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Gaya News: रुक्मिणी हरण के दौरान इस स्थान पर अज्ञातवास में आए थे श्री कृष्ण, द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने किया था स्थापित - वृद्ध परमपिता महेश्वर का मंदिर

सावन के महीने में गया के माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर मंदिर भी भक्तों की उमड़ रही है. इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यहां रुक्मिणी हरण के दौरान श्री कृष्ण अज्ञातवास में आए थे और द्वापर युग में उन्होंने ही इसकी स्थापना की थी. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 22, 2023, 1:58 PM IST

परमपिता महेश्वर का मंदिर

गया: बिहार के गया में महाकालेश्वर की तरह शिवलिंग स्थापित है, यह शिवलिंग द्वापर कालीन है. द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने महाकालेश्वर के महाकाल मंदिर की तरह दिखने वाले इस शिवलिंग को यहां स्थापित किया था. यहां पूरे साल भक्तों का आना लगा रहता है. श्रावण मास में भक्तों की काफी संख्या में भीड़ उमड़ती है. गया के माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर का यह मंदिर है, जिसमें महाकालेश्वर की तरह भगवान भोलेनाथ शिवलिंग रूप में स्थापित हैं.

पढ़ें-Gaya News: इस मंदिर में 'शिला छोटी' पर 'आस्था बड़ी', नौकरी की इच्छा लेकर पहुंचते हैं श्रद्धालु.. भृगु ऋषि से जुड़े हैं प्रसंग

रुक्मिणी हरण के दौरान यही रुके थे भगवान श्री कृष्ण: उजैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर की तरह भगवान भोलेनाथ का यहां अद्भुत शिवलिंग स्थापित है. इस मंदिर के पुजारी बताते हैं कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इसे स्थापित किया था. भगवान श्री कृष्णा जब रुक्मिणी का हरण करके अज्ञातवास पर निकले थे, तो यहीं पर रुके थे. उन्होंने रुक्मिणी के लिए तालाब स्थापित किया था, जो आज रुक्मिणी तालाब के नाम से जाना जाता है. इस शिवलिंग की स्थापना भगवान श्री कृष्ण के द्वारा ही की गई थी. शिवलिंग की स्थापना कर भगवान श्री कृष्ण ने यहां पूजा अर्चना की थी.

गया के माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर
गया के माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर

बड़ी से बड़ी विपदा टाल देते हैं भोलेनाथ: द्वापर युग का यह अति प्राचीन मंदिर युगो-युगो से है. गया में इसे सबसे प्राचीन शिवलिंग बताया जाता है. यही वजह है कि इस मंदिर का नाम वृद्धि परमपिता महेश्वर है. ऐसा माना जाता है कि यहां पूजा करने वालों की अकाल मृत्यु नहीं होती है. सभी ग्रह-दोष का नाश होता है. पुजारी बताते हैं कि किसी भी तरह की मन्नत यहां पूर्ण हो जाती है. महाकालेश्वर की तरह इस स्थापित द्वापर कालीन शिवलिंग के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं.

माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर
माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर

देश के कई राज्यों से आते हैं श्रद्धालु: यहां बिहार के जिलों के अलावे तमिलनाडु समेत कई राज्यों से भी लोग भारी संख्या में आते हैं. वो भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग रूप से आशीर्वाद मांगते हैं. महाकाल की तरह दिखने वाले द्वापर कालीन इस शिवलिंग की महिमा का बखान भक्त काफी करते हैं. उनका कहना है कि यहां जो मांगो सब मिल जाता है. भक्त अगर सच्चे मन से कुछ मांगे, तो वह खाली हाथ नहीं लौटता.

