ETV Bharat / state

गया: सूरत हादसे के बाद भी नहीं खुली है बिहार सरकार की नींद, स्कूलों में लगे हैं EXPIRY अग्निशमन यंत्र

गया के लगभग 80 प्रतिशत स्कूलों में मध्याह्न भोजन लकड़ी के चूल्हा पर बनता है. ये भोजन स्कूल के प्रांगण, यहां तक की कई स्कूलों में तो क्लास रूम में बनाए जाते हैं. ऐसे में इन विद्यालयों में आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. व्यवहारिक तौर पर बाल्टी में बालू भी भरकर नहीं रखा गया है.

gaya
gaya
author img

By

Published : Dec 6, 2019, 3:55 AM IST

गया: कुछ महीने पहले गुजरात के एक कोचिंग संस्थान में आग लगने से कई बच्चे झुलस गए थे. इस घटना से पूरा देश सहम गया था. इसके बाद बिहार सरकार ने आग से बचाव के लिए सरकारी स्कूलों को अग्निशमन यंत्र लगाने का निर्देश दिया था. इसके लिए राशि भी आवंटित किया गया. लेकिन ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल शुरू की तो शहर के बड़े सरकारी विद्यालयों में आग से बचाव के लिए समुचित व्यवस्था नहीं मिली. यहां तक की सुरक्षा के नाम पर स्कूलों में एक्सपायरी अग्निशमन यंत्र लगा हुआ है.

अग्निशमन यंत्र शोभा की वस्तु
ईटीवी भारत की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो शहर के दो स्कूलों में अग्निशमन यंत्र शोभा की वस्तु बनी हुई है. ये यंत्र कब का एक्सपायरी हो चुके हैं. आलम यह है कि इन यंत्रों का उपयोग कैसे किया जाता यह भी किसी को पता नहीं है. इन स्कूलों में व्यवहारिक और तकनीकी रूप से आग से बचाव के लिए कुछ खास व्यवस्था नहीं है.

gaya
स्कूलों में लगे हैं एक्सपायरी अग्निशमन यंत्र

आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं
गया के लगभग 80 प्रतिशत स्कूलों में मध्याह्न भोजन लकड़ी के चूल्हा पर बनता है. ये भोजन स्कूल के प्रांगण, यहां तक की कई स्कूलों में तो क्लास रूम में बनाए जाते हैं. ऐसे में इन विद्यालयों में आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. व्यवहारिक तौर पर बाल्टी में बालू भी भरकर नहीं रखा गया है.

विद्यालय में नहीं पहुंची एडजवारी और राशि
सरकार के तरफ से एडजवारी और राशि दोनों जारी किया गया लेकिन किसी भी विद्यालय में अब तक एडजवारी और राशि नहीं पहुंची है. शहरी क्षेत्रों के सरकारी विद्यालय में तो शोभा के लिए सही अग्निशमन सिलेंडर तो लगाया गया है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कोई व्यवस्था नहीं है. यहां तक की विद्यालयों के प्रधानचार्य और शिक्षकों भी नहीं मालूम है कि स्कूल में अग्निशमन यंत्र लगाना है.

gaya
राजकीय कन्या प्लस+2 हाई स्कूल

राजकीय कन्या प्लस+2 हाई स्कूल का हाल
शहर के रामना रोड स्थित राजकीय कन्या प्लस+2 हाई स्कूल में प्राचार्य सरोज कुमारी से अग्निशमन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सरकार के द्वारा किसी तरह की राशि का आवंटन नहीं किया गया है. लेकिन, अपने स्कूल के राशि से आठ अग्निशमन सिलेंडर को खरीदा गया है.

यहां 600 लड़कियां पढ़ती है. इसे ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने अपने स्तर से अग्निशमन सिलेंडर को खरीदा है. हालांकि स्कूल में छात्राओं और क्लास रूम की अपेक्षा ये काफी कम है. ये व्यवस्था स्कूल ने खुद से किया है. यहां तक स्कूल के किसी भी शिक्षक और कर्मचारी को सिलेंडर रखरखाव और उपयोग के बारे में जानकारी नहीं है.

खास रिपोर्ट

कृष्णकांत मध्य विद्यालय में एक्सपयारी अग्निशामक सिलेंडर
ईटीवी भारत की टीम ने शहर के शहमीर तकिया स्थित कृष्णकांत मध्य विद्यालय में पड़ताल भी पड़ताल किया. यहां की व्यवस्था हादसों को आमंत्रण देने के तैयार हैं. इस स्कूल की छत का पिलर और बीम लकड़ी का बना हुआ उस पर बिजली की तार भी लगी हैं. इस स्कूल में 210 छात्राएं पढ़ती हैं.

