गया: गुलाबी ठंड के दस्तक देते ही मोक्षदायिनी फल्गु नदी पश्चिमी तट पर एक लकीर की तरह बहने लगती है. इस लकीर में शहर के पांच बड़े नालों का पानी समाहित होता है. वहीं आस्था का महापर्व में छठ व्रती कीचड़ में अर्घ्य देंगे. हालांकि जिला प्रशासन और नगर निगम नाले के बहाव को अलग करने का प्रयास कर रहा है.
भगवान विष्णु विराजमान
दरअसल मोक्षदायिनी फल्गु नदी सनातन धर्म में बड़ा महत्व रखता है. इसे लेकर कहा जाता है कि फल्गु नदी की जल के कण-कण में भगवान विष्णु विराजमान हैं. आज पवित्र नदियों में एक फल्गु नदी में नाले का गंदा पानी गिरने से अपवित्र है.
जानिए क्या है कहानी?
फल्गु नदी के बारे में एक दंत कथा प्रसिद्ध है. भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण अपने पिता दशरथ की मृत्यु उपरांत गया जी में पिंडदान करने आए थे. इस दौरान पिंडदान का सामाग्री लाने दोनों भाई नगर में चले गए. वहीं माता सीता फल्गु नदी में अठखेलियां कर रही थी. इसी बीच आकाशवाणी हुआ कि पुत्री पिंडदान का वक्त हो गया है, मुझे पिंड दो. माता सीता ने फल्गु नदी, गाय, ब्राह्मण और अक्षयवट को साक्षी रखकर राजा दशरथ को बालू का पिंडदान दी. भगवान राम और लक्ष्मण के वापस आने पर माता सीता ने पूरा वाक्या बताया, लेकिन भगवान राम को भरोसा नहीं हुआ. माता सीता ने साक्षी चारों से पूछा लेकिन ब्राह्मण, फल्गु और गौ ने कह दिया कि माता सीता ने पिंडदान नहीं किया है. माता सीता आक्रोशित होकर फल्गु नदी को अततः सलिला होने का श्राप दे दी थी.
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मोक्ष की प्राप्ति
सनातन धार्मिक मान्यता है कि फल्गु की एक बूंद से तर्पण करने पर पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. फल्गु नदी पांच नदियों के संगम से उत्पन्न हुई है. आस्था का महापर्व में छठ व्रती भगवान भास्कर को अर्घ्य देने फल्गु नदी जाते हैं. फल्गु नदी में स्थित घाटों पर हजारों की भीड़ होती है. इस बार फल्गु नदी के पश्चिम तट पर बह रही है. श्रद्धालु पैदल चलकर नदी की धार तक पहुचेंगे. इससे पहले छठ व्रतियों को नाले के पानी से होकर गुजरना पड़ेगा.
जिलाधिकारी ने दी सफाई
इस संबंध में जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा कि नगर निगम ने नदी में नाले की पानी को रोकने की समुचित व्यवस्था कर ली जाएगी. केंद्र सरकार और बिहार सरकार के माध्यम से फल्गु नदी में स्वच्छ और सालों भर पानी रहने के लिए कई योजनाओं को शुरू किया गया है. फल्गु नदी की धार्मिक महत्व को देखते हुए पूरे साल फल्गु नदी में पानी रहा है, जिससे लोग पिंडदान के विधि-विधान में उपयोग कर सकें.
फल्गु नदी में बनाया जाएगा रबर डैम
फल्गु नदी में रबर डैम बनाया जा रहा है. वहीं फल्गु नदी दूषित न हो इसके लिए फल्गु में गिरने वाले सभी नालों को एक सीवरेज के माध्यम से दूर ले जाकर छोड़ा जाएगा. ये दोनों कार्यों से फल्गु पहले जैसा स्वरुप में दिखने लगेगा. चुनाव के पूर्व विष्णुपद मंदिर के निकट फल्गु नदी के बाएं तट 226 करोड़ रुपये के खर्च से बनने वाला रबर डैम का शिलान्यास किया था.