गया: बिहार के जिले के इमामगंज के जंगल से दुर्लभ प्रजाति की पैंगोलिन की बरामदगी की गई है. इमामगंज के लूटीटांड़ के जंगल में सशस्त्र सीमा बल और वन विभाग की टीम ने यह कार्रवाई की है. हालांकि तस्कर अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया. पैंगोलिन एक ऐसा जीव है, जिसकी तस्करी पूरी दुनिया में होती है. इसका प्रयोग यौन वर्धक दवाओं को बनाने में किया जाता है.
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गया में पैंगोलिन बरामद : जानकारी के अनुसार इसकी तस्करी कर माफिया लाखों कमाते हैं. इसी मंशा के साथ इसकी तस्करी करने की कोशिश की जा रही थी. इस बीच, मंगलवार की शाम, सशस्त्र सीमा बल को गया जिले के लूटीटाड़ के जंगल में तस्कर पैंगोलिन नाम के दुर्लभ जीव की तस्करी की खबर मिली.
देर रात जंगल में की गई कार्रवाई : पैंगोलिन की तस्करी की खबर मिलते ही, 29वी वाहिनी के कमांडेंट हरे कृष्ण गुप्ता के निर्देश पर सलैया के सहायक सेनानायक के नेतृत्व में टीम गठित की गई. साथ ही वन विभाग को भी इसकी सूचना दी गई. इसके बाद देर रात गया जिले के इमामगंज थाना अंतर्गत लूटीटाड़ के जंगलों में छापेमारी की गई. पेट्रोलिंग के दौरान टीम की नजर एक शख्स पर पड़ी जिसके हाथ में एक थैला था.
डब्बे को खोला तो निकला पैंगोलिन, तस्कर फरार : इस बीच एसएसबी और वन विभाग को इसकी सूचना मिली. सूचना मिलने के बाद गया जिले के इमामगंज थाना अंतर्गत लूटीटाड़ के जंगलों में छापेमारी की गई. पेट्रोलिंग टीम को देखते ही भागने लगा. एसएसबी के जवानों ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह फरार होने में सफल रहा. हालांकि जब थैले की जांच की गई तो उसमें एक डब्बा था, डब्बे को जब खोला गया तो उसमें से दुर्लभ जीव पैंगोलिन बरामद हुआ.
दुर्लभ प्रजाति का जीव है पैंगोलिन : इससे पहले भी गया में पैंगोलिन का नाखून आदि की बरामदगी की जा चुकी है. एसएसबी और वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एक पैंगोलिन की बरामद की गई है. मामले में आगे कार्रवाई की जा रही है. पैंगोलिन दुर्लभ प्रजाति की अब हुई है और इस पर तस्करों की निगाहें रहती है.
पैंगोलिन की तस्करी क्यों? : बता दें कि विलुप्त प्रजाति का पैंगोलिन अफ्रीका और एशिया के जंगलों में पाया जाता है. पैंगोलिन की आठ प्रजाति होती हैं. भारत में चीनी प्रजाति पाए जाते है. भारत में पैंगोलिन को सल्लू सांप के नाम से भी जाना जाता है. इसके मांस, चमड़ी, शल्क और हड्डियों की तस्करी अंतरराष्ट्रीय बाजार में होती है. पैंगोलिन का इस्तेमाल खासकर यौन वर्धक दवाओं को बनाने में किया जाता है. भारत में इसकी कीमत करीब 12 से 15 लाख है. वहीं विदेशी बाजार में इसके शल्कों की कीमत करोड़ों में है.