गया: कोरोना वायरस के संक्रमण का भय अब धर्मस्थलों और विश्व धरोहरों पर भी देखने को मिलने लगा है. यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहरों में शामिल बिहार के गया स्थित महाबोधि मंदिर के शिखर पर लगे सोने के गुंबद की सफाई नहीं हो सकी.
हालांकि, इसके लिए थाईलैंड से कारीगर बोधगया पहुंच गए थे, लेकिन अब उन्हें वापस भेजा जा रहा है. बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर के प्रमुख पुजारी भंते चालिंदा ने बताया कि, 'सोने के गुंबद की सफाई के लिए आए थाईलैंड के कारीगरों के दल को वापस जाने के लिए कह दिया गया है.'
महाबोधि मंदिर के गुंबद की सफाई पर रोक
उन्होंने कहा, '290 किलोग्राम सोने के गुंबद की सफाई के लिए थाईलैंड से 20 कारीगरों का दल बोधगया पहुंचा था, लेकिन सफाई का काम रोक दिया गया. इन्हें वापस थाईलैंड भेजा जा रहा है.'
भगवान बुद्ध पर चीवर चढ़ाने पर भी रोक
चालिंदा ने कहा, 'भगवान बुद्ध पर भी चीवर चढ़ाने पर भी रोक लगा दी गई है. उन्होंने कहा कि फिलहाल 31 मार्च तक यह रोक लगाई गई है.' उन्होंने कहा कि एहतियातन दो से अधिक लोगों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है. जिला प्रशासन द्वारा जारी एडवाइजरी का मंदिर परिसर में पूरी तरह पालन करवाया जा रहा है.'
मंदिर के पास जांच के लिए टीम तैनात
बोधगया में विदेशी पर्यटकों के आवागमन को देखते हुए महाबोधि मंदिर के पास जांच के लिए चिकित्सकों की एक टीम को तैनात किया गया है. विदेशी पर्यटकों का पंजीकरण करने के साथ एक फॉर्मेट भरवाया जा रहा है. फॉर्मेट में नाम, पता, देश, कब भारत आया, यहां किस होटल या बौद्ध मठ में ठहरा है, सर्दी, खांसी या अन्य बीमारी की जानकारी देनी होती है.
एयरपोर्ट पर थर्मल स्कैनर की व्यवस्था
गया हवाईअड्डे पर थर्मल स्कैनर की व्यवस्था की गई है. विदेश से आने वाले विमानों से आए यात्रियों को पहले स्वास्थ्य विभाग की टीम की स्क्रीनिंग से गुजरना पड़ रहा है. उसके बाद ही यात्री हवाईअड्डा से बाहर जा पा रहे हैं.
बोधिवृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति हुई थी
मान्यता है कि यहीं बोधिवृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति हुई थी. प्रतिवर्ष देश-विदेश के लाखों लोग प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर में आध्यात्मिक शांति की तलाश में आते हैं. इस मंदिर को यूनेस्को ने 2002 में वल्र्ड हेरिटेज साइट घोषित किया था.