गया: पितृपक्ष के तीसरे दिन गया जी में उत्तर मानस सरोवर में पिंडदान करने का महत्व है. यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है. विष्णुपद से उत्तर दिशा में स्थित सरोवर के मंदिर में उदय होते हुए सूर्य की प्रतिमा है. यहीं पिंडदान किया जाता है.
अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना को लेकर गया जी में आए हजारों पिंडदानी ने सुबह से ही पिता महेश्वर में सूर्यलोक की प्राप्ति के लिए उत्तर मानस में पिंडदान का कर्मकांड पूरा कर रहे हैं. पिंडदानी सरोवर में अपने पितरों के निमित्त जलान आंजली देकर मुक्ति की कामना की.
ऐसे करें तीसरे दिन पिंडदान...
- पहले पंचतीर्थ में उत्तर मानस तीर्थ की विधि है. हाथ मे कुश लेकर सिर पर जल छींटे.
- फिर उतर मानस में जाकर आत्म शुद्धि के लिए स्नान करें.
- उसके बाद तर्पण करके पिंडदान करें.
- सूर्य को नमस्कार करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है.
- उतर मानस से मौन होकर दक्षिण मानस में जाएं.
- दक्षिण मानस में तीन तीर्थ हैं, उनमें स्नान करके अलग-अलग कर्मकांड करके फल्गू नदी के तट पर जो जिह्वालोल तीर्थ है, वहां पिंडदान करने से पितरों को अक्षय शांति मिलती हैं.
- इसके बाद तीर्थों की श्राद्ध की योग्यता सिद्वि के लिए गदाधर भगवान को पंचामृत से स्नान करावें और वस्त्रालंकार चढ़ावें.
विदेशी भी कर रहे हैं पिंडदान
गया जी में पितृपक्ष मेला चला रहा है. वहीं, प्रदेश में बंगाल, राजस्थान,गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी, पंजाब, हरियाणा के अलावा दक्षिण भारत के तामिलनाडु, केरल, ओडिशा, चेन्नई से सबसे ज्यादा तीर्थयात्री पिंडदान करने गयाजी आ रहे हैं. देश के अलावा नेपाल, श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, भूटान आदि देशों के हिन्दू धर्मावलंबी कर्मकांड को गयाजी आए हुए हैं. वहीं, अमेरिकी और यूरोपीय देशों में बसे हिन्दू धर्मावलंबी भी गयाजी अपने पितरों के श्राद्ध के लिए आते हैं.