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पैसे के लिए नहीं, सम्मान के लिए तीन पीढ़ियों से तिरंगे पर अशोक चक्र छाप रहा ये परिवार

तिरंगा देश की आन-बान और शान का प्रतीक है. तिरंगे के लिए लोग अपनी जान न्योछावर कर देते हैं. वहीं बिहार के गया में एक परिवार ऐसा भी है जो तीन पीढ़ियों से तिरंगे का अशोक चक्र बना रहा है.

तिरंगा
तिरंगा
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Published : Jan 19, 2021, 2:39 PM IST

गयाः बिहार की धार्मिक नगरी गया आपसी सौहार्द के लिए जानी जाती है. वहीं देश का राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहा जाता है वह हमारी आन-बान और शान का प्रतीक है. तीन रंगों से बने तिरंगे के बीच में अशोक चक्र होता है. जोकि धर्मचक्र का प्रतीक है. वहीं गया का एक मुस्लिम परिवार है जोकि तीन पीढ़ियों से तिरंगा पर अशोक चक्र बना रहा है.

70 वर्षों से बना रहे हैं अशोक चक्र

गया के स्वराजपुरी रोड पर रहने वाले मोहम्मद शम्मी का परिवार पिछले 70 वर्षों से तिरंगे पर अशोक चक्र बना रहा है. आने वाली 26 जनवरी के लिए इस परिवार के सभी सदस्य अशोक चक्र बनाने में लगे हुए हैं. इनका कहना है कि पैसे के लिए नहीं बल्कि सम्मान के लिए अशोक चक्र बनाते हैं. इस बार गणतंत्र दिवस पर 30 हजार तिरंगे पर अशोक चक्र बनायेंगे.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़े- PM मोदी से बोलीं दरभंगा की बेटी भावना कंठ- ठान लिया था कि अगर कुछ करना है, तो उड़ना है

'हमें अपने काम पर फक्र'

मोहम्मद शम्मी ने बताया कि मेरे दादाजी ने अशोक चक्र बनाना शुरू किया था. उनके इंतकाल के बाद मैं और फिर हमारे बच्चों ने इसका जिम्मा संभाला. इससे कमाई के नाम पर केवल मेहनताना मिलता है. लेकिन इसे करने से गर्व महसूस होता है. इसके जरिये मेरे परिवार को तीन पीढ़ियों से देश की सेवा करने का मौका मिल रहा है.

अशोक चक्र बनाते
अशोक चक्र बनाते

ये भी पढ़ें- 'बिहार का मिनी ब्राजील' जहां हर-घर में हैं बेहतरीन फुटबॉलर

महसूस होता हो गर्व

परिवार की सदस्य सीमा परवीन बताती हैं कि मेरा परिवार में आजादी के बाद से ही तिरंगा झंडा में अशोक चक्र बनाने का काम कर रहा है. सात दशकों से मेरा परिवार इस काम से जुड़ा है. इस काम से हमें कुछ खास मजदूरी नहीं मिलती. लेकिन हम लोग देश की शान के लिए ये काम करते हैं. इस काम को करके हमें गर्व महसूस होता है. जब हम लोग मुफस्सिल की जिंदगी व्यतीत करते थे तब घर के नाम एक झोपड़ी थी. तब झंडे में अशोक चक्र छापना और सुखाना बहुत मुश्किल होता था फिर भी बरसात के दिनों में खुद भींग जाते थे पर तिरंगे पर एक बूंद भी नही पड़ने देते थे.

परिवार के साथ
परिवार के साथ

अपने हाथ से बना तिरंगा लहराता हूं

मोहम्मद नवाब बताते है मैंने अपने पिता से ये काम सिख है. मुझे ये काम करके गर्व महसूस होता है. मेरे सभी दोस्त मुझे बड़े सम्मान से देखते हैं. मैं खुद का बना झंडा स्कूल में फहराने के लिए ले जाता हूं. जब झंडा आसमान लहराता है मेरा दिल खुशी से झूम उठता है.

गयाः बिहार की धार्मिक नगरी गया आपसी सौहार्द के लिए जानी जाती है. वहीं देश का राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहा जाता है वह हमारी आन-बान और शान का प्रतीक है. तीन रंगों से बने तिरंगे के बीच में अशोक चक्र होता है. जोकि धर्मचक्र का प्रतीक है. वहीं गया का एक मुस्लिम परिवार है जोकि तीन पीढ़ियों से तिरंगा पर अशोक चक्र बना रहा है.

70 वर्षों से बना रहे हैं अशोक चक्र

गया के स्वराजपुरी रोड पर रहने वाले मोहम्मद शम्मी का परिवार पिछले 70 वर्षों से तिरंगे पर अशोक चक्र बना रहा है. आने वाली 26 जनवरी के लिए इस परिवार के सभी सदस्य अशोक चक्र बनाने में लगे हुए हैं. इनका कहना है कि पैसे के लिए नहीं बल्कि सम्मान के लिए अशोक चक्र बनाते हैं. इस बार गणतंत्र दिवस पर 30 हजार तिरंगे पर अशोक चक्र बनायेंगे.

देखें रिपोर्ट

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'हमें अपने काम पर फक्र'

मोहम्मद शम्मी ने बताया कि मेरे दादाजी ने अशोक चक्र बनाना शुरू किया था. उनके इंतकाल के बाद मैं और फिर हमारे बच्चों ने इसका जिम्मा संभाला. इससे कमाई के नाम पर केवल मेहनताना मिलता है. लेकिन इसे करने से गर्व महसूस होता है. इसके जरिये मेरे परिवार को तीन पीढ़ियों से देश की सेवा करने का मौका मिल रहा है.

अशोक चक्र बनाते
अशोक चक्र बनाते

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महसूस होता हो गर्व

परिवार की सदस्य सीमा परवीन बताती हैं कि मेरा परिवार में आजादी के बाद से ही तिरंगा झंडा में अशोक चक्र बनाने का काम कर रहा है. सात दशकों से मेरा परिवार इस काम से जुड़ा है. इस काम से हमें कुछ खास मजदूरी नहीं मिलती. लेकिन हम लोग देश की शान के लिए ये काम करते हैं. इस काम को करके हमें गर्व महसूस होता है. जब हम लोग मुफस्सिल की जिंदगी व्यतीत करते थे तब घर के नाम एक झोपड़ी थी. तब झंडे में अशोक चक्र छापना और सुखाना बहुत मुश्किल होता था फिर भी बरसात के दिनों में खुद भींग जाते थे पर तिरंगे पर एक बूंद भी नही पड़ने देते थे.

परिवार के साथ
परिवार के साथ

अपने हाथ से बना तिरंगा लहराता हूं

मोहम्मद नवाब बताते है मैंने अपने पिता से ये काम सिख है. मुझे ये काम करके गर्व महसूस होता है. मेरे सभी दोस्त मुझे बड़े सम्मान से देखते हैं. मैं खुद का बना झंडा स्कूल में फहराने के लिए ले जाता हूं. जब झंडा आसमान लहराता है मेरा दिल खुशी से झूम उठता है.

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