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गया: हॉर्डकोर नक्सली ने किया सरेंडर, बोला- 'संगठन में होता था बहुत शोषण'

मौके पर वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को सरकार की नीति के तहत मिलने वाली सभी सामग्री जल्द दिए जाएंगे.

नक्सली समीर उर्फ शशि रंजन
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Published : Oct 4, 2019, 5:37 PM IST

Updated : Oct 4, 2019, 6:33 PM IST

गया: शुक्रवार को नक्सली संगठन के सक्रिय