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पितृपक्ष 2020 : फल्गु नदी में पहले दिन का पिंडदान संपन्न, मान्यता को रखा गया जीवंत - भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण

गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला इस बार रद्द कर दिया गया है. परंपरा अनुसार, पंडा और पुरोहित यहां पिंडदान कर रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान मृत्यु लोक से पूर्वज पृथ्वी लोक गयाजी में आते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार की ताजा खबर
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Published : Sep 2, 2020, 9:22 PM IST

गया: एक सितंबर को अंनत चतुदर्शी के बाद दूसरे दिन गयाजी में पिंडदान के पहले दिन का फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने का महत्व है. श्रापित फल्गु नदी की एक बूंद से तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कोरोना महामारी के चलते इस साल गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले को रद्द कर दिया गया है. इस बार यहां पिंडदान की अनुमति नहीं दी गई है. लेकिन परंपरा को जीवित रखने के लिए पंडा समुदाय पूर्वजों का पिंडदान फल्गु नदी के तट पर कर रहे हैं. पितृपक्ष के पहले दिन गया जी में पिंडदान के लिए विशेष महत्व है.

गया से सुजीत पांडेय की रिपोर्ट

पुनपुन नदी के तट से फल्गू आते हैं पिंडदानी
पंडा मोहन लाल बारीक ने कहा, 'आज के दिन पुनपुन नदी के तट पर पिंडदानी गयाजी में आकर यहां फल्गु नदी के तट पर तीर्थ पुरोहितों का पांव पूजन करके पिंडदान शुरू करते हैं. 17 दिवसीय पिंडदान का आज दूसरा दिन है. गयाजी मे पिंडदान का पहला दिन है. गयाजी में फल्गु नदी में पिंडदान करने का महत्व है. फल्गु नदी पर खीर का पिंडदान अति उत्तम माना जाता है.'

कोरोना के चलते वीरान पड़ा फल्गु तीर्थ क्षेत्र
कोरोना के चलते वीरान पड़ा फल्गु तीर्थ क्षेत्र

पंचतीर्थ है फल्गू नदी
फल्गु नदी को पंचतीर्थ नदी कहा जाता है. फल्गू नदी पांच नदियों के संगम से उत्पन्न हुई है. विष्णुपद क्षेत्र के राजाचार्य ने बताया, 'फल्गु नदी देश की सभी नदियों में सबसे ज्यादा पवित्र है. इसे गंगा नदी से भी ज्यादा पवित्र माना गया है. फल्गु नदी में सतयुग से सतत सलिला प्रवाहित हो रही है. फल्गु सूखी नदी है क्योंकि इसे खुद मां सीता ने श्राप दिया था.

फल्गु का तट
फल्गु का तट

मां सीता ने क्यों दिया श्राप?
भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी अपने पिता के मृत्यु उपरांत गयाजी मे पिंडदान करने आये थे. इस दौरान भगवान राम लक्ष्मण के साथ पिंडदान की सामग्री लेने चले गये. माता सीता फल्गु के तट पर ही उनकी प्रतिक्षा कर रही थीं. इस दौरान आकाशवाणी हुई, जो राजा दशरथ की थी. उन्होंने कहा, 'पुत्री सीता, जल्दी पिंडदान करो, समय निकला जा रहा है.'

आज वीरान है सबकुछ
आज वीरान है सबकुछ

इस आकाशवाणी को सुन मां सीता ने फल्गु नदी, वहां मौजूद गाय, ब्राह्मण और अक्षयवट को साक्षी रखकर राजा दशरथ को बालू का पिंडदान दिया. भगवान राम और लक्ष्मण के वापस आने पर माता सीता ने पूरा वाक्या बताया. लेकिन भगवान राम को भरोसा नहीं हुआ. लिहाजा, मां सीता ने फल्गू नदी, ब्राह्मण और गाय से इस वाक्ये की सत्यता की पुष्टि करने को कहा. तीनों ने झूठ बोल दिया. लिहाजा, मां सीता ने आक्रोशित होकर फल्गु नदी को हमेशा के लिए सूखा रहने का श्राप दे दिया.

