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पौष माह का मिनी पितृपक्ष मेला आज से शुरू, ढाई लाख से अधिक तीर्थयात्री आएंगे गया - Mini Pitrupaksha Mela of Paush Month in Gayaji

पितरों के मोक्ष के लिए और पिंडदान करने गयाजी (Mini Pitrupaksha Mela of Paush Month in Gayaji) में हर सनातनी परिवार एक बार जरूर आता है. साल में दो पितृपक्ष काल होता है. इस काल में पितरों को पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. साल में पहला आश्विन मास में पितृपक्ष और दूसरा पौष मास पितृपक्ष काल आता है. पौष पितृपक्ष को मिनी पितृपक्ष भी कहा जाता है. पौष मास के कृष्ण पक्ष में अनेकों स्थानों से लोग पिंडदान के लिए आते हैं.

गया में मिनी पितृपक्ष मेला
गया में मिनी पितृपक्ष मेला
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Published : Dec 15, 2022, 6:56 AM IST

गया: आज से बिहार के गया में मिनी पितृपक्ष मेला (Mini Pitrupaksha Mela in Gaya) की शुरुआत हो रही है. इस मास में गयाजी में पिंडदान का अलग महत्व शास्त्रों में दर्शाया गया है. पौष मास में मिनी पितृपक्ष मेला एक माह तक चलता है. इस बार इस मिनी पितृपक्ष मेले में करीब ढाई लाख से अधिक पिंडदानियों के आने की उम्मीद है. देश भर के विभिन्न राज्यों के पिंडदानी यहां पहुंचकर अपने पितरों को मोक्ष की कामना करते हैं.

ये भी पढ़ें: पितृपक्ष मेला में अनोखी आस्था: जिस श्मशान से दूर रहना चाहते हैं लोग, गयाजी में वहां हो रहा पिंडदान

पितरों की शांति के लिए गया में पिंडदान: मिनी पितृपक्ष मेले में एक और तीन दिन का पिंडदान का कर्मकांड करने को अधिकांश पिंडदानी आते हैं. गया में वर्तमान में पिंडदान के लिए 53 वेदियां मौजूद हैं, जो कि गयाजी के पंचकोशी क्षेत्र में स्थित हैं. इसमें प्रमुख वेेदियों में विष्णुपद, देवघाट, प्रेतशिला, अक्षयवट, रामशिला, सीता कुंड समेत अन्य वेेदियां हैं. पहले फल्गु नदी में पिंडदान-तर्पण का कर्मकांड पूरा कराया जाता था लेकिन अब गयाजी डैम बनने के बाद फल्गु नदी में पानी ही पानी है.


गयाजी डैम का पानी नहीं रहा बेहतर: वर्तमान में गयाजी डैम का पानी पिंंडदानियों के लिए बेहतर नहीं बताया जा रहा है. गयाजी डैम में दलदल वाली स्थिति बनी है. वहीं पानी स्नान के लायक भी नहीं बताया जाता है. इसका मुख्य कारण है, पानी का बहाव नहीं होना और पिंडदान तर्पण में उपयोग होने वाली सामग्रियों का पूरी तरह से बाहर नहीं निकाला जाना है. हालांकि प्रशासन का दावा है कि गयाजी डैम को स्वच्छ रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.

गयाजी में पौष माह का मिनी पितृपक्ष मेला
गयाजी में पौष माह का मिनी पितृपक्ष मेला

फल्गु में गंगा स्नान का है अलग है महत्व: माता फल्गु में गंगा स्नान का अपना अलग महत्व है. गंगा स्नान करने देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां आते हैं. वहीं इस वर्ष पौष माह में होने वाली मिनी पितृपक्ष मेले में फिलहाल कोई ठोस व्यवस्था नहीं दिख रही है, जिससे पिंंडदानियों को थोड़ी मुश्किल होगी.

ये भी पढ़ें: गया जी और तिल में है गहरा संबंध, पिंडदान से लेकर प्रसाद तक में होता है उपयोग

गया: आज से बिहार के गया में मिनी पितृपक्ष मेला (Mini Pitrupaksha Mela in Gaya) की शुरुआत हो रही है. इस मास में गयाजी में पिंडदान का अलग महत्व शास्त्रों में दर्शाया गया है. पौष मास में मिनी पितृपक्ष मेला एक माह तक चलता है. इस बार इस मिनी पितृपक्ष मेले में करीब ढाई लाख से अधिक पिंडदानियों के आने की उम्मीद है. देश भर के विभिन्न राज्यों के पिंडदानी यहां पहुंचकर अपने पितरों को मोक्ष की कामना करते हैं.

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पितरों की शांति के लिए गया में पिंडदान: मिनी पितृपक्ष मेले में एक और तीन दिन का पिंडदान का कर्मकांड करने को अधिकांश पिंडदानी आते हैं. गया में वर्तमान में पिंडदान के लिए 53 वेदियां मौजूद हैं, जो कि गयाजी के पंचकोशी क्षेत्र में स्थित हैं. इसमें प्रमुख वेेदियों में विष्णुपद, देवघाट, प्रेतशिला, अक्षयवट, रामशिला, सीता कुंड समेत अन्य वेेदियां हैं. पहले फल्गु नदी में पिंडदान-तर्पण का कर्मकांड पूरा कराया जाता था लेकिन अब गयाजी डैम बनने के बाद फल्गु नदी में पानी ही पानी है.


गयाजी डैम का पानी नहीं रहा बेहतर: वर्तमान में गयाजी डैम का पानी पिंंडदानियों के लिए बेहतर नहीं बताया जा रहा है. गयाजी डैम में दलदल वाली स्थिति बनी है. वहीं पानी स्नान के लायक भी नहीं बताया जाता है. इसका मुख्य कारण है, पानी का बहाव नहीं होना और पिंडदान तर्पण में उपयोग होने वाली सामग्रियों का पूरी तरह से बाहर नहीं निकाला जाना है. हालांकि प्रशासन का दावा है कि गयाजी डैम को स्वच्छ रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.

गयाजी में पौष माह का मिनी पितृपक्ष मेला
गयाजी में पौष माह का मिनी पितृपक्ष मेला

फल्गु में गंगा स्नान का है अलग है महत्व: माता फल्गु में गंगा स्नान का अपना अलग महत्व है. गंगा स्नान करने देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां आते हैं. वहीं इस वर्ष पौष माह में होने वाली मिनी पितृपक्ष मेले में फिलहाल कोई ठोस व्यवस्था नहीं दिख रही है, जिससे पिंंडदानियों को थोड़ी मुश्किल होगी.

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