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62 सदस्यों का है यह परिवार.. 57 कमरों में रहने वाले लोगों का एक ही चूल्हे पर बनता है खाना

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Published : May 18, 2022, 7:17 PM IST

आधुनिकता के इस दौर में लोग जॉइंट फैमिली (Joint Family) की बजाय एकल परिवार (Nuclear family) में रहना ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसे में बिहार के बोधगया में एक परिवार ऐसा भी है जो लोगों के लिए एक उदाहरण है. परिवार में 62 सदस्यों के लिए एक चूल्हे पर खाना बनता है. सभी मिल-जुलकर रहते हैं. पढ़ें पूरी खबर..

62 Members In Bodh Gaya Kalyan Parivar
62 Members In Bodh Gaya Kalyan Parivar

गया: बिहार के बोधगया में एक ऐसा परिवार है, जो कई पीढ़ियों से एक ही छत के नीचे रह रहा है. यह परिवारिक एकता की अनोखी मिसाल है. आज भी इस परिवार के 62 सदस्य (62 Members In Bodh Gaya Kalyan Parivar) एक ही छत के नीचे रहते हैं. घर का एक ही मालिक है, जिसकी बातें परिवार के सभी सदस्य आदर पूर्वक सुनते हैं. 62 सदस्यों वाला यह परिवार 'कल्याण परिवार' ( Gaya Kalyan Family) के नाम से प्रसिद्ध है.

पढ़ें- 'रूस-जर्मनी की मौत, अमेरिका-अफ्रीका-जापान एक दूसरे पर छिड़कते हैं जान', जानें पूरी कहानी

100 साल पहले कल्याण सिंह ने डाली थी नींव: करीब एक सौ साल पहले वर्ष 1920 में कल्याण सिंह ने परिवारिक एकता की नींव डाली थी. इसके बाद इनका परिवार पुस्त दर पुस्त बढ़ता रहा और पारिवारिक एकता की मिसाल कायम (kalyan family is setting an example) करता चला गया. कल्याण सिंह के निधन के बाद भी सब कुछ यथावत ही बना रहा. उनके बाद पुत्र कन्हैया प्रसाद और राम लखन प्रसाद ने परिवारिक एकता की विरासत को तनिक भी बिखरने नहीं दिया और पिछले 6 पीढ़ियों से यह परिवार परिवारिक एकता की मिसाल पेश कर रहा है.

समाज के लिए उदाहरण है कल्याण परिवार: इस परिवार में एकता ऐसी है कि यदि एक सदस्य को दर्द हुआ तो पूरे परिवार को इसका एहसास होता है. इस आधुनिक युग में ऐसा हृदयस्पर्शी मिसाल देखने को कम ही मिलता है. परिवारिक एकता की मिसाल बन चुके कल्याण परिवार की पहचान आज बोधगया में समाजसेवा के लिए भी जानी जाती है. इस परिवार की खूबियां कई मामलों में समाज के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुकी है. वर्तमान में देखा जाए तो सामान्य तौर पर छोटी-छोटी बातों पर घरेलू कलह आम हैं. वही इसके बीच कल्याण परिवार की एकजुटता लोगों व समाज को बड़ी सीख देती है.

62 सदस्य..57 कमरे : कल्याण परिवार में सबसे बुजुर्ग कृष्ण कन्हैया प्रसाद हैं, जिनकी उम्र 85 वर्ष है. वहीं उनकी पत्नी राधिका देवी की उम्र अभी 80 साल है. दोनों परिवार को एकजुट रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. परिवार में कुल सदस्यों की संख्या 62 है. बोधगया के टीका बीघा गांव (Tika Bigha Village of Bodh Gaya) में करीब डेढ़ एकड़ में इनकी भूमि है और इसमें कल्याण हाउस परिसर बना है, जिसमें कमरों की संख्या 57 है. सभी परिवार के लोगों के रहने के लिए अलग-अलग कमरे हैं.