मेले के दौरान आते थे लाखों श्रद्धालु
मेले के दौरान आते थे लाखों श्रद्धालु

गया: एक सितंबर को अंनत चतुदर्शी के बाद दूसरे दिन गयाजी में पिंडदान के पहले दिन का फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने का महत्व है. श्रापित फल्गु नदी की एक बूंद से तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कोरोना महामारी के चलते इस साल गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले को रद्द कर दिया गया है. इस बार यहां पिंडदान की अनुमति नहीं दी गई है. लेकिन परंपरा को जीवित रखने के लिए पंडा समुदाय पूर्वजों का पिंडदान फल्गु नदी के तट पर कर रहे हैं. पितृपक्ष के पहले दिन गया जी में पिंडदान के लिए विशेष महत्व है.

गया से सुजीत पांडेय की रिपोर्ट

पुनपुन नदी के तट से फल्गू आते हैं पिंडदानी
पंडा मोहन लाल बारीक ने कहा, 'आज के दिन पुनपुन नदी के तट पर पिंडदानी गयाजी में आकर यहां फल्गु नदी के तट पर तीर्थ पुरोहितों का पांव पूजन करके पिंडदान शुरू करते हैं. 17 दिवसीय पिंडदान का आज दूसरा दिन है. गयाजी मे पिंडदान का पहला दिन है. गयाजी में फल्गु नदी में पिंडदान करने का महत्व है. फल्गु नदी पर खीर का पिंडदान अति उत्तम माना जाता है.'

कोरोना के चलते वीरान पड़ा फल्गु तीर्थ क्षेत्र
कोरोना के चलते वीरान पड़ा फल्गु तीर्थ क्षेत्र

पंचतीर्थ है फल्गू नदी
फल्गु नदी को पंचतीर्थ नदी कहा जाता है. फल्गू नदी पांच नदियों के संगम से उत्पन्न हुई है. विष्णुपद क्षेत्र के राजाचार्य ने बताया, 'फल्गु नदी देश की सभी नदियों में सबसे ज्यादा पवित्र है. इसे गंगा नदी से भी ज्यादा पवित्र माना गया है. फल्गु नदी में सतयुग से सतत सलिला प्रवाहित हो रही है. फल्गु सूखी नदी है क्योंकि इसे खुद मां सीता ने श्राप दिया था.

फल्गु का तट
फल्गु का तट

मां सीता ने क्यों दिया श्राप?
भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी अपने पिता के मृत्यु उपरांत गयाजी मे पिंडदान करने आये थे. इस दौरान भगवान राम लक्ष्मण के साथ पिंडदान की सामग्री लेने चले गये. माता सीता फल्गु के तट पर ही उनकी प्रतिक्षा कर रही थीं. इस दौरान आकाशवाणी हुई, जो राजा दशरथ की थी. उन्होंने कहा, 'पुत्री सीता, जल्दी पिंडदान करो, समय निकला जा रहा है.'

आज वीरान है सबकुछ
आज वीरान है सबकुछ

इस आकाशवाणी को सुन मां सीता ने फल्गु नदी, वहां मौजूद गाय, ब्राह्मण और अक्षयवट को साक्षी रखकर राजा दशरथ को बालू का पिंडदान दिया. भगवान राम और लक्ष्मण के वापस आने पर माता सीता ने पूरा वाक्या बताया. लेकिन भगवान राम को भरोसा नहीं हुआ. लिहाजा, मां सीता ने फल्गू नदी, ब्राह्मण और गाय से इस वाक्ये की सत्यता की पुष्टि करने को कहा. तीनों ने झूठ बोल दिया. लिहाजा, मां सीता ने आक्रोशित होकर फल्गु नदी को हमेशा के लिए सूखा रहने का श्राप दे दिया.

मेले के दौरान आते थे लाखों श्रद्धालु
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