गया: जिला मुख्यालय से चंद कदम की दूरी पर स्थित राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा सरकार के दावों की पोल खोलती है. इस स्कूल में पिछले तीन माह से पीने के लिये पानी और शौचालय की व्यवस्था नहीं है. इस कारण पढ़ने आये छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सरकार के उदासीन रवैये के कारण बच्चों को बीच में ही स्कूल छोड़कर घर जाना पड़ता है.
राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा स्कूल में 500 से अधिक छात्रों का एडमिशन है, जिसमें 300 से अधिक छात्राएं हैं. पिछले तीन महीने से चापाकल खराब होने के कारण स्कूली बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी परेशानी होती है. छात्राएं बताती हैं कि इस स्कूल में पर्याप्त शिक्षक तो हैं, क्लास रूम भी है. समय से क्लास भी होती है, मीड डे मील भी दिया जाता है लेकिन स्कूल में पीने के लिए पानी नहीं है. यहां तक कि शौचालय में भी पानी की व्यवस्था नहीं है.
नीतीश कुमार से मदद की गुहार
सभी छात्र-छात्राएं घर से बोतल में पानी लेकर आते है लेकिन वो पूरे दिन के लिये पर्याप्त नहीं होता. मजबूरन उन्हें बीच में क्लास छोड़कर घर जाना पड़ता है. छात्राओं ने ईटीवी भारत के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि स्कूल में सभी सुविधाएं दुरूस्त की जाए ताकि बच्चों को कोई दिक्कत न हो.
शिकायत के बाद भी नहीं मिली मदद
स्कूल की प्रभारी प्रचार्या सुनीता कुमारी राय की मानें को इस बावत कई बार अधिकारियों से लिखित शिकायत की गई लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई. यहां तक की जनप्रतिनिधियों, विभाग और पीएचईडी विभाग को भी पत्राचार किया गया लेकिन कोई मदद नहीं मिली. ऐसे में बच्चों को साथ-साथ शिक्षक और शिक्षिकाओं को भी काफी परेशानी होती है.
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योजना के नाम पर खानापूर्ति
सरकार के सारी योजनाएं फाइलों में शत प्रतिशत सही दिखती है लेकिन जब इन योजनाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू होंगे तो योजना के नाम सिर्फ खानापूर्ति नजर आएगी. सरकारी स्कूल की ये बदहाल स्थिति सुसासन की सरकार पर सवाल खड़े करती है. अब देखना है कि इस मामले पर सरकार कब गंभीर होती है.