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इस खास प्रयोग के बाद अब नक्सलियों का सॉफ्ट टारगेट नहीं रहा मोबाइल टावर - Naxalite affected area in Gaya

बीएसएनएल के महाप्रबंधक ने बताया कि दो साल पहले नक्सलियों ने हमारे टावर को जला दिया था. लेकिन 2 साल के अंदर सुरक्षाबलों के भय के कारण नक्सली घटनाओं में कमी हुई है.

सुरक्षित मोबाइल टॉवर
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Published : Aug 12, 2019, 8:33 AM IST

गया: राज्य के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र गया में अभी भी नक्सली संगठन सक्रिय हैं. समय के साथ ये हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं. हालांकि पहले की अपेक्षा इस समय घटनाओं में कमी आई है. नक्सली पहले किसी घटना को अंजाम देने से पहले मोबाइल टावर को नुकसान पहुंचाते थे. लेकिन पिछले दो वर्षों से नक्सलियों ने किसी भी कंपनी के मोबाइल टॉवर को नुकसान नहीं पहुंचाया है.

सुरक्षा एजेंसी और बीएसएनएल ने किया प्रयोग
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नक्सली अपने सॉफ्ट टारगेट मोबाइल टॉवर को जलाकर या उड़ाकर अपना दहशत कायम करते थे. नक्सलियों द्वारा मोबाइल टॉवर उड़ा देने के कई महीनों तक सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोगों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट जाता था. इसी बीच नक्सली अपना पांव आसानी से पसारते थे. नक्सलियों के इस कारनामे के जवाब में बीएसएनएल और सुरक्षा एजेंसी ने एक प्रयोग किया कि मोबाइल टावर सरकारी भवन या सुरक्षा बल कैम्प के परिसर में लगाया. यह प्रयोग इतना सफल रहा कि जिले में सैकड़ों नक्सली घटनाएं घटित हुए, लेकिन एक भी मोबाइल टॉवर को हानि नहीं पहुंचा.

gaya news
सुरक्षित मोबाइल टॉवर

सुरक्षा बलों के घेरे में लगाए गए टावर
अब गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कई कंपनियों के मोबाइल टावर सुरक्षा बलों के घेरों में है. गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र इमामगंज, डुमरिया, बांके बाजर और शेरघाटी में सीआरपीएफ, एसएसबी कैम्प और थाना परिसर में मोबाइल टॉवर लगाया गया है. पहले इन इलाकों में सुरक्षा बलों के घेरे से बाहर लगे कई मोबाइल टॉवर को नक्सलियों ने जला दिया था.

जानकारी देते एस.के. चौरसिया बीएसएनएल के महाप्रबंधक

'नक्सली घटनाओं में कमी के कारण टावर हैं सुरक्षित'
बीएसएनएल के महाप्रबंधक एस.के. चौरसिया ने बताया कि दो साल पहले नक्सलियों ने हमारे टावर को जला दिया था. लेकिन 2 साल के अंदर सुरक्षाबलों के भय के कारण नक्सली घटनाओं में कमी हुई है. नक्सल क्षेत्र में हमारे 130 टावर लगे हुए हैं. ज्यादातर टावर थाना के नजदीक या उसके परिसर में ही लगाया गया है. हम लोगों को विभाग की तरफ से आदेश मिले हैं कि जो भी टावर नक्सली प्रभावित क्षेत्र में लगाया जाए वह सरकारी भवनों और सुरक्षाबलों के कैम्प के नजदीक में लगाया जाए. बता दें कि पहले नक्सलियों का टारगेट टावर हुआ करता था. नक्सली टावर को उड़ा देते थे जिससे ग्रामीणों का प्रशासन से संपर्क टूट जाए और वह घटना को अंजाम दे सकें. इसमें कमी आई है.

गया: राज्य के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र गया में अभी भी नक्सली संगठन सक्रिय हैं. समय के साथ ये हिंसात्मक घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं. हालांकि पहले की अपेक्षा इस समय घटनाओं में कमी आई है. नक्सली पहले किसी घटना को अंजाम देने से पहले मोबाइल टावर को नुकसान पहुंचाते थे. लेकिन पिछले दो वर्षों से नक्सलियों ने किसी भी कंपनी के मोबाइल टॉवर को नुकसान नहीं पहुंचाया है.

सुरक्षा एजेंसी और बीएसएनएल ने किया प्रयोग
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नक्सली अपने सॉफ्ट टारगेट मोबाइल टॉवर को जलाकर या उड़ाकर अपना दहशत कायम करते थे. नक्सलियों द्वारा मोबाइल टॉवर उड़ा देने के कई महीनों तक सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोगों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट जाता था. इसी बीच नक्सली अपना पांव आसानी से पसारते थे. नक्सलियों के इस कारनामे के जवाब में बीएसएनएल और सुरक्षा एजेंसी ने एक प्रयोग किया कि मोबाइल टावर सरकारी भवन या सुरक्षा बल कैम्प के परिसर में लगाया. यह प्रयोग इतना सफल रहा कि जिले में सैकड़ों नक्सली घटनाएं घटित हुए, लेकिन एक भी मोबाइल टॉवर को हानि नहीं पहुंचा.

