गया: गया-पटना रेलखंड में बेला स्टेशन (Bela Station) से सटा लगभग 200 घरों वाला हसनपुर गांव, सम्पर्क पथ (Link Road) की कमी के कारण मुख्य (Main Road) सड़क से कटा हुआ है. गांव में सड़क नहीं बनने से लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
ये भी पढ़ें- सब्जी बेचने के दौरान सड़क पर झूलते तार की चपेट में आया युवक, करंट लगने से मौत
70 साल बाद गांव में नहीं बनी सड़क
आजादी के सात दशक (Seventy Years Independence) के बाद भी विकास के तमाम दावों के बावजूद कुछ ऐसे गांव हैं जो सरकारी उदासीनता के कारण पिछड़ेपन के शिकार हैं. कुछ ऐसा ही हाल गया जिले के बेलागंज प्रखंड के हसनपुर गांव का है.
जबकि मुख्य सड़क (बेलागंज-चंदौती पथ) से गांव की दूरी मुश्किल से कुछ सौ मीटर की है. ग्रामीणों ने बताया कि हमलोग जवान से बूढ़े हो गए, पीढ़ियां गुजर गई, मगर हमारा गांव सड़क से वंचित है. बरसात के दिनों में कच्ची सड़क कीचड़ में तब्दील हो जाती है, और गांव वालों का एकमात्र सहारा रेलवे लाइन हो जाता है, जिसमें कई लोग हादसे का शिकार होकर अपनी जान भी गंवा बैठे हैं. महिलाओं, बुजुर्गों-बच्चों सहित बीमार लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
ये भी पढ़ें- Saran Crime News: मामा की शादी में आई भांजी को स्कॉर्पियो ने रौंदा
सड़क बनाने की मांग
आइसा के पूर्व राज्य उपाध्यक्ष तारिक अनवर ने कहा कि प्रशासनिक लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का खामियाजा यह गांव भुगत रहा है. ऐसे दौर में जब बिहार सरकार राज्य के हर गांव और टोले को मुख्य सड़क से जोड़ रही है, यहां भी तुरंत सड़क का निर्माण कराया जाए.
आपको बता दें बेलागंज विधानसभा क्षेत्र से 1990 से राजद के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र यादव लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. राजद की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, इसके बावजूद भी इस गांव में आज तक सड़क नहीं बन पाई है. ग्रामीणों ने सड़क निर्माण के संबंध में कई बार विधायक को लिखित और मौखिक तरीके से अवगत कराया है, लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन मिला है.
ये भी पढ़ें- सुपौल: ट्रक ने स्कॉर्पियो में मारी ठोकर, 40 फीट खाई में गिरने से युवक की मौत, 3 घायल
सरकार के विकास के दावे कितने सही
आधुनिकता के इस दौर में अभी भी गांव में पक्की सड़कें नहीं बनीं हैं. ये सोचने वाली बात है. एक ओर केंद्र और राज्य सरकार सड़क निर्माण पर जोर दे रही है. गांवों को सड़कों से जोड़ने का काम कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी गांव हैं जो दशकों से विकास की बांट जोह रहे हैं. ऐसे में वहां पर आने-जाने वाले लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वो भी बारसात के दिनों में अधिक परेशानी होती है.