इस संबंध में ईटीवी भारत ने जब इसके बारे प्रधानाचार्य गीता रानी से पूछा तो उन्होंने बंद अलमारी में एक्सपयारी डेट के अग्निशामक सिलेंडर को निकाल कर दिखाया. जब इसके बारे में पूछा गया तो बताया गया कि सिलेंडर 10 वर्ष पुराना है. लेकिन, किस राशि से खरीदा गया है उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है. प्रधानचार्य ने कहा विद्यालय तो बहुत पुराना है. मैं 1999 से इस स्कूल में हुं तब से यह ऐसा ही है. स्कूल में अग्निशमन सिलेंडर लगाया जाए इसके बारे में विभाग को अवगत कराया जाएगा. लेकिन, इधर कई वर्षों से सरकार के द्वारा किसी भी राशि आवंटन नहीं किया गया है.

गया: कुछ महीने पहले गुजरात के एक कोचिंग संस्थान में आग लगने से कई बच्चे झुलस गए थे. इस घटना से पूरा देश सहम गया था. इसके बाद बिहार सरकार ने आग से बचाव के लिए सरकारी स्कूलों को अग्निशमन यंत्र लगाने का निर्देश दिया था. इसके लिए राशि भी आवंटित किया गया. लेकिन ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल शुरू की तो शहर के बड़े सरकारी विद्यालयों में आग से बचाव के लिए समुचित व्यवस्था नहीं मिली. यहां तक की सुरक्षा के नाम पर स्कूलों में एक्सपायरी अग्निशमन यंत्र लगा हुआ है.

अग्निशमन यंत्र शोभा की वस्तु
ईटीवी भारत की टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो शहर के दो स्कूलों में अग्निशमन यंत्र शोभा की वस्तु बनी हुई है. ये यंत्र कब का एक्सपायरी हो चुके हैं. आलम यह है कि इन यंत्रों का उपयोग कैसे किया जाता यह भी किसी को पता नहीं है. इन स्कूलों में व्यवहारिक और तकनीकी रूप से आग से बचाव के लिए कुछ खास व्यवस्था नहीं है.

gaya
स्कूलों में लगे हैं एक्सपायरी अग्निशमन यंत्र

आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं
गया के लगभग 80 प्रतिशत स्कूलों में मध्याह्न भोजन लकड़ी के चूल्हा पर बनता है. ये भोजन स्कूल के प्रांगण, यहां तक की कई स्कूलों में तो क्लास रूम में बनाए जाते हैं. ऐसे में इन विद्यालयों में आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. व्यवहारिक तौर पर बाल्टी में बालू भी भरकर नहीं रखा गया है.

विद्यालय में नहीं पहुंची एडजवारी और राशि
सरकार के तरफ से एडजवारी और राशि दोनों जारी किया गया लेकिन किसी भी विद्यालय में अब तक एडजवारी और राशि नहीं पहुंची है. शहरी क्षेत्रों के सरकारी विद्यालय में तो शोभा के लिए सही अग्निशमन सिलेंडर तो लगाया गया है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कोई व्यवस्था नहीं है. यहां तक की विद्यालयों के प्रधानचार्य और शिक्षकों भी नहीं मालूम है कि स्कूल में अग्निशमन यंत्र लगाना है.

gaya
राजकीय कन्या प्लस+2 हाई स्कूल

राजकीय कन्या प्लस+2 हाई स्कूल का हाल
शहर के रामना रोड स्थित राजकीय कन्या प्लस+2 हाई स्कूल में प्राचार्य सरोज कुमारी से अग्निशमन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सरकार के द्वारा किसी तरह की राशि का आवंटन नहीं किया गया है. लेकिन, अपने स्कूल के राशि से आठ अग्निशमन सिलेंडर को खरीदा गया है.

यहां 600 लड़कियां पढ़ती है. इसे ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने अपने स्तर से अग्निशमन सिलेंडर को खरीदा है. हालांकि स्कूल में छात्राओं और क्लास रूम की अपेक्षा ये काफी कम है. ये व्यवस्था स्कूल ने खुद से किया है. यहां तक स्कूल के किसी भी शिक्षक और कर्मचारी को सिलेंडर रखरखाव और उपयोग के बारे में जानकारी नहीं है.

खास रिपोर्ट

कृष्णकांत मध्य विद्यालय में एक्सपयारी अग्निशामक सिलेंडर
ईटीवी भारत की टीम ने शहर के शहमीर तकिया स्थित कृष्णकांत मध्य विद्यालय में पड़ताल भी पड़ताल किया. यहां की व्यवस्था हादसों को आमंत्रण देने के तैयार हैं. इस स्कूल की छत का पिलर और बीम लकड़ी का बना हुआ उस पर बिजली की तार भी लगी हैं. इस स्कूल में 210 छात्राएं पढ़ती हैं.