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सुरक्षित मोबाइल टॉवर

सुरक्षा बलों के घेरे में लगाए गए टावर
अब गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कई कंपनियों के मोबाइल टावर सुरक्षा बलों के घेरों में है. गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र इमामगंज, डुमरिया, बांके बाजर और शेरघाटी में सीआरपीएफ, एसएसबी कैम्प और थाना परिसर में मोबाइल टॉवर लगाया गया है. पहले इन इलाकों में सुरक्षा बलों के घेरे से बाहर लगे कई मोबाइल टॉवर को नक्सलियों ने जला दिया था.

जानकारी देते एस.के. चौरसिया बीएसएनएल के महाप्रबंधक

'नक्सली घटनाओं में कमी के कारण टावर हैं सुरक्षित'
बीएसएनएल के महाप्रबंधक एस.के. चौरसिया ने बताया कि दो साल पहले नक्सलियों ने हमारे टावर को जला दिया था. लेकिन 2 साल के अंदर सुरक्षाबलों के भय के कारण नक्सली घटनाओं में कमी हुई है. नक्सल क्षेत्र में हमारे 130 टावर लगे हुए हैं. ज्यादातर टावर थाना के नजदीक या उसके परिसर में ही लगाया गया है. हम लोगों को विभाग की तरफ से आदेश मिले हैं कि जो भी टावर नक्सली प्रभावित क्षेत्र में लगाया जाए वह सरकारी भवनों और सुरक्षाबलों के कैम्प के नजदीक में लगाया जाए. बता दें कि पहले नक्सलियों का टारगेट टावर हुआ करता था. नक्सली टावर को उड़ा देते थे जिससे ग्रामीणों का प्रशासन से संपर्क टूट जाए और वह घटना को अंजाम दे सकें. इसमें कमी आई है.

Intro:बिहार का अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र गया है, गया में आज के समय नक्सली संगठन सक्रिय हैं। समय दर समय नक्सली संगठन हिंसात्मक घटनाओं का अंजाम देते रहे हैं। हालांकि के पहले अपेक्षा में घटनाओं में कमी आई है। नक्सल जब चरम सीमा पर था तब नक्सली मोबाइल टावर को नुकसान पहुचाते थे। लेकिन बिगत दो वर्षों से नक्सलियों ने किसी भी कंपनी के टॉवर को नुकसान नही पहुचाया हैं। ये सफलता एक प्रयोग करने से मिला हैं।


Body:नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नक्सलियों का सॉफ्ट टारगेट मोबाइल टावर को जलाकर या उड़ाकर अपना दहशत कायम करते थे। नक्सलियों द्वारा मोबाइल टॉवर उड़ा देने के कई महीनों तक सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोगो से संपर्क टूट जाता था। इसी बीच नक्सली अपना पांव और आसानी से फैलाते थे। नक्सलियों के इस कारनामा का जवाब में बीएसएनएल और सुरक्षा ने एजेंसी ने एक प्रयोग किया , मोबाइल टावर सरकारी भवन या सुरक्षा बल कैम्प के परिसर में रहेगा। ये प्रयोग इतना सफल रहा ,गया में सैकड़ों नक्सली घटना घटित हुआ लेकिन एक भी मोबाइल टॉवर को हानि नही पहुँचा।

अब गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विभिन्न कंपनियों के मोबाइल टावर सुरक्षा बलो के घेरों में है। गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र इमामगंज, डुमरिया, बाँकेबाजर और शेरघाटी में सीआरपीएफ, एसएसबी कैम्प और थाना परिसर में मोबाइल टॉवर लगाया गया हैं। इन इलाकों में नक्सलियों ने कई मोबाइल टॉवर को जला दिया था।

बीएसएनएल के महाप्रबंधक एस.के. चौरसिया ने बताया कि दो साल पहले नक्सलियों द्वारा हमारे टावर को जलाया गया था। लेकिन 2 साल के अंदर सुरक्षाबलों के भय के कारण नक्सली घटनाओं मे कमी हुई है नक्सल क्षेत्र में हमारे 130 टावर लगे हुए हैं ज्यादातर टावर थाना के नजदीक एवं उसके परिसर टावर लगाया गया है। हम लोग को एक मौखिक आदेश मिला है कि जो भी टावर नक्सली प्रभावित क्षेत्र में लगाया जाए वह सरकारी भवनों और सुरक्षाबलों के कैम्प के नजदीक में लगाया जाए। नक्सलियों का टारगेट टावर हुआ करता था नक्सलियों टावर को उड़ाकर जिससे ग्रामीणों से संपर्क टूट जाए और अपना घटना को अंजाम दे सके ,इधर 2 वर्षों से ऐसा कोई भी घटना घटित नहीं हुआ है। इसके लिए कहीं से लिखित नहीं है लेकिन पुलिस और विभिन्न मोबाइल कंपनी के अधिकारी आपस में बैठकर निर्णय लिए हैं। इससे टावर भी सुरक्षित हैं और लोगो को अनवरत नेटवर्क भी मिल रहा है।


Conclusion:
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