गया: मगध क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल मगध मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल है. यहां इमरजेंसी में मरीजों की संख्या बढ़ते देख एक और नया इमरजेंसी वॉर्ड बनाया गया है. इसका भवन तो बनकर तैयार है. मगर ये नया वॉर्ड परिसर उद्घाटन की राह देख रहा है. वहीं, भवन निर्माण के चंद दिनों के अंदर ही इसकी दीवारों पर दरारें भी पड़ गयी हैं.
आपातकाल स्थिति में कई जिलों के मरीज मगध मेडिकल कॉलेज आते हैं. अक्सर यहां मरीजों की संख्या इतनी बढ़ जाती है कि कई को वॉर्ड तो छोड़िए, बेड तक नसीब नहीं होता है. मरीज बीमारी से तड़पता रहता है. कई मरीज दम तक तोड़ देते हैं. मगध मेडिकल कॉलेज की बदहाल हालात को देखते हुए बड़े पैमाने पर सुसज्जित, सभी सुविधाओं से लैस इमरजेंसी भवन बनाया गया था. यह इमरजेंसी भवन उद्घाटन की राह देख रहा है. इस उद्घाटन के इंतजार में भवन के अंदर और बाहर की दीवारों में दरारें आ गई हैं.
नया भवन और हालात जर्जर
नया भवन, जिसका अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ है, जिस पर रंग चढ़ाए कुछ दिन ही हुए हैं. उसकी दीवारों पर दरार पड़ जाना निश्चय ही महामिलावट का जीता जागता उदाहरण है. इसी बीच मीडियाकर्मियों के सवाल-जवाब के बाद दीवारों पर लीपापोती होने लगती है. वहीं, भ्रष्टाचार की मिलावट की सीमेंट से बनी इमरजेंसी वार्ड की दीवारों के तले कब जिंदगी और मौत से जूझते मरीजों का इलाज होगा, ये तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन उससे पहले इस बात की जांच होनी चाहिए कि आखिर कैसे लाखों की लागत से बने इस वार्ड की दीवारों पर दरारें पड़ गईं.
इन्हें नहीं दिखाई दी दरारें
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल अधीक्षक विजय कृष्ण ने बताया कि 'नए भवन में ऑक्सीजन पाइपलाइन नहीं बिछी हैं. शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. निर्माण होते ही उद्घाटन कराया जाएगा. भवन के दीवार में दरार पड़ने की सूचना नहीं है. मैं अक्सर जाकर देखता हूं. कही भीं इस तरह का नहीं दिखाई देता है. अगर दीवार में दरार पड़ रही है, तो संज्ञान में आने पर संबंधित एजेंसी को बोला जाएगा. उसकी मरम्मत करायी जाएगी.'