"महाकालेश्वर के महाकाल मंदिर की तरह गया में भी महाकाल मंदिर है. इसे वृद्ध परमपिता महेश्वर के नाम से जाना जाता है. महाकालेश्वर की तरह की शिवलिंग की आकृति बनी हुई है. इसे भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में स्थापित किया था. जब वह अज्ञातवास पर यहां रुके थे. इस शिवलिंग की महिमा अद्भुत और चमत्कारिक है. भक्त खाली हाथ नहीं जाते. यही वजह है कि पूरे साल यहां भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है."-गौरव, आचार्य जी महाराज

परमपिता महेश्वर का मंदिर

गया: बिहार के गया में महाकालेश्वर की तरह शिवलिंग स्थापित है, यह शिवलिंग द्वापर कालीन है. द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने महाकालेश्वर के महाकाल मंदिर की तरह दिखने वाले इस शिवलिंग को यहां स्थापित किया था. यहां पूरे साल भक्तों का आना लगा रहता है. श्रावण मास में भक्तों की काफी संख्या में भीड़ उमड़ती है. गया के माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर का यह मंदिर है, जिसमें महाकालेश्वर की तरह भगवान भोलेनाथ शिवलिंग रूप में स्थापित हैं.

पढ़ें-Gaya News: इस मंदिर में 'शिला छोटी' पर 'आस्था बड़ी', नौकरी की इच्छा लेकर पहुंचते हैं श्रद्धालु.. भृगु ऋषि से जुड़े हैं प्रसंग

रुक्मिणी हरण के दौरान यही रुके थे भगवान श्री कृष्ण: उजैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर की तरह भगवान भोलेनाथ का यहां अद्भुत शिवलिंग स्थापित है. इस मंदिर के पुजारी बताते हैं कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इसे स्थापित किया था. भगवान श्री कृष्णा जब रुक्मिणी का हरण करके अज्ञातवास पर निकले थे, तो यहीं पर रुके थे. उन्होंने रुक्मिणी के लिए तालाब स्थापित किया था, जो आज रुक्मिणी तालाब के नाम से जाना जाता है. इस शिवलिंग की स्थापना भगवान श्री कृष्ण के द्वारा ही की गई थी. शिवलिंग की स्थापना कर भगवान श्री कृष्ण ने यहां पूजा अर्चना की थी.

गया के माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर
गया के माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर

बड़ी से बड़ी विपदा टाल देते हैं भोलेनाथ: द्वापर युग का यह अति प्राचीन मंदिर युगो-युगो से है. गया में इसे सबसे प्राचीन शिवलिंग बताया जाता है. यही वजह है कि इस मंदिर का नाम वृद्धि परमपिता महेश्वर है. ऐसा माना जाता है कि यहां पूजा करने वालों की अकाल मृत्यु नहीं होती है. सभी ग्रह-दोष का नाश होता है. पुजारी बताते हैं कि किसी भी तरह की मन्नत यहां पूर्ण हो जाती है. महाकालेश्वर की तरह इस स्थापित द्वापर कालीन शिवलिंग के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं.

माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर
माड़नपुर में वृद्ध परमपिता महेश्वर

देश के कई राज्यों से आते हैं श्रद्धालु: यहां बिहार के जिलों के अलावे तमिलनाडु समेत कई राज्यों से भी लोग भारी संख्या में आते हैं. वो भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग रूप से आशीर्वाद मांगते हैं. महाकाल की तरह दिखने वाले द्वापर कालीन इस शिवलिंग की महिमा का बखान भक्त काफी करते हैं. उनका कहना है कि यहां जो मांगो सब मिल जाता है. भक्त अगर सच्चे मन से कुछ मांगे, तो वह खाली हाथ नहीं लौटता.

"महाकालेश्वर के महाकाल मंदिर की तरह गया में भी महाकाल मंदिर है. इसे वृद्ध परमपिता महेश्वर के नाम से जाना जाता है. महाकालेश्वर की तरह की शिवलिंग की आकृति बनी हुई है. इसे भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में स्थापित किया था. जब वह अज्ञातवास पर यहां रुके थे. इस शिवलिंग की महिमा अद्भुत और चमत्कारिक है. भक्त खाली हाथ नहीं जाते. यही वजह है कि पूरे साल यहां भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है."-गौरव, आचार्य जी महाराज

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