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12 घंटों तक बुखार से तपते बच्चे को लेकर अस्पताल में भटकते रहे परिजन, मीडिया के दबाव पर शुरू हुआ इलाज

परिजन बच्चे को चमकी का संदिग्ध समझकर रात 2 बजे ही अस्पताल लेकर भागे. परिजनों का कहना है कि बच्चे को काफी तेज बुखार था. लेकिन, अस्पताल प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेने की बजाए उन्हें भगा दिया.

बच्चे को लेकर भटकते रहे परिजन
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Published : Jul 7, 2019, 6:18 PM IST

गया: चंद हफ्तों पहले ही मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे. लेकिन रविवार को इस अस्पताल में एक मार्मिक घटना ने इसकी पोल खोल दी. यहां एक गरीब परिवार अपने बीमार बच्चे को लेकर तकरीबन 12 घंटे तक अस्पताल परिसर में भटकता रहा. लेकिन, कोई उसकी मदद को नहीं आया. बच्चे को तेज बुखार की शिकायत थी.

बच्चे को गोद में उठाकर भटकते रहे परिजन
मामला मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है. जहां एईएस के संदिग्ध मरीज को 12 घंटों तक इलाज नहीं मिला. बच्चे के परिजन जब डॉक्टर और नर्स के पास जाते तो उन्हें डांट कर भगा दिया जाता था. बाद में जब वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने पहल की तो उपाधीक्षक ने मरीज को चमकी के लिए बने इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करवाया.

gaya
हंगामा के बाद हरकत में आया प्रबंधन

रात 2 बजे से अगले दिन 3 बजे तक तपता रहा बच्चा
परिजन बच्चे को चमकी का संदिग्ध समझकर रात 2 बजे ही अस्पताल लेकर भागे. परिजनों का कहना है कि बच्चे को काफी तेज बुखार था. लेकिन, अस्पताल प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेने की बजाए उन्हें भगा दिया. बाद में बहुत कहने पर बच्चे को जनरल वार्ड में रखा गया. लेकिन, कोई डॉक्टर या नर्स उसकी सुध लेने को नहीं पहुंचा. दूसरे दिन दोपहर में जब बच्चे की हालत बिगड़ने लगी तो परिजनों ने प्रबंधन से डिस्चार्ज पेपर मांगे. वह भी उन्हें नहीं दिया गया.

gaya
बिलखते रहे परिजन

मीडियाकर्मियों के हंगामे के बाद पहुंचे उपाधीक्षक
परिजन बच्चे को गोद लेकर मदद के लिए गुहार लगा रहे थे. तब वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने उपाधीक्षक को जवाब-तलब किया. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया और बच्चे को एईएस के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

अस्पताल में कुव्यवस्था की तस्वीरें आई सामने
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बहाल डॉक्टर और नर्स की लापरवाही साफ देखी जा सकती है. मरीजों के लिए वर्तमान में केवल 14 डॉक्टर कार्यरत हैं. पड़ताल के दौरान भी एईएस के इमरजेंसी वार्ड में एक भी डॉक्टर नजर नहीं आये. वार्ड में लगा एसी भी बंद नजर आया. 30 बेड का आईसीयू होने के बावजूद भी मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में रखा जा रहा है.

गया: चंद हफ्तों पहले ही मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे. लेकिन रविवार को इस अस्पताल में एक मार्मिक घटना ने इसकी पोल खोल दी. यहां एक गरीब परिवार अपने बीमार बच्चे को लेकर तकरीबन 12 घंटे तक अस्पताल परिसर में भटकता रहा. लेकिन, कोई उसकी मदद को नहीं आया. बच्चे को तेज बुखार की शिकायत थी.

बच्चे को गोद में उठाकर भटकते रहे परिजन
मामला मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है. जहां एईएस के संदिग्ध मरीज को 12 घंटों तक इलाज नहीं मिला. बच्चे के परिजन जब डॉक्टर और नर्स के पास जाते तो उन्हें डांट कर भगा दिया जाता था. बाद में जब वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने पहल की तो उपाधीक्षक ने मरीज को चमकी के लिए बने इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करवाया.

gaya
हंगामा के बाद हरकत में आया प्रबंधन

रात 2 बजे से अगले दिन 3 बजे तक तपता रहा बच्चा
परिजन बच्चे को चमकी का संदिग्ध समझकर रात 2 बजे ही अस्पताल लेकर भागे. परिजनों का कहना है कि बच्चे को काफी तेज बुखार था. लेकिन, अस्पताल प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेने की बजाए उन्हें भगा दिया. बाद में बहुत कहने पर बच्चे को जनरल वार्ड में रखा गया. लेकिन, कोई डॉक्टर या नर्स उसकी सुध लेने को नहीं पहुंचा. दूसरे दिन दोपहर में जब बच्चे की हालत बिगड़ने लगी तो परिजनों ने प्रबंधन से डिस्चार्ज पेपर मांगे. वह भी उन्हें नहीं दिया गया.

gaya
बिलखते रहे परिजन

मीडियाकर्मियों के हंगामे के बाद पहुंचे उपाधीक्षक
परिजन बच्चे को गोद लेकर मदद के लिए गुहार लगा रहे थे. तब वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने उपाधीक्षक को जवाब-तलब किया. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया और बच्चे को एईएस के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

अस्पताल में कुव्यवस्था की तस्वीरें आई सामने
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बहाल डॉक्टर और नर्स की लापरवाही साफ देखी जा सकती है. मरीजों के लिए वर्तमान में केवल 14 डॉक्टर कार्यरत हैं. पड़ताल के दौरान भी एईएस के इमरजेंसी वार्ड में एक भी डॉक्टर नजर नहीं आये. वार्ड में लगा एसी भी बंद नजर आया. 30 बेड का आईसीयू होने के बावजूद भी मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में रखा जा रहा है.

