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गया: पंडा के घर नहीं ठहर सकेंगे पिंडदानी, करना पड़ेगा ज्यादा खर्च

जिला प्रशासन ने गया में पिंडदानियों के पंडों के घरों में ठहरने पर रोक लगा दिया है. पिंडदानी सिर्फ गेस्ट हाउस और होटल में रुकेंगे, जिससे उन्हें अधिक खर्च करना पड़ेगा. पढ़ें पूरी खबर...

Pind daan
पिंडदान
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Published : Sep 19, 2021, 1:53 PM IST

गया: इस साल पितृपक्ष (Pitru Paksha) 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक है. गयाजी में सनातन धर्मावलंबी देश-विदेश से हर साल लाखों की संख्या में पिंडदान (Pind Daan in Gaya) करने आते हैं. यहां आनेवाले बहुत से तीर्थयात्री पंडों के घरों में रुकते हैं. इस साल कोरोना महामारी का हवाला देकर जिला प्रशासन ने पंडों के घरों में पिंडदानियों के ठहरने पर रोक लगा दिया है.

यह भी पढ़ें- गया में पिंडदान को लेकर तैयारियां पूरी, कोरोना काल में जान लें नए नियम

दरअसल, भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से आश्विन अमावस्या तक पितृपक्ष की अवधि होती है. इसका विशेष महत्व है. गया आने के बाद श्रद्धालु पिंडदान व तर्पण करने के पूर्व तीर्थ पुरोहित गयापाल पंडा का चरण पूजन कर श्राद्ध करने की अनुमति लेते हैं. इसके बाद वे अपनी सुविधा और क्षमता के अनुसार 1 दिन से लेकर 17 दिनों तक का श्राद्धकर्म करते हैं. कई पिंडदानी पंडा के यहां आश्रय लेते हैं. इस साल जिला प्रशासन ने पंडों के घरों या निजी मकानों में यात्रियों के ठहरने पर रोक लगा दिया है. पिंडदानी सिर्फ गेस्ट हाउस और होटल में रुकेंगे. इससे उन्हें अधिक खर्च करना पड़ेगा.

देखें वीडियो

जिला प्रशासन के इस आदेश से पंडा समुदाय में नाराजगी है. विष्णुपद प्रबन्धकारिणी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शंभूलाल बीठल ने कहा, 'पंडा के घर यात्रियों के ठहरने पर रोक के संबंध में जिला प्रशासन की तरफ से लिखित आदेश नहीं आया है. जिला प्रशासन के साथ पूर्व में हुई बैठक में इसकी चर्चा नहीं की गई थी. प्रभारी मंत्री सैयद शहनवाज हुसैन ने भी इस बारे में कुछ नहीं कहा है. जिला प्रशासन और प्रभारी मंत्री द्वारा बताया गया है कि राजकीय मेला नहीं लगेगा, लेकिन गयाजी में पिंडदान होगा.'

"हमलोगों ने हर साल की तरह व्यवस्था कर ली है. जब राजकीय मेला नहीं लगेगा तो जिला प्रशासन यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था नहीं करेगी. जो तीर्थयात्री कर्मकांड करने और पंडा को दक्षिणा देने में सक्षम नहीं होते हैं वैसे यात्री कहां रुकेंगे? जिला पदाधिकारी को अंतिम व्यक्ति को ध्यान में रखकर पुनः विचार करना चाहिए."- शंभूलाल बीठल, कार्यकारी अध्यक्ष, विष्णुपद प्रबन्धकारिणी समिति

बता दें कि गया जिला प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि ऐसी सूचना प्राप्त हो रही है कि कुछ पंडा द्वारा पितृतर्पण हेतु आने वाले पिंडदानियों को निजी मकान में ठहराए जाने की व्यवस्था की जा रही है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह अवैध है. पूर्व के वर्षों में पंडा समाज को संवाद सदन समिति द्वारा लाइसेंस निर्गत किए जाते थे, जिसके आलोक में पंडा लोगों को निजी घरों में ठहराते थे. इस बार कोरोना संक्रमण के कारण संवाद सदन समिति द्वारा लाइसेंस निर्गत नहीं किए जा रहे हैं.

जिला प्रशासन द्वारा जिलावासियों और पंडा समाज को निर्देश दिया गया है कि वे कोविड 19 संक्रमण को देखते हुए पिंडदानियों को निजी घरों में नहीं ठहराएं. जो लोग पिंडदानियों को अपने घरों में ठहराएंगे उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी.

नोट- गया आ रहे पिंडदान करने वाले यात्री रेलवे स्टेशन पर बने पुलिस कैंप, जिला प्रशासन के कैंप या फिर पंडा समाज के कैंप से संपर्क कर श्राद्ध से संबंधित जानकारी ले सकते हैं. जिला प्रशासन की ओर से तीर्थ यात्रियों के लिए एक कंट्रोल रूम की व्यवस्था की जा रही है. इसका नंबर-0631 2222 253, 2222259 है. विष्णुपद मंदिर स्थित संवाद सदन में भी एक कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है. यहां भी तीर्थ यात्री अपनी समस्या का समाधान करा सकते हैं.

