गया: चारा घोटाला में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दोषी करार दिए गए हैं. इस पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने अपनी प्रतिक्रिया दी (Jitan Ram Manjhi on Conviction of Lalu Yadav) है. वे आज गया में थे. उन्होंने कहा कि लालू यादव (RJD Chief Lalu Prasad Yadav) को सजा होने के बाद गरीब-गुरबों में हताशा है. लालू जी सामाजिक न्याय के पुरोधा हैं और उनका समाज के प्रति काफी योगदान रहा है. वे एक समाजवादी नेता हैं और किस वजह से उन्हें बार-बार जेल जाना पड़ रहा है? यह तो न्यायालय प्रक्रिया से जुड़े न्यायाधीश लोग ही बेहतर समझ सकते हैं. न्यायालय के फैसले पर हम ज्यादा कुछ नहीं बोल सकते हैं.
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अपने बयान में जीतन राम मांझी ने लालू यादव की तुलना भगवान श्रीकृष्ण से भी कर दी. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण भी जेल में रहे थे, उसकी क्या वजह थी? उस समय के लोग ज्यादा बेहतर समझते होंगे. आज के परिवेश में लालू जी भी बार-बार जेल जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम ऐसी कामना करते हैं कि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे. ऐसी परिस्थिति में भगवान उन्हें हर स्थिति से निपटने की शक्ति दे. उस दौरान उन्होंने कोर्ट के फैसले पर संतोष भी जाहिर किया है.
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दरअसल, डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ की अवैध निकासी की यह मामला है. बहुचर्चित चारा घोटाले के इस पांचवें मामले में रांची के डोरंडा थाने में वर्ष 1996 में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. बाद में सीबीआई ने यह केस टेकओवर कर लिया. मुकदमा संख्या आरसी-47 ए/96 में शुरूआत में कुल 170 लोग आरोपी थे. इनमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया. दो आरोपियों ने अदालत का फैसला आने के पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया. छह आरोपी आज तक फरार हैं.
मुकदमे की सुनवाई के दौरान सीबीआई की स्पेशल कोर्ट (CBI Court Convicted Lalu Yadav) में अभियोजन की ओर से कुल 575 लोगों की गवाही कराई गई, जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 25 गवाह पेश किये गये. इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कुल 15 ट्रंक दस्तावेज अदालत में पेश किये थे. पशुपालन विभाग में हुए इस घोटाले में सांढ़, भैस, गाय, बछिया, बकरी और भेड़ आदि पशुओं और उनके लिए चारे की फर्जी तरीके से ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध रूप से निकासी की गयी. जिन गाड़ियों से पशुओं और उनके चारे की ट्रांसपोर्टिंग का ब्योरा सरकारी दस्तावेज में दर्ज किया था, जांच के दौरान उन्हें फर्जी पाया गया. जिन गाड़ियों से पशुओं को ढोने की बात कही गयी थी, उन गाड़ियों के नंबर स्कूटर, मोपेड, मोटरसाइकिल के निकले.
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चारा घोटाले के ये मामले 1990 से 1996 के बीच के हैं. बिहार के सीएजी (मुख्य लेखा परीक्षक) ने इसकी जानकारी राज्य सरकार को समय-समय पर भेजी थी लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया. सीबीआई ने अदालत में इस आरोप के पक्ष में दस्तावेज पेश किये कि मुख्यमंत्री पर रहे लालू यादव ने पूरे मामले की जानकारी रहते हुए भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. कई साल तक वह खुद ही राज्य के वित्त मंत्री भी थे, और उनकी मंजूरी पर ही फर्जी बिलों के आधार पर राशि की निकासी की गयी. चारा घोटाले के चार मामलों में सजा होने के चलते राजद सुप्रीमो को आधा दर्जन से भी ज्यादा बार जेल जाना पड़ा. इन सभी मामलों में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है.
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