Intro:मगध क्षेत्र के सबसे बड़ा अस्पताल मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में AES के संदिग्ध मरीज को 12 घण्टे तक डॉक्टर और नर्स ने इलाज नही किया, मरीज के परिजन डॉक्टर व नर्स के पास जाते उनको डांट के भगा दिया जाता था। पत्रकारो के पहल पर उपाधीक्षक ने मरीज को AES के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करवाया।


Body:कुछ दिन पूर्व अस्पताल प्रशासन ने स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़े बड़े दवा कर रहा था लेकिन सारे दावे फैल होते नजर आ रहे हैं। अस्पताल में रात्रि के 2 बजे संदिग्ध aes के मरीज को भर्ती करवाया जाता है। मरीज का शरीर बुखार से तप रहा था फिर भी मरीज को सामान्य वार्ड में रख दिया गया। रात्रि 2 बजे से लेकर दिन के तीन बजे तक कोई डॉक्टर और नर्स उस बच्चा को देखने तक नही गया। परिजन डॉक्टर और नर्स के पास जाते उसको डांट के भगा दिया जाता है। दोपहर के बाद मरीज का हालत खराब होने लगा तो परिजन डिस्चार्ज पेपर मांगने लगे अस्पताल द्वारा वो भी नही दिया गया। मरीज के परिजन बच्चा को लेकर रो रहा था पत्रकारों जब इसकी जानकारी हुआ उपाधीक्षक को बताया उपाधीक्षक ने aes के इमरजेंसी वार्ड में बच्चा को भर्ती करवाया। फिर उसका इलाज शुरू हुआ।

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में AES/JE के मरीज के साथ डॉक्टर और नर्स लापरवाही बरत रहे हैं। ईटीवी ने पड़ताल किया AES/JE मरीजो के लिए वर्तमान 14 डॉक्टर कार्यरत हैं। AES/JE के इमरजेंसी वार्ड एक भी डॉक्टर नजर नही आये। AES/JE वार्ड में एसी लगा हुआ लेकिन बंद था। नर्स से पूछा गया एसी क्यों बन्द हैं नर्स बोलो ठंडा लग रहा है। अस्पताल में जब 30 बेड का आईसीयू तैयार हैं मरीजो को इमरजेंसी वार्ड में रखा जा रहा है।

रात्रि 2:00 बजे से भर्ती आर्यन के नानी फुलवंती देवी शिशु सामान्य वार्ड में गमछा भीगा कर बच्चे के शरीर को पोछ रही थी ताकि थोड़ा भी बुखार कम हो जाए, रोते हुए फूलवंती देवी बतायी मैं खुद अस्पताल में झाड़ू पोछा करती हू, बड़े अस्पताल इसलिए आयी कि बच्चा का इलाज ठीक से हो जाये पर यहां तो कोई इलाज नही कर रहा है। गर्मी यहां इतना है बच्चा बिहोश हो जा रहा है।

मरीज आर्यन के चाचा धर्मेंद्र यादव ने बताया रात्रि 2:00 बजे मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अपने भतीजा आर्यन कुमार का भर्ती करवाया था भर्ती करवाने के बाद भी डॉक्टर इलाज करने नहीं आया। मजबूरन सुबह में डॉक्टर व नर्स के पास जाकर विनती करते रहे कि बच्चे का इलाज कर दीजिए। किसी ने मेरी बिनती नहीं सुनी उसके बाद दोपहर बाद मेरे भतीजा का हालत खराब होने लगा मैं पर्ची मांगने गया कि मुझे पर्ची दे दीजिए हम प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवा लेंगे यहां के कर्मचारी ने जवाब दिया कि जहां जाना है जाओ कहीं जाने से कोई फायदा नहीं होगा। हम गरीब व दिव्यांग हैं इसलिए हमलोग का इलाज नही हो रहा है। भतीजा को बचाना है घर जमीन सब बिक जाए प्राइवेट अस्पताल में जाकर इलाज करवाते।







Conclusion:पत्रकारों के सूचना के बाद उपाधीक्षक ने मरीज आर्यन को सामान्य वार्ड से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करवाया। इमरजेंसी वार्ड में कुछ देर पूर्व एक भी डॉक्टर नहीं थे जब हंगामा होने लगा और उपाधीक्षक वार्ड में जाने लगे तो एक असिस्टेंट प्रोफेसर और एक जूनियर डॉक्टर आकर बच्चा का इलाज करने लगे। बंद एसी भी चालू हो गया। इसके बाद अधीक्षक भी आकर वार्ड का जायजा लिया। डॉक्टर और नर्स को हिदायत दी।

ईटीवी अधीक्षक से सवाल किया कि मीडिया कर्मी और अधीक्षक वार्ड में जाएंगे तभी बच्चों का इलाज होगा इस पर अधीक्षक विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष को डॉक्टरों व अन्य स्टाफ को रोस्टर तैयार करने की बात कही गई है इसके बाद भी अब तक यह काम नहीं हो सका। नर्सों जहां तक मरीजो से व्यवहार ठीक नही है उस पर जांच करवाया जाएगा।

किसी भी मरीज के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए, मरीज अस्पताल में आता है तो उसका इलाज करना चाहिए जहां तक डॉक्टरों से जानकारी मिला है कि मरीज में AES/JE का लक्षण नहीं है इस अस्पताल मरीज सीरियस हो कर आते हैं,उस हालत में भी थोड़ी कठिनाई होती हैं।
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