गया: जिले के बोधगया प्रखंड के बकरौर पंचायत स्थित बतसपुर गांव में जापान की निक्को संस्था द्वारा जैविक खेती प्रक्रिया से जापानी खरबूजा उपजाया गया है. फसल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 600 रुपये प्रति किलो है. वहीं, गया में उपजा जापानी खरबूजा देश में लॉकडाउन लागू होने के कारण स्थानीय बाजारों मे 10 रुपये प्रति किलो भी नहीं बिक पा रहा है. बीजारोपण के समय फसल से काफी आस लगाये किसान इस विषम परिस्थिति में हलकान हैं.
गौरतलब है कि जापान देश तकनीक के मामले दुनिया में अव्वल है. साथ ही जापान उन्नत खेती करने में भी अन्य देशों के अपेक्षा अग्रणी है. जापान की निक्को संस्था के सहयोग से बिहार में पहली बार ऑर्गेनिक खेती पद्धति से जपानी खरबूजा उपजाया गया है, लेकिन दुर्भाग्य से कोरोना वायरस का ग्रहण इस पर भी लग गया है. आलम ये है कि कोरोना वायरस के बचाव को लेकर देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय बाजारों में फसल नहीं पहुंच पा रहा है. साथ ही स्थानीय बाजारों में जापानी खरबूजा की पहचान नहीं होने से इसको कोई ग्राहक भी नहीं मिल रहा है.
लॉकडाउन बना बिक्री में बाधा
जापानी खरबूजा उपजाने वाला युवा किसान शशि शेखर ने बताया जनवरी माह में जापान के किसान आकर हम लोगों को जापानी खरबूजा उपजाने की ट्रेनिंग दिए. जापानी किसानों ने हमलोग को ट्रेनिंग दिया. शशि शेखर ने बताया कि जापानी किसानों द्वारा इस फसल में यूरिया और केमिकल का उपयोग करने के लिये मना किया गया था. साथ ही इसमें पौधों में लगने वाले कीट-पतंगों को मारने के लिए गाय के गोबर, गौ मूत्र, दूध, मट्ठा, नीम की पत्तियों के उपयोग की सलाह भी दी गई थी. उन्होंने बताया कि खरबूजे का पैदावार बहुत अच्छा हुआ है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से बिक्री नहीं हो रही है.
'सरकार से आर्थिक मदद की आस'
प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर मनोरंजन समदर्शी ने बताया स्वीट मेलन की पैदावार बहुत अच्छी हुई है. एक एकड़ क्षेत्र में की गई खेती में 75 प्रतिशत फसलों की पैदावार हुई है. बिहार में पहली बार इस तरह का प्रयोग किया गया है. जिसमें हम सफल हुये हैं. 600 रुपये प्रति किलो खरबूजा उपजाने के लिए लेकिन सरकार का ध्यान इस ओर नही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरह के फसलों के बढ़ावा देने के लिए मुंबई और कोलकाता की तर्ज पर ऑर्गेनिक मार्केट बनाना चाहिए. अभी सरकार और जिला प्रशासन से मांग है आम फसल की बर्बादी पर लागत मूल्य के हिसाब से मुआवजा दिया जाता है. उसी तरह इन किसानों को भी मदद मिलना चाहिये.
कृषि मंत्री ने किया था पॉली हाउस का उद्घाटन
गौरतलब है कि हमारे देश में आज भी अधिकांश क्षेत्रों में पारंपरिक तरीके से खेती की जाती है. उसमें यूरिया और केमिकल का प्रयोग किया जाता है. लेकिन अब विदेशी बाजारों में ऑर्गेनिक फल और सब्जियों की मांग बढ़ गयी है. 16 हजार वर्ग फीट में फैले ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर पाली हाउस को जापान के संस्था ने बनाया है. इस पॉली हाउस का उद्घाटन कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने किया था. इस दो फसलों को तैयार करने में अब तक एक लाख रुपये का गोबर लग चुका है. निक्को जापानी संस्था ने बतसपुर गांव के किसानों को ट्रेनिग देने के साथ ही उन्हें ऑर्गेनिक मॉल मुंबई और कलकत्ता फ्लाइट से ले गये थे. साथ ही सभी किसानों को ऑर्गेनिक खेती के फायदों उसके मूल्यों की जानकारी के लिए विजिट करवाया गया था.