहीं भूलते हैं. इसकी मिठास और स्वाद का जादू कुछ ऐसा ही महारानी विक्टोरियों ने इसे खाकर गया के पांच लोगों की कालापानी की सजा को माफ कर दिया.

ये भी पढ़ें- विष्णुपद मंदिर में 41 मन मिठाई के पहाड़ पर विराजे भगवान विष्णु, देखने भक्तों की उमड़ी भारी भीड़


7 वीं पीढ़ी चला रही है केसरिया पेड़े का व्यवसाय: अभी गया में 300 साल से भी पुराने केसरिया पेड़े का व्यवसाय इसकी 7 वीं पीढ़ी संचालित कर रही है. इन्हें काफी खुशी भी है कि पुरखों की इस विरासत को उन्होंने अभी तक संभाल कर रखा है. वहीं, इसकी डिमांड में अभी भी कोई कमी नहीं आई है. इसकी प्रसिद्धि बनी हुई है.

विष्णुपद मंदिर में लगाया जाता है भोग : गया के पचमहल्ला मोहल्ले में केसरिया पेड़े बेचने वाले ललित गुप्ता बताते हैं कि इस केसरिया पेड़ा का भोग विष्णुपद मंदिर में लगाया जाता है. यह सैकड़ों सालों से चल रहा है. भगवान को लगाने वाले भोग में इस केसरिया पेड़ा को शामिल किया जाता है. वहीं विष्णुपद के पचमहल्ला मोहल्ले में ललित गुप्ता आज भी केसरिया पेड़े की दुकान को संचालित कर रहे हैं. यह लोग 7 वीं पीढ़ी के हैं. इनके पहले बाढ़ो साव, नागा प्रसाद, परमेश्वर प्रसाद, लखन प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद और अब ललित गुप्ता द्वारा केसरिया पेड़े को बनाया और बेचा जाता है.

केसरिया पेड़ा खाकर माफ हुई थी कालापानी की सजा: केसरिया पेड़े से जुड़ी स्वतंत्रता संघर्ष की कहानी कमाल की बात जाननी जरूरी है. दरअसल केसरिया पेड़े के कारण गया के पांच लोगों को अंग्रेजों ने कालापानी की सजा से मुक्त कर दिया गया था. इसके संबंध में बताया जाता है कि वर्ष 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका जा चुका था. उस समय हिंदुस्तानियों में अंग्रेजों के खिलाफ काफी रोष था. तब इसी समय की बात है, जब विष्णुपद के पचमहल्ला में अंग्रेज सिपाही केसरिया पेड़े की दुकान पर आए और काउंटर से थाली उठाकर केसरिया पेड़े खाए. फिर आधा खाकर उसी थाली में रख दिया. इससे उस समय दुकान के संचालन कर रहे बाढ़ो साव को काफी गुस्सा आया और अंग्रेज सिपाहियों से भिड़ गए. इसमें काफी अफरातफरी का माहौल कायम हो गया. पास के कुछ लोगों की मदद से दोनों अंग्रेज सिपाहियों को मौत के घाट उतार दिया गया. इस घटना के बाद गया के 5 लोगों को अंग्रेजों ने पकड़ा, जिसमें बाढ़ो साव समेत अन्य शामिल थे और फिर सभी को काला पानी की सजा दी गई.

महारानी विक्टोरिया को केसरिया पेड़े के स्वाद ने लुभाया: सभी को अंडमान निकोबार द्वीप में काले पानी की सजा में रखा गया था. इस बीच महारानी विक्टोरिया के जन्मदिन पर बंदियों से अंग्रेजी राय पूछ रहे थे और उनकी मांग जानना चाह रहे थे. जब बाढ़ो साव की बारी आई तो उसने कहा कि तुम अंग्रेज हमें क्या दोगे, हम भले ही कुछ दे सकते हैं. तब अंग्रेजों ने कहा कि तुम क्या दोगे तो बाढ़ो साव ने केसरिया पेड़े की बात बताई. उसके केसरिया पेड़े को महारानी विक्टोरिया के सामने पेश किया गया. महारानी विक्टोरिया ने केसरिया पेड़े को खाया तो काफी प्रभावित हुईं और फिर पांचों लोगों को छोड़ दिया गया.

अंडमान जेल से छूटते ही अंग्रेजों पर भारी पड़े बाढ़ो साव : साथ ही पांचों को काफी सारा गिफ्ट देकर सम्मान के साथ विदा किया गया था. इस तरह केसरिया पेड़े के कारण पांच काला पानी की सजा पाए लोगों को मुक्ति मिल गई थी और इन्हीं पांचों ने छूटने के बाद अंग्रेजो के खिलाफ जोरदार लड़ाई छेड़ी और जेल भी तोड़े. कई साथियों को भी छुड़ाया.

''केसरिया पेड़ा में केसर होता है, इसलिए उसे विष्णुपद मंदिर में भगवान पर चढ़ाया जाता है. वहीं काला पानी की सजा के संबंध में इसकी चर्चा होती है. केसरिया पेड़ा के कारण गया के कई लोगों को काला पानी की सजा से अंग्रेजों द्वारा मुक्त कर दिया गया था, जिसे इतिहास में लिपिबद्ध करने की जरूरत है.''- डॉ राकेश कुमार सिन्हा, इतिहास के जानकार

कैसे बनता है केसरिया पेड़ा: केसरिया पेड़ा को केसर, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, ताल मिश्री, गुलाब, केवड़ा, खोवा, इत्र आदि का प्रयोग कर बनाया जाता है. इस तरह यह पौष्टिक, स्वादिष्ट व सुगंधित मिठाई होती है, जिसका स्वाद हर किसी को लुभाता है. वहीं इस केसरिया पेड़ा का रंग भी लुभावना होता है. फिलहाल गया संग्रहालय में केसरिया पेड़ा को 400 साल की विरासत बताते हुए इसके संदर्भ में एक बोर्ड भी लगाया गया है.

Last Updated : Dec 14, 2022, 8:39 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.