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गया: मिलिए महेश पासवान से जो 17 सालों से रोजा रख पेश कर रहे हैं सांप्रदायिक सौहार्द की अनोखी मिसाल

बेलागंज के खनेटा गांव निवासी महेश पासवान जिन्हें लोग प्यार मामू के नाम से पुकारते हैं. बीते 17 सालों से रमजान के पाक महीने में प्रतिदिन रोजा रख कर विश्व शांति, देश की तरक्की तथा लोगों के स्वस्थ जीवन की कामना कर रहे हैं.

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Published : Jun 1, 2019, 3:31 AM IST

महेश पासवान

मूल रूप से नालंदा जिले के इस्लामपुर निवासी महेश पासवान उर्फ मामू लगभग 50 वर्षों से बेलागंज प्रखंड क्षेत्र के खनेटा गांव में अपनी बहन के यहां रहते हैं. लोग उन्हें प्यार से मामू बुलाते हैं. मामू अब खनेटा के ही हो कर रह गये. मुख्य रूप से पारम्परिक वाद्य (अंग्रेजी बाजा) एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मामू के पास सांप बिच्छू झाड़ने का मंत्र भी जानते हैं. बताया जाता है कि इनके यहां दूर-दूर से लोग सांप बिच्छू काटे हुये मरीज आते हैं और स्वस्थ होकर जाते हैं.

सब घर्मों को देते हैं समान महत्व
महेश लगभग 17 वर्षों से इस्लाम धर्म के पाक महीने रमजान के दौरान रोजा रख रहे हैं. मामू बताते हैं कि ईश्वर एक है. भगवान और धर्म किसी की जागीर नहीं होता. मामू ने रामायण के एक चौपाई को दुहराते हुए कहा कि जिसकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत दीखही तिन्ह तैसी. ईश्वर, भगवान, अल्लाह, खुदा सब एक हैं. जो जिस रूप में देखता है उसे उसी रूप में नजर आते हैं.

ईटीली संवादादाता की रिपोर्ट


सांप बिच्छू झाड़ने का जानते हैं मंत्र
रोजा रखने के उद्देश्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मैं सांप बिच्छू झाड़ने का कार्य करता हूं. इसमें एक मंत्र इस्लाम से जुड़ा है. जिसकी सफलता के लिए रोजा रखकर मंत्र शक्ति को सिद्ध करता हूं. वहीं रोजा के दौरान विश्व शांति, देश की तरक्की एवं क्षेत्रिय लोगों में आपसी सौहार्द की दुआ करता हूं. ऐसा नहीं की वो हिन्दू धर्म को नहीं मानते. नवरात्र के दौरान गांव में होने वाली पूजा पाठ एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में मामू मुख्य भूमिका में नजर आते हैं.

मूल रूप से नालंदा जिले के इस्लामपुर निवासी महेश पासवान उर्फ मामू लगभग 50 वर्षों से बेलागंज प्रखंड क्षेत्र के खनेटा गांव में अपनी बहन के यहां रहते हैं. लोग उन्हें प्यार से मामू बुलाते हैं. मामू अब खनेटा के ही हो कर रह गये. मुख्य रूप से पारम्परिक वाद्य (अंग्रेजी बाजा) एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मामू के पास सांप बिच्छू झाड़ने का मंत्र भी जानते हैं. बताया जाता है कि इनके यहां दूर-दूर से लोग सांप बिच्छू काटे हुये मरीज आते हैं और स्वस्थ होकर जाते हैं.

सब घर्मों को देते हैं समान महत्व
महेश लगभग 17 वर्षों से इस्लाम धर्म के पाक महीने रमजान के दौरान रोजा रख रहे हैं. मामू बताते हैं कि ईश्वर एक है. भगवान और धर्म किसी की जागीर नहीं होता. मामू ने रामायण के एक चौपाई को दुहराते हुए कहा कि जिसकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत दीखही तिन्ह तैसी. ईश्वर, भगवान, अल्लाह, खुदा सब एक हैं. जो जिस रूप में देखता है उसे उसी रूप में नजर आते हैं.

ईटीली संवादादाता की रिपोर्ट


सांप बिच्छू झाड़ने का जानते हैं मंत्र
रोजा रखने के उद्देश्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मैं सांप बिच्छू झाड़ने का कार्य करता हूं. इसमें एक मंत्र इस्लाम से जुड़ा है. जिसकी सफलता के लिए रोजा रखकर मंत्र शक्ति को सिद्ध करता हूं. वहीं रोजा के दौरान विश्व शांति, देश की तरक्की एवं क्षेत्रिय लोगों में आपसी सौहार्द की दुआ करता हूं. ऐसा नहीं की वो हिन्दू धर्म को नहीं मानते. नवरात्र के दौरान गांव में होने वाली पूजा पाठ एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में मामू मुख्य भूमिका में नजर आते हैं.

Intro:सांप्रदायिक सौहार्द का अनोखा मिसाल हैं बेलागंज के खनेटा गांव निवासी महेश पासवान । जिन्हें लोग प्यार मामू के नाम से पुकारते हैं । मामू विगत पन्द्रह वर्षों से रमजान के पाक महीने में प्रतिदिन रोजा रख कर विश्व शांति, देश की तरक्की तथा लोगों के स्वस्थ जीवन की कामना कर रहे हैं । Body:मूल रूप से नालंदा जिले के इस्लामपुर निवासी महेश पासवान उर्फ मामू लगभग 50 वर्षों से बेलागंज प्रखंड क्षेत्र के खनेटा गांव में अपनी बहन के में रहते हैं । आज मामू खनेटा के हीं हो कर रह गये । बहन के रहने के कारण गांव हीं नहीं पंचायत एवं प्रखंड भर के क्या बुढ़ा क्या जवान सभी लोग मामू के नाम से हीं पुकारते हैं । मुख्य रूप से पारम्परिक वाद्य ( अंग्रेजी बाजा ) एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मामू के पास सांप बिच्छू झाड़ने का अनोखा कला है । दूर दूर से लोग सांप बिच्छू काटे हुये मरीज को लेकर आते हैं और स्वस्थ होकर जाते हैं । Conclusion:लगभग पन्द्रह वर्षों से इस्लाम धर्म के पाक महीने रमजान के दौरान रोजा रख रहे मामू बताते हैं कि ईश्वर एक है । भगवान और धर्म किसी की जागीर नहीं होता । मामू ने रामायण के एक चौपाई को दुहराते हुए कहा कि जिसकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत दीखही तिन्ह तैसी । ईश्वर, भगवान, अल्लाह, खुदा सब एक हैं । जो जिस रूप में देखता है उसे उसी रूप में नजर आते है । रोजा रखने के उद्देश्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मैं सांप बिच्छू झाड़ने का कार्य करता हूँ । जिसमें एक मंत्र इस्लाम से जुड़ा है । जिसकी सफलता के लिए रोजा रखकर मंत्र शक्ति को बलिष्ट करता हूँ । वहीं रोजा के दौरान विश्व शांति, देश की तरक्की एवं क्षेत्रिय लोगों में आपसी सौहार्द की दुआ करता हूँ । ऐसा नहीं की वो हिन्दू धर्म को नहीं मानते । नवरात्र के दौरान गांव में होने वाली पुजा पाठ एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में मामू मुख्य भूमिका में नजर आते हैं ।
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