एक ही रसोई में बनता है भोजन: परिवार के 62 सदस्यों की रसोई एक ही है. सभी 62 सदस्यों के लिए एक ही रसोई में भोजन बनता है. भोजन बनने के बाद परिवार के सभी सदस्य एक साथ भोजन करते हैं. सगे और चचेरे भाइयों में सबसे बड़े अजय सिंह कल्याण बताते हैं कि पूरे परिवार को एक सूत्र में पिरोए रखने में हमारे चाचा स्वर्गीय राम लखन सिंह और चाची स्वर्गीय गंगा देवी की बड़ी भूमिका रही. वहीं अब पूरे परिवार की बागडोर मेरे पिता कृष्ण कन्हैया प्रसाद और मां राधिका देवी के जिम्मे है. सभी संयुक्त परिवार को एक ही सूत्र में पिरोए रखने की बात को हमेशा मजबूती देते हैं.

आज तक नहीं हुआ है बंटवारा: परिवारिक एकता की मिसाल बने 62 सदस्यों के परिवार में यह बड़ी बात है, कि आज तक घर का बंटवारा नहीं हुआ है. वहीं छह पीढ़ी में से चार पीढ़ी के लोग अभी भी मौजूद हैं. परिवार के सबसे ज्यादा उम्र के कृष्ण कन्हैया प्रसाद हैं तो परिवार की सबसे छोटी सदस्य 10 वर्ष की बच्ची चिमी कल्याण है. वहीं कल्याण परिवार के विवेक कल्याण बताते हैं कि सगे और चचेरे भाई मिलाकर कुल 9 भाई हमलोग हैं.

"मेरे अपने भाइयों में अजय सिंह कल्याण, विजय कुमार, जय परीक्षित, राहुल कुमार, विवेक कुमार कल्याण और विकास कुमार हैं. वहीं चाचा के तीन बेटों में चक्रधर सिंह, मुरारी सिंह चंद्रवंशी और आनंद विक्रम हैं. चचेरे और सगे मिलाकर कुल 9 भाई और सात बहने हैं. सभी शादीशुदा हैं. वही 9 भाइयों में बच्चों को मिलाकर कुल संख्या 21 है. वर्तमान में घर में 12 दंपति हैं."- विवेक कल्याण,कल्याण परिवार के सदस्य

सभी भाइयों का है अपना-अपना कारोबार: कल्याण परिवार में सभी 9 भाइयों का अपना-अपना कारोबार है. इनके व्यवसाय में होटल, रेस्टोरेंट, टाइल्स मार्बल की दुकान, एनजीओ, इलेक्ट्रॉनिक दुकान आदि शामिल हैं. एनजीओ के माध्यम से गरीब और असहाय लोगों की सहायता की जाती है.

पढ़ें- गया के 'बर्ड लवर' रंजन ने पेश की मिसाल, रोज 250 फीट ऊंची पहाड़ी चढ़ पक्षियों को डालते हैं दाना

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गया: बिहार के बोधगया में एक ऐसा परिवार है, जो कई पीढ़ियों से एक ही छत के नीचे रह रहा है. यह परिवारिक एकता की अनोखी मिसाल है. आज भी इस परिवार के 62 सदस्य (62 Members In Bodh Gaya Kalyan Parivar) एक ही छत के नीचे रहते हैं. घर का एक ही मालिक है, जिसकी बातें परिवार के सभी सदस्य आदर पूर्वक सुनते हैं. 62 सदस्यों वाला यह परिवार 'कल्याण परिवार' ( Gaya Kalyan Family) के नाम से प्रसिद्ध है.

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100 साल पहले कल्याण सिंह ने डाली थी नींव: करीब एक सौ साल पहले वर्ष 1920 में कल्याण सिंह ने परिवारिक एकता की नींव डाली थी. इसके बाद इनका परिवार पुस्त दर पुस्त बढ़ता रहा और पारिवारिक एकता की मिसाल कायम (kalyan family is setting an example) करता चला गया. कल्याण सिंह के निधन के बाद भी सब कुछ यथावत ही बना रहा. उनके बाद पुत्र कन्हैया प्रसाद और राम लखन प्रसाद ने परिवारिक एकता की विरासत को तनिक भी बिखरने नहीं दिया और पिछले 6 पीढ़ियों से यह परिवार परिवारिक एकता की मिसाल पेश कर रहा है.

समाज के लिए उदाहरण है कल्याण परिवार: इस परिवार में एकता ऐसी है कि यदि एक सदस्य को दर्द हुआ तो पूरे परिवार को इसका एहसास होता है. इस आधुनिक युग में ऐसा हृदयस्पर्शी मिसाल देखने को कम ही मिलता है. परिवारिक एकता की मिसाल बन चुके कल्याण परिवार की पहचान आज बोधगया में समाजसेवा के लिए भी जानी जाती है. इस परिवार की खूबियां कई मामलों में समाज के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुकी है. वर्तमान में देखा जाए तो सामान्य तौर पर छोटी-छोटी बातों पर घरेलू कलह आम हैं. वही इसके बीच कल्याण परिवार की एकजुटता लोगों व समाज को बड़ी सीख देती है.

62 सदस्य..57 कमरे : कल्याण परिवार में सबसे बुजुर्ग कृष्ण कन्हैया प्रसाद हैं, जिनकी उम्र 85 वर्ष है. वहीं उनकी पत्नी राधिका देवी की उम्र अभी 80 साल है. दोनों परिवार को एकजुट रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. परिवार में कुल सदस्यों की संख्या 62 है. बोधगया के टीका बीघा गांव (Tika Bigha Village of Bodh Gaya) में करीब डेढ़ एकड़ में इनकी भूमि है और इसमें कल्याण हाउस परिसर बना है, जिसमें कमरों की संख्या 57 है. सभी परिवार के लोगों के रहने के लिए अलग-अलग कमरे हैं.

एक ही रसोई में बनता है भोजन: परिवार के 62 सदस्यों की रसोई एक ही है. सभी 62 सदस्यों के लिए एक ही रसोई में भोजन बनता है. भोजन बनने के बाद परिवार के सभी सदस्य एक साथ भोजन करते हैं. सगे और चचेरे भाइयों में सबसे बड़े अजय सिंह कल्याण बताते हैं कि पूरे परिवार को एक सूत्र में पिरोए रखने में हमारे चाचा स्वर्गीय राम लखन सिंह और चाची स्वर्गीय गंगा देवी की बड़ी भूमिका रही. वहीं अब पूरे परिवार की बागडोर मेरे पिता कृष्ण कन्हैया प्रसाद और मां राधिका देवी के जिम्मे है. सभी संयुक्त परिवार को एक ही सूत्र में पिरोए रखने की बात को हमेशा मजबूती देते हैं.

आज तक नहीं हुआ है बंटवारा: परिवारिक एकता की मिसाल बने 62 सदस्यों के परिवार में यह बड़ी बात है, कि आज तक घर का बंटवारा नहीं हुआ है. वहीं छह पीढ़ी में से चार पीढ़ी के लोग अभी भी मौजूद हैं. परिवार के सबसे ज्यादा उम्र के कृष्ण कन्हैया प्रसाद हैं तो परिवार की सबसे छोटी सदस्य 10 वर्ष की बच्ची चिमी कल्याण है. वहीं कल्याण परिवार के विवेक कल्याण बताते हैं कि सगे और चचेरे भाई मिलाकर कुल 9 भाई हमलोग हैं.

"मेरे अपने भाइयों में अजय सिंह कल्याण, विजय कुमार, जय परीक्षित, राहुल कुमार, विवेक कुमार कल्याण और विकास कुमार हैं. वहीं चाचा के तीन बेटों में चक्रधर सिंह, मुरारी सिंह चंद्रवंशी और आनंद विक्रम हैं. चचेरे और सगे मिलाकर कुल 9 भाई और सात बहने हैं. सभी शादीशुदा हैं. वही 9 भाइयों में बच्चों को मिलाकर कुल संख्या 21 है. वर्तमान में घर में 12 दंपति हैं."- विवेक कल्याण,कल्याण परिवार के सदस्य

सभी भाइयों का है अपना-अपना कारोबार: कल्याण परिवार में सभी 9 भाइयों का अपना-अपना कारोबार है. इनके व्यवसाय में होटल, रेस्टोरेंट, टाइल्स मार्बल की दुकान, एनजीओ, इलेक्ट्रॉनिक दुकान आदि शामिल हैं. एनजीओ के माध्यम से गरीब और असहाय लोगों की सहायता की जाती है.

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