गया: एक ओर जहां महाबोधि मंदिर परिसर में 'बुद्धं शरणं गच्छामि' के स्वर गूंज रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पिंडवेदियों पर मोक्ष के मंत्रों का उच्चारण हो रहा है. इसी क्रम में सोमवार को गयाजी में पितृपक्ष के मौके पर हजारों की संख्या में हिंदू धर्मावलंबी अपने पुरखों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण कर कर्मकांड को पूरा कर रहे है.
महात्मा बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में भी अनूठा संगम देखने को मिल रहा है. बोधगया क्षेत्र में ऐसे तो पांच पिंडवेदियां हैं, परंतु तीन पिंडवेदियां धर्मारण्य, मातंगवापी और सरस्वती प्रमुख हैं. पुरखों के मोक्ष की कामना लेकर आने वाले श्रद्धालु भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार मानते हुए महाबोधि मंदिर में भी पिंडदान के विधान को कालांतर से निभाते आ रहे हैं.
सरस्वती (मुहाने नदी) में तर्पण के पश्चात धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान के दौरान वहां स्थित अष्टकमल आकार के कूप में पिंड विसर्जित कर यात्री मातंगवापी पिंडदान के लिए निकलते हैं. यहां पिंडदानी पिंड मातंगेश शिवलिंग पर अर्पित करते हैं.
स्कंद पुराण के अनुसार...
एक कथा है कि महाभारत युद्ध के दौरान मारे गए लोगों की आत्मा की शांति और पश्चाताप के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान किया था. धर्मारण्य पिंडवेदी पर पिंडदान और त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष महत्व है. यहां किए गए पिंडदान और त्रिकपंडी श्राद्ध से प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है.
पढ़ें स्कंद पुराण की धर्मारण्य वेदी से जुड़ी कहानी-
-
पितृ पक्ष 2019: अलग है बोधगया के धर्मारण्य वेदी की मान्यता, त्रिपिंडी में श्राद्ध से पूर्वजों को मिलता है मोक्ष#PitruPaksha2019 #PitruPaksha
— ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) September 15, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
https://t.co/IIKs8mCYZT
">पितृ पक्ष 2019: अलग है बोधगया के धर्मारण्य वेदी की मान्यता, त्रिपिंडी में श्राद्ध से पूर्वजों को मिलता है मोक्ष#PitruPaksha2019 #PitruPaksha
— ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) September 15, 2019
https://t.co/IIKs8mCYZTपितृ पक्ष 2019: अलग है बोधगया के धर्मारण्य वेदी की मान्यता, त्रिपिंडी में श्राद्ध से पूर्वजों को मिलता है मोक्ष#PitruPaksha2019 #PitruPaksha
— ETV Bharat Bihar (@etvbharatbihar) September 15, 2019
https://t.co/IIKs8mCYZT