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पितृपक्ष के तीसरे दिन गया में यहां होता है पिंडदान, सूर्यलोक में मिलता है पितरों को स्थान

पिंडवेदियों में प्रेतशिला, रामशिला, अक्षयवट, देवघाट, सीताकुंड, देवघाट, ब्राह्मणी घाट, पितामहेश्वर घाट काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. उल्लेखनीय है कि गया में पितृपक्ष मेला 28 सितंबर तक चलेगा. चलिए जानते हैं तीसरे दिन का महत्व...

पितृपक्ष के तीसरे दिन
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Published : Sep 14, 2019, 11:10 PM IST

Updated : Sep 15, 2019, 6:49 AM IST

गया: पितृपक्ष के तीसरे दिन गया जी में उत्तर मानस सरोवर में पिंडदान करने का महत्व है. यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है. विष्णुपद से उत्तर दिशा में स्थित सरोवर के मंदिर में उदय होते हुए सूर्य की प्रतिमा है. यहीं पिंडदान किया जाता है.

अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना को लेकर गया जी में आए हजारों पिंडदानी ने सुबह से ही पिता महेश्वर में सूर्यलोक की प्राप्ति के लिए उत्तर मानस में पिंडदान का कर्मकांड पूरा कर रहे हैं. पिंडदानी सरोवर में अपने पितरों के निमित्त जलान आंजली देकर मुक्ति की कामना की.

श्राद्ध कर्म कराते पंडित
श्राद्ध कर्म कराते पंडित

ऐसे करें तीसरे दिन पिंडदान...

  • पहले पंचतीर्थ में उत्तर मानस तीर्थ की विधि है. हाथ मे कुश लेकर सिर पर जल छींटे.
  • फिर उतर मानस में जाकर आत्म शुद्धि के लिए स्नान करें.
  • उसके बाद तर्पण करके पिंडदान करें.
  • सूर्य को नमस्कार करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है.
    ये रहा उत्तर मानस सरोवर
  • उतर मानस से मौन होकर दक्षिण मानस में जाएं.
  • दक्षिण मानस में तीन तीर्थ हैं, उनमें स्नान करके अलग-अलग कर्मकांड करके फल्गू नदी के तट पर जो जिह्वालोल तीर्थ है, वहां पिंडदान करने से पितरों को अक्षय शांति मिलती हैं.
  • इसके बाद तीर्थों की श्राद्ध की योग्यता सिद्वि के लिए गदाधर भगवान को पंचामृत से स्नान करावें और वस्त्रालंकार चढ़ावें.
    पिंडदान करते पिंडदानी
    पिंडदान करते पिंडदानी

विदेशी भी कर रहे हैं पिंडदान

गया जी में पितृपक्ष मेला चला रहा है. वहीं, प्रदेश में बंगाल, राजस्थान,गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी, पंजाब, हरियाणा के अलावा दक्षिण भारत के तामिलनाडु, केरल, ओडिशा, चेन्नई से सबसे ज्यादा तीर्थयात्री पिंडदान करने गयाजी आ रहे हैं. देश के अलावा नेपाल, श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, भूटान आदि देशों के हिन्दू धर्मावलंबी कर्मकांड को गयाजी आए हुए हैं. वहीं, अमेरिकी और यूरोपीय देशों में बसे हिन्दू धर्मावलंबी भी गयाजी अपने पितरों के श्राद्ध के लिए आते हैं.

गया: पितृपक्ष के तीसरे दिन गया जी में उत्तर मानस सरोवर में पिंडदान करने का महत्व है. यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है. विष्णुपद से उत्तर दिशा में स्थित सरोवर के मंदिर में उदय होते हुए सूर्य की प्रतिमा है. यहीं पिंडदान किया जाता है.

अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना को लेकर गया जी में आए हजारों पिंडदानी ने सुबह से ही पिता महेश्वर में सूर्यलोक की प्राप्ति के लिए उत्तर मानस में पिंडदान का कर्मकांड पूरा कर रहे हैं. पिंडदानी सरोवर में अपने पितरों के निमित्त जलान आंजली देकर मुक्ति की कामना की.

श्राद्ध कर्म कराते पंडित
श्राद्ध कर्म कराते पंडित

ऐसे करें तीसरे दिन पिंडदान...

  • पहले पंचतीर्थ में उत्तर मानस तीर्थ की विधि है. हाथ मे कुश लेकर सिर पर जल छींटे.
  • फिर उतर मानस में जाकर आत्म शुद्धि के लिए स्नान करें.
  • उसके बाद तर्पण करके पिंडदान करें.
  • सूर्य को नमस्कार करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है.
    ये रहा उत्तर मानस सरोवर
  • उतर मानस से मौन होकर दक्षिण मानस में जाएं.
  • दक्षिण मानस में तीन तीर्थ हैं, उनमें स्नान करके अलग-अलग कर्मकांड करके फल्गू नदी के तट पर जो जिह्वालोल तीर्थ है, वहां पिंडदान करने से पितरों को अक्षय शांति मिलती हैं.
  • इसके बाद तीर्थों की श्राद्ध की योग्यता सिद्वि के लिए गदाधर भगवान को पंचामृत से स्नान करावें और वस्त्रालंकार चढ़ावें.
    पिंडदान करते पिंडदानी
    पिंडदान करते पिंडदानी

विदेशी भी कर रहे हैं पिंडदान

गया जी में पितृपक्ष मेला चला रहा है. वहीं, प्रदेश में बंगाल, राजस्थान,गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी, पंजाब, हरियाणा के अलावा दक्षिण भारत के तामिलनाडु, केरल, ओडिशा, चेन्नई से सबसे ज्यादा तीर्थयात्री पिंडदान करने गयाजी आ रहे हैं. देश के अलावा नेपाल, श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, भूटान आदि देशों के हिन्दू धर्मावलंबी कर्मकांड को गयाजी आए हुए हैं. वहीं, अमेरिकी और यूरोपीय देशों में बसे हिन्दू धर्मावलंबी भी गयाजी अपने पितरों के श्राद्ध के लिए आते हैं.

Intro:गया जी मे तीसरा दिन उतर मानस सरोवर में पिंडदान करने का महत्व है। यहां पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होता है। विष्णुपद से उतर दिशा में स्थित सरोवर के मंदिर में उदय होते हुए सूर्य की प्रतिमा है।


Body:अपने पूर्वजों के मोक्ष की कामना को लेकर गयाजी में आए हजारों पिंडदानी ने सुबह से ही पिता महेश्वर में सूर्यलोक की प्राप्ति के लिए उत्तर मानस में पिंडदान के कर्मकांड पूरा कर रहे हैं। पिंडदानी ने सरोवर में अपने पितरों के निमित्त जलान आंजली देकर मुक्ति की कामना की।

पहले पंचतीर्थ में उतर मानस तीर्थ की विधि हैं हाथ मे कुश लेकर शिर पर जल छींटे फिर उतर मानस में जाकर आत्म शुद्धि के लिए स्नान करें। उसके बाद तर्पण करके पिंडदान कर सूर्य को नमस्कार करने से पितरों को सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। उतर मानस से मौन होकर दक्षिण मानस में जाए,दक्षिण मानस में तीन तीर्थ हैं। उनमें स्नान करके अलग-अलग कर्मकांड करके फल्गू नदी के तट पर जो जिह्वालोल तीर्थ है, वहां पिंडदान करने से पितरों को अक्षय शांति मिलती हैं। इसके बाद किये हुए एवम आगे होने वाले तीर्थों श्राद्ध की योग्यता सिद्वि के लिए गदाधर भगवान को पंचामृत से स्नान करावे और वस्त्रालंकार चढ़ावे।


Conclusion:
Last Updated : Sep 15, 2019, 6:49 AM IST
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