ETV Bharat / state

गया: पेड़ के नीचे बच्चे कर रहे पढ़ाई, शिक्षक नदारद, गांव के युवा दे रहे मुफ्त शिक्षा - गांव के युवक

सरकार की अनदेखी और शिक्षक की मनमानी के कारण गांव के दो युवक बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वहीं, ग्रामीण झोपड़ी बनाने में जुटे हैं. ग्रामीणों ने सरकार से नाराजगी जाहिर की है.

गया में भवनहीन स्कूल
author img

By

Published : Jul 24, 2019, 5:12 PM IST

गया: बिहार में शिक्षा व्यवस्था का हाल स्कूल के हालात से ही पता चलता है. सुशासन की सरकार शिक्षा को लेकर तमाम दावे करती है. लेकिन जिले के कोंच स्थित राजौरी गांव का राजकीय प्राथमिक विद्यालय विभाग की पोल खोलता नजर आ रहा है.

जिले के कोंच प्रखंड स्थित रजौरी गांव जहां 2011 में बिना भवन के ही स्कूल खोला गया. ग्रामीणों के सहयोग से स्कूल को एक झोपड़ी में चलाया जा रहा था. हालांकि आंधी में झोपड़ी भी उजड़ गयी. स्कूल में भवन नहीं है. लेकिन दो शौचालय के दीवारों पर स्कूल का नाम अंकित हैं. इसके अलावे मिड डे मील का मेन्यू भी लिखा हुआ है. यहां स्कूली बच्चे जाड़ा, गर्मी, बरसात में खुले आसमान के नीचे में बैठकर पढ़ाई करते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

गांव के युवक बच्चों को दे रहे मुफ्त शिक्षा
प्राथमिक विद्यालय रजौरा में एक शिक्षक की नियुक्त है. शिक्षक मन मुताबिक आते हैं. अनाज नहीं उपलब्ध होने के कारण कई महीनों से बच्चों को मिडे मिल नहीं मिला है. सरकार की अनदेखी के बाद गांव के दो युवक बच्चों को मुफ्त पढ़ा रहे हैं. वहीं, ग्रामीण झोपड़ी बनाने में जुटे हैं. ग्रामीणों को सरकार से इस बात की नाराजगी है कि स्कूल के पास कोई सुविधा नहीं है. स्कूल सिर्फ शौचालय के दीवार तक सीमित रह गया है.

तैयार होगी स्कूल की बिल्डिंग
स्कूल में 100 छात्रों की जगह मात्र 50 स्कूल आते हैं. स्कूली बच्चों की मांग है कि सरकार स्कूल का निर्माण करवाए. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी मुस्तफा हुसैन मंसूरी को ईटीवी ने स्कूल की जानकारी दी. पदाधिकारी ने स्कूल में एक की जगह पर दो और भवन निर्माण के लिए पैसा आवंटित करने का आदेश दिया. मुस्तफा हुसैन मंसूरी ने बताया कि जबतक विद्यालय का निर्माण नहीं होता तबतक स्कूल तरारी मध्य विद्यालय में शिफ्ट किया जायेगा.

गया: बिहार में शिक्षा व्यवस्था का हाल स्कूल के हालात से ही पता चलता है. सुशासन की सरकार शिक्षा को लेकर तमाम दावे करती है. लेकिन जिले के कोंच स्थित राजौरी गांव का राजकीय प्राथमिक विद्यालय विभाग की पोल खोलता नजर आ रहा है.

जिले के कोंच प्रखंड स्थित रजौरी गांव जहां 2011 में बिना भवन के ही स्कूल खोला गया. ग्रामीणों के सहयोग से स्कूल को एक झोपड़ी में चलाया जा रहा था. हालांकि आंधी में झोपड़ी भी उजड़ गयी. स्कूल में भवन नहीं है. लेकिन दो शौचालय के दीवारों पर स्कूल का नाम अंकित हैं. इसके अलावे मिड डे मील का मेन्यू भी लिखा हुआ है. यहां स्कूली बच्चे जाड़ा, गर्मी, बरसात में खुले आसमान के नीचे में बैठकर पढ़ाई करते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

गांव के युवक बच्चों को दे रहे मुफ्त शिक्षा
प्राथमिक विद्यालय रजौरा में एक शिक्षक की नियुक्त है. शिक्षक मन मुताबिक आते हैं. अनाज नहीं उपलब्ध होने के कारण कई महीनों से बच्चों को मिडे मिल नहीं मिला है. सरकार की अनदेखी के बाद गांव के दो युवक बच्चों को मुफ्त पढ़ा रहे हैं. वहीं, ग्रामीण झोपड़ी बनाने में जुटे हैं. ग्रामीणों को सरकार से इस बात की नाराजगी है कि स्कूल के पास कोई सुविधा नहीं है. स्कूल सिर्फ शौचालय के दीवार तक सीमित रह गया है.

तैयार होगी स्कूल की बिल्डिंग
स्कूल में 100 छात्रों की जगह मात्र 50 स्कूल आते हैं. स्कूली बच्चों की मांग है कि सरकार स्कूल का निर्माण करवाए. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी मुस्तफा हुसैन मंसूरी को ईटीवी ने स्कूल की जानकारी दी. पदाधिकारी ने स्कूल में एक की जगह पर दो और भवन निर्माण के लिए पैसा आवंटित करने का आदेश दिया. मुस्तफा हुसैन मंसूरी ने बताया कि जबतक विद्यालय का निर्माण नहीं होता तबतक स्कूल तरारी मध्य विद्यालय में शिफ्ट किया जायेगा.

Intro:बिहार के सुशासन की सरकार शिक्षा को लेकर कई दावा करती है दावा के साथ पीठ भी खुद थपथपाती हैं। सरकार के दावे का पोल गया जिला के कोंच प्रखंड के परसावां पंचायत के राजौरी गांव का राजकीय प्राथमिक विद्यालय खोलता हैं। प्राथमिक विद्यालय भवनविहीन हैं स्कूली छात्र पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर है।


Body:इस आधुनिक युग मे गया के कोंच प्रखंड में बच्चों को पढ़ने का लालसा असीम हैं। लेकिन सरकार और सरकार के अधिकारी बच्चों को पढ़ने देना नही चाहते हैं। कोंच प्रखंड के रजौरी गावँ में 2011 में स्कूल तो गाँव मे खुला लेकिन स्कूल भवनविहीन संचालित होने लगा। ग्रामीणों के सहयोग से एक झोपड़ी बना गया लेकिन वो झोपड़ी आंधी में उजड़ गया ।सरकार के अधिकारी का कारनामा देखिए स्कूल के लिए एक ईंट नही जोड़ा लेकिन दो शौचालय का निर्माण करवा दिया। शौचालय के दीवारों पर स्कूल का नाम अंकित हैं और मिडडेमील के मेन्यू लिखा हुआ है। आलम ये हैं स्कूल के छात्र जाड़ा, गर्मी, बरसात में खुले में बैठकर पढ़ाई करते हैं।

राजकीय प्राथमिक विद्यालय रजौरा मे एक शिक्षक की नियुक्ति हैं। शिक्षक भी अपने मन मुताबिक आते हैं। मिडेमिल में खाने बनाने के लिए तीन महिला हैं लेकिन खाना बनाने के लिए अनाज नही उपलब्ध हैं। कई महीनों से बच्चों को मिडेमिल नही मिल रहा है।

जब सरकार ने अनदेखी की तो ग्रामीणों ने खुद से बीड़ा उठाया। जब स्कूल में शिक्षक नही आते हैं तो गांव के दो युवक पढ़ाने का बीड़ा उठाते हैं। ग्रामीण उजड़ी हुई झोपड़ी को बनाने में जुटे रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है सरकार ने स्कूल तो खोल दिया लेकिन कोई सुविधाएं नही दिया। स्कूल बस शौचालय के दीवार तक सीमित हैं। हम चाहते हैं हमारे गांव के बच्चा शिक्षित हो। हमलोग से जो बन पड़ेगा वो करेगे।

स्कूल में 100 छात्रों का नामंकन हैं 50 के लगभग छात्र पढ़ने आते हैं। स्कूल के छात्रों ने बताया हमलोग सरकार से मांग करते हैं हमारे स्कूल के लिए भवन बना दे और शिक्षक की बढ़ोतरी कर दे। गर्मी और जाड़ा में जैसे तैसे पेड़ो के निचे बैठकर पढ़ लेते हैं लेकिन बरसात में बहुत दिक्कत होता हैं। स्कूल में एक शिक्षक हैं वो भी कभी कभी आते हैं। गावँ के राकेश सर हमलोग को पढ़ाते है।





Conclusion:ईटीवी ने जिला शिक्षा पदाधिकारी मुस्तफा हुसैन मंसूरी को राजकीय प्राथमिक विद्यालय रजौरा के बारे में अवगत कराया। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने विद्यालय में एक शिक्षक से दो शिक्षक करने और भवन के लिए पैसा आवंटित करने का आदेश दिया। मुस्तफा हुसैन मंसूरी ने कहा जब तक विद्यालय का निर्माण नही होता हैं तब तक स्कूल को तरारी मध्य विद्यालय में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.