यह भी पढ़ें- तेजस्वी, मीसा भारती, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के बेटे समेत 6 पर FIR दर्ज

गया: इस साल पितृपक्ष (Pitru Paksha) 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक है. गयाजी में सनातन धर्मावलंबी देश-विदेश से हर साल लाखों की संख्या में पिंडदान (Pind Daan in Gaya) करने आते हैं. यहां आनेवाले बहुत से तीर्थयात्री पंडों के घरों में रुकते हैं. इस साल कोरोना महामारी का हवाला देकर जिला प्रशासन ने पंडों के घरों में पिंडदानियों के ठहरने पर रोक लगा दिया है.

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दरअसल, भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से आश्विन अमावस्या तक पितृपक्ष की अवधि होती है. इसका विशेष महत्व है. गया आने के बाद श्रद्धालु पिंडदान व तर्पण करने के पूर्व तीर्थ पुरोहित गयापाल पंडा का चरण पूजन कर श्राद्ध करने की अनुमति लेते हैं. इसके बाद वे अपनी सुविधा और क्षमता के अनुसार 1 दिन से लेकर 17 दिनों तक का श्राद्धकर्म करते हैं. कई पिंडदानी पंडा के यहां आश्रय लेते हैं. इस साल जिला प्रशासन ने पंडों के घरों या निजी मकानों में यात्रियों के ठहरने पर रोक लगा दिया है. पिंडदानी सिर्फ गेस्ट हाउस और होटल में रुकेंगे. इससे उन्हें अधिक खर्च करना पड़ेगा.

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जिला प्रशासन के इस आदेश से पंडा समुदाय में नाराजगी है. विष्णुपद प्रबन्धकारिणी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शंभूलाल बीठल ने कहा, 'पंडा के घर यात्रियों के ठहरने पर रोक के संबंध में जिला प्रशासन की तरफ से लिखित आदेश नहीं आया है. जिला प्रशासन के साथ पूर्व में हुई बैठक में इसकी चर्चा नहीं की गई थी. प्रभारी मंत्री सैयद शहनवाज हुसैन ने भी इस बारे में कुछ नहीं कहा है. जिला प्रशासन और प्रभारी मंत्री द्वारा बताया गया है कि राजकीय मेला नहीं लगेगा, लेकिन गयाजी में पिंडदान होगा.'

"हमलोगों ने हर साल की तरह व्यवस्था कर ली है. जब राजकीय मेला नहीं लगेगा तो जिला प्रशासन यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था नहीं करेगी. जो तीर्थयात्री कर्मकांड करने और पंडा को दक्षिणा देने में सक्षम नहीं होते हैं वैसे यात्री कहां रुकेंगे? जिला पदाधिकारी को अंतिम व्यक्ति को ध्यान में रखकर पुनः विचार करना चाहिए."- शंभूलाल बीठल, कार्यकारी अध्यक्ष, विष्णुपद प्रबन्धकारिणी समिति

बता दें कि गया जिला प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि ऐसी सूचना प्राप्त हो रही है कि कुछ पंडा द्वारा पितृतर्पण हेतु आने वाले पिंडदानियों को निजी मकान में ठहराए जाने की व्यवस्था की जा रही है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह अवैध है. पूर्व के वर्षों में पंडा समाज को संवाद सदन समिति द्वारा लाइसेंस निर्गत किए जाते थे, जिसके आलोक में पंडा लोगों को निजी घरों में ठहराते थे. इस बार कोरोना संक्रमण के कारण संवाद सदन समिति द्वारा लाइसेंस निर्गत नहीं किए जा रहे हैं.

जिला प्रशासन द्वारा जिलावासियों और पंडा समाज को निर्देश दिया गया है कि वे कोविड 19 संक्रमण को देखते हुए पिंडदानियों को निजी घरों में नहीं ठहराएं. जो लोग पिंडदानियों को अपने घरों में ठहराएंगे उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी.

नोट- गया आ रहे पिंडदान करने वाले यात्री रेलवे स्टेशन पर बने पुलिस कैंप, जिला प्रशासन के कैंप या फिर पंडा समाज के कैंप से संपर्क कर श्राद्ध से संबंधित जानकारी ले सकते हैं. जिला प्रशासन की ओर से तीर्थ यात्रियों के लिए एक कंट्रोल रूम की व्यवस्था की जा रही है. इसका नंबर-0631 2222 253, 2222259 है. विष्णुपद मंदिर स्थित संवाद सदन में भी एक कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है. यहां भी तीर्थ यात्री अपनी समस्या का समाधान करा सकते हैं.

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