इस संबंध में ईटीवी भारत ने जब इसके बारे प्रधानाचार्य गीता रानी से पूछा तो उन्होंने बंद अलमारी में एक्सपयारी डेट के अग्निशामक सिलेंडर को निकाल कर दिखाया. जब इसके बारे में पूछा गया तो बताया गया कि सिलेंडर 10 वर्ष पुराना है. लेकिन, किस राशि से खरीदा गया है उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है. प्रधानचार्य ने कहा विद्यालय तो बहुत पुराना है. मैं 1999 से इस स्कूल में हुं तब से यह ऐसा ही है. स्कूल में अग्निशमन सिलेंडर लगाया जाए इसके बारे में विभाग को अवगत कराया जाएगा. लेकिन, इधर कई वर्षों से सरकार के द्वारा किसी भी राशि आवंटन नहीं किया गया है.

Intro:कुछ माह पूर्व गुजरात एक कोचिंग संस्थान में आग लगने से कई बच्चे झुलस गए थे इस घटना से पूरा देश सहम गया था। बिहार सरकार ने आग से बचाव के लिए सरकारी स्कूलों को अग्निशमन यंत्र लगाने का निर्देश दिया गया ,इसके लिए राशि भी आवंटित किया गया है लेकिन ईटीवी के पड़ताल में शहर के बड़े सरकारी विद्यालयों में आग से बचाव के लिए समुचित व्यवस्था नही था। यहां तक सुरक्षा के नाम पर स्कूलों में एक्सपायरी अग्निशमन यंत्र लगा हुआ है।


Body:गया शहर के सरकारी विद्यालयों में आग से बचाव के लिए क्या व्यवस्था किया गया इसका पड़ताल ईटीवी भारत ने की। शहर के दो स्कूलों में पड़ताल किया गया दोनो स्कूलों में अग्निशमन यंत्र शोभा का वस्तु बना हुआ है। वो कब एक्सपायरी हुआ कैसे उपयोग किया जाता है किसी को नही मालूम नही है। इन स्कूलों में व्यवहारिक और तकनीकी रूप से आग से बचाव के लिए कुछ खास व्यवस्था नही है।

गया जिला के लगभग 80 प्रतिशत स्कूलों में मिडेमिल लकड़ी के चूल्हा पर बनता है स्कूल के प्रांगण और कई स्कूलों में क्लास रूम में बनाया जाता है ऐसे में इन विद्यालयों में आग से बचाव के लिए कोई व्यवस्था नही है। व्यवहारिक तौर पर बाल्टी में बालू भी भरकर नही रखा गया है।

सरकार के तरफ से एडजवारी और राशि दोनो जारी किया गया लेकिन किसी भी विद्यालय में अब तक एडजवारी और राशि नही पहुचा है। शहरी क्षेत्रों के सरकारी विद्यालय में तो शोभा के लिए सही अग्निशमन सिलेंडर तो लगाया गया है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में कोई व्यवस्था नही है यहां तक विद्यालयों के प्रधानचार्य और शिक्षकों भी नही मालूम है स्कूल में अग्निशमन यंत्र लगाना हैं।

शहर के रामना रोड स्थित राजकीय कन्या प्लस2 हाई स्कूल में प्राचार्य सरोज कुमारी से अग्निशमन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सरकार के द्वारा किसी तरह का आवंटन नहीं किया गया है लेकिन अपने स्कूल के राशि से आठ अग्निशमन सिलेंडर को खरीदा गया है यहां 600 लड़कियां पढ़ती है इस को ध्यान में रखते हुए हम लोगों ने अपने स्तर से अग्निशमन सिलेंडर को खरीदा है।

हालांकि स्कूल मे छात्राओं और क्लासरूम के अपेक्षा ये काफी कम है और ये व्यवस्था स्कूल ने खुद से किया है यहां तक स्कूल के किसी भी शिक्षक और कर्मचारी को सिलेंडर रखरखाव और उपयोग के बारे में जानकारी नही है।

ईटीवी भारत शहर के शहमीर तकिया स्थित कृष्णकांत मध्य विद्यालय में पड़ताल करने गया , वहां का व्यवस्था हादसा का आमंत्रण देने के तैयार हैं। इस स्कूल की छत की पिलर और बीम लकड़ी का बना हुआ उस पर बिजली की तार को दौड़ाया गया है। इस स्कूल में 210 छात्राएं पढ़ती हैं। इस संबंध में ईटीवी भारत ने जब इसके बारे प्रधानाचार्य गीता रानी से पूछा तो उन्होंने बंद अलमारी एक्सपयारी डेट का अग्निशामक सिलेंडर को निकाल कर दिखाया जब इसके बारे में पूछा गया तो बताया गया कि सिलेंडर 10 वर्ष पुराना है लेकिन किस राशि से खरीदा गया है उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। प्रधानचार्य ने कहा विद्यालय तो बहुत पुराना है मैं 1999 से इस स्कूल में हु तब से ऐसा है। स्कूल में अग्निशमन सिलेंडर लगाया जाए इसके बारे में विभाग को अवगत कराया जाएगा लेकिन इधर कई वर्षों से सरकार के द्वारा आवंटन नहीं किया गया है।



Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.