गया : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिहार के गया में पंचानपुर स्थित दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में शामिल हुई. राष्ट्रपति के द्वारा 103 छात्रों को गोल्ड मेडल प्रदान किया गया. इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि यह बिहार की धरती है, जहां चाणक्य, आर्यभट्ट जैसे प्रकांड विद्वान हुए हैं. वहीं अपने संबोधन में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में सत्रें चलती हैं, पर परीक्षाएं ही नहीं हो रही है. हमें इसे बदलना होगा.
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'चाणक्य आर्यभट्ट की धरती है बिहार' : राष्ट्रपति द्रौपदी मूूर्मू ने दीक्षांत समारोह के दौरान अपने संबोधन में कहा कि बिहार की धरती से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था फलित हुई. यहां की धरती चाणक्य आर्यभट्ट जैसे प्रकांड विद्वानों के इतिहास से जुड़ी है. मानवता को बचाने के लिए यहां से क्रांतिकारी कदम उठ देश-विदेश में बिहार ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.
'संविधान बनाने वालों में बिहार के विभूति भी शामिल' : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बिहार के गौरवान्वित इतिहास के संबंध में कई उल्लेख किया. यह भी कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान का निर्माण किया था. इस संविधान निर्माण में बिहार के डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा, बाबू राजेंद्र प्रसाद सिंह जैसे विभूतियों का भी योगदान रहा है. यह भी कहा कि हमारे बीच प्रगति के मानदंडों का लक्ष्य होना चाहिए.
''भारत विश्व की सबसे पांचवी बड़ी और तेज गति से बढ़ाने वाली इकोनामिक कंट्री है. इस दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय से 103 छात्रों ने स्वर्ण पदक पाया है, जिसमें 66 हमारी बेटियां हैं, जिन्होंने इसे हासिल किया है. यह गौरव की बात है. मैं इन्हें विशेष बधाई देती हूं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के प्रगतिशील विचारधारा एक बड़ी कड़ी है.''- द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति
'बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में सत्रें चलते हैं पर परीक्षाएं ही नहीं हो पाती' : वहीं, दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि आज का दिन खुशी का है. हमारे स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थी बधाई के पात्र हैं. यह खुशी की बात है कि इसमें अधिकतर छात्राएं हैं. वहीं, राज्यपाल ने यह भी कहा कि बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में सत्र चलते हैं पर परीक्षाएं ही नहीं हो पा रही है. वातावरण बदलना होगा, प्रयास करने से ही बच्चों का भविष्य बदलेगा. समय पर परीक्षा नहीं, रिजल्ट नहीं निकले तो लगता है कि वर्ष बर्बाद हो गया. इसकी जिम्मेदारी हम पर आती है. हमें बच्चों के भविष्य बिगड़ने का कोई अधिकार नहीं है.
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