ETV Bharat / state

गया: मध्य विद्यालय डेल्हा की स्थिति बदहाल, नहीं है पीने का पानी और शौचालय की व्यवस्था

राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा में पिछले तीन महीने से चापाकल खराब है. इसे लेकर कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में आए दिन छात्र और छात्राएं सहित शिक्षकों को भी काफी परेशानी होती है.

राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा की स्थिति बदहाल
author img

By

Published : Nov 22, 2019, 8:32 AM IST

गया: जिला मुख्यालय से चंद कदम की दूरी पर स्थित राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा सरकार के दावों की पोल खोलती है. इस स्कूल में पिछले तीन माह से पीने के लिये पानी और शौचालय की व्यवस्था नहीं है. इस कारण पढ़ने आये छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सरकार के उदासीन रवैये के कारण बच्चों को बीच में ही स्कूल छोड़कर घर जाना पड़ता है.

राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा स्कूल में 500 से अधिक छात्रों का एडमिशन है, जिसमें 300 से अधिक छात्राएं हैं. पिछले तीन महीने से चापाकल खराब होने के कारण स्कूली बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी परेशानी होती है. छात्राएं बताती हैं कि इस स्कूल में पर्याप्त शिक्षक तो हैं, क्लास रूम भी है. समय से क्लास भी होती है, मीड डे मील भी दिया जाता है लेकिन स्कूल में पीने के लिए पानी नहीं है. यहां तक कि शौचालय में भी पानी की व्यवस्था नहीं है.

gaya
राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा

नीतीश कुमार से मदद की गुहार
सभी छात्र-छात्राएं घर से बोतल में पानी लेकर आते है लेकिन वो पूरे दिन के लिये पर्याप्त नहीं होता. मजबूरन उन्हें बीच में क्लास छोड़कर घर जाना पड़ता है. छात्राओं ने ईटीवी भारत के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि स्कूल में सभी सुविधाएं दुरूस्त की जाए ताकि बच्चों को कोई दिक्कत न हो.

gaya
स्कूल में चापाकल खराब होने के कारण घर से पानी लेकर आती हैं छात्राएं

शिकायत के बाद भी नहीं मिली मदद
स्कूल की प्रभारी प्रचार्या सुनीता कुमारी राय की मानें को इस बावत कई बार अधिकारियों से लिखित शिकायत की गई लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई. यहां तक की जनप्रतिनिधियों, विभाग और पीएचईडी विभाग को भी पत्राचार किया गया लेकिन कोई मदद नहीं मिली. ऐसे में बच्चों को साथ-साथ शिक्षक और शिक्षिकाओं को भी काफी परेशानी होती है.

जानकारी देतीं छात्रा और प्रभारी प्राचार्य

ये भी पढ़ें- IGIMS में शुरू हुआ विश्राम सदन, रियायती दरों में भोजन और ठहरने की है व्यवस्था

योजना के नाम पर खानापूर्ति
सरकार के सारी योजनाएं फाइलों में शत प्रतिशत सही दिखती है लेकिन जब इन योजनाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू होंगे तो योजना के नाम सिर्फ खानापूर्ति नजर आएगी. सरकारी स्कूल की ये बदहाल स्थिति सुसासन की सरकार पर सवाल खड़े करती है. अब देखना है कि इस मामले पर सरकार कब गंभीर होती है.

गया: जिला मुख्यालय से चंद कदम की दूरी पर स्थित राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा सरकार के दावों की पोल खोलती है. इस स्कूल में पिछले तीन माह से पीने के लिये पानी और शौचालय की व्यवस्था नहीं है. इस कारण पढ़ने आये छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सरकार के उदासीन रवैये के कारण बच्चों को बीच में ही स्कूल छोड़कर घर जाना पड़ता है.

राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा स्कूल में 500 से अधिक छात्रों का एडमिशन है, जिसमें 300 से अधिक छात्राएं हैं. पिछले तीन महीने से चापाकल खराब होने के कारण स्कूली बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी परेशानी होती है. छात्राएं बताती हैं कि इस स्कूल में पर्याप्त शिक्षक तो हैं, क्लास रूम भी है. समय से क्लास भी होती है, मीड डे मील भी दिया जाता है लेकिन स्कूल में पीने के लिए पानी नहीं है. यहां तक कि शौचालय में भी पानी की व्यवस्था नहीं है.

gaya
राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा

नीतीश कुमार से मदद की गुहार
सभी छात्र-छात्राएं घर से बोतल में पानी लेकर आते है लेकिन वो पूरे दिन के लिये पर्याप्त नहीं होता. मजबूरन उन्हें बीच में क्लास छोड़कर घर जाना पड़ता है. छात्राओं ने ईटीवी भारत के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि स्कूल में सभी सुविधाएं दुरूस्त की जाए ताकि बच्चों को कोई दिक्कत न हो.

gaya
स्कूल में चापाकल खराब होने के कारण घर से पानी लेकर आती हैं छात्राएं

शिकायत के बाद भी नहीं मिली मदद
स्कूल की प्रभारी प्रचार्या सुनीता कुमारी राय की मानें को इस बावत कई बार अधिकारियों से लिखित शिकायत की गई लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई. यहां तक की जनप्रतिनिधियों, विभाग और पीएचईडी विभाग को भी पत्राचार किया गया लेकिन कोई मदद नहीं मिली. ऐसे में बच्चों को साथ-साथ शिक्षक और शिक्षिकाओं को भी काफी परेशानी होती है.

जानकारी देतीं छात्रा और प्रभारी प्राचार्य

ये भी पढ़ें- IGIMS में शुरू हुआ विश्राम सदन, रियायती दरों में भोजन और ठहरने की है व्यवस्था

योजना के नाम पर खानापूर्ति
सरकार के सारी योजनाएं फाइलों में शत प्रतिशत सही दिखती है लेकिन जब इन योजनाओं की जमीनी हकीकत से रूबरू होंगे तो योजना के नाम सिर्फ खानापूर्ति नजर आएगी. सरकारी स्कूल की ये बदहाल स्थिति सुसासन की सरकार पर सवाल खड़े करती है. अब देखना है कि इस मामले पर सरकार कब गंभीर होती है.

Intro:जिला मुख्यालय से चंद कदम के दूरी पर राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा स्कूल का बदहाल स्थिति शैक्षणिक नही बुनियादी हैं। इस स्कूल में पिछले तीन माह से पानी पीने के लिये और शौचालय के लिए पानी का व्यवस्था नही है। मजबूरी कहिए या सरकार उदासनिता स्कूली छात्र - छात्रा शौचालय में पानी नही रहने के कारण स्कूल पीरियड के बीच से घर चल जाती है।


Body:शहर के राजकीय मध्य विद्यालय डेल्हा स्कूल में 500 से अधिक छात्र का एडमिशन है जिसमे 300 से अधिक छात्रा है। सरकार छात्राओं को इतनी संख्या में स्कूल में दाखिला पर आंकड़ा पेश कर अपनी पीठ थपथपाई गईं लेकिन हकीकत जब जानेंगे तो सुशासन की सरकार के सारे आंकड़े धराशयी हो जाएगी। स्कूल में पिछले तीन माह से चापाकल खराब है जिससे स्कूली बच्चों के साथ शिक्षकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

स्कूल की छात्राएं बताती है इस स्कूल में पर्याप्त शिक्षक भी है , क्लास रूम भी है समय से से क्लास भी होता है। मिडडेमील भज दिया जाता है। लेकिन स्कूल में पीने के लिए पानी नही है यहां तक शौचालय में भी पानी का व्यवस्था नही है। मजबूरी में हमलोग को घर जाना पड़ता है। हमलोग सभी छात्र घर से बोतल में पानी लाते हैं लेकिन पूरे दिन के लिए पर्याप्त नही रहता।

स्कूल के छात्र ने बताया स्कूल में हमलोग मिडडेमील दिया जाता है लेकिन पानी रहने से काफी दिक्कत होता है कभी कभी हमलोग पानी नही रहने के वजह से खा नही पाते हैं। बहुत सारे छात्र बीच क्लास से चले जाते हैं जाना भी मजबूरी रहता है। हमसभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग करते हैं हमारे स्कूल में पीने के पानी का व्यवस्था कर दिया जाए।

प्रभारी प्रचार्या सुनीता कुमारी राय ने बताया मेरे द्वारा कई बार इस समस्या के शिकायत अधिकारियों से लिखित और मौखिक किया गया है लेकिन आज तक कोई कारवाई नही हुआ है यहां तक कि जनप्रतिनिधियों, विभाग और पीएचईडी विभाग को भी पत्राचार किया गया है।

स्कूल के बच्चों के साथ साथ हमलोग को बहुत दिक्कत का सामान करना पड़ता है। 11 महिला शिक्षक हैं। बच्चे स्कूल में पानी पीने के लिए बोतल लेकर आते हैं वही शौचालय में पानी नही रहने के वजह से छात्रा घर चल जाती है और हमलोग आसपास पड़ोस के घरों में जाते है।

मिडडेमील बनाने के लिए पड़ोस के घर से समिति मात्रा में पानी आता है। जैसे तैसे व्यवस्था कर हमलोग स्कूल चला रहे हैं। वर्तमान में जो चापाकल हैं वो बने लायक नही है।


Conclusion:सरकार के सारी योजनाएं फाइलों में शत प्रतिशत सही दिखती है लेकिन जब इन योजनाओं का जमीन हकीकत से रूबरू होंगे तो योजना के नाम सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। शहर में स्थित इस स्कूल में पानी की समस्या है की मजबूरी बच्चे स्कूल छोड़कर घर जा रहे हैं। ईटीवी भारत सरकार के फाइलों से अलग ग्राउंड रिपोर्टिंग से हकीकत को निकालकर सामने लाता है अब देखना होगा सरकार इस खबर को देखकर कितना गंभीर होती है।

वीडियो के अनुसार क्रमशः बाइट
शिखा कुमारी, आशीष कुमार,मणि कुमार, आभा कुमारी, पूजा कुमारी, राधा कुमारी ,सुनीता कुमारी राय ( प्रभारी प्रचार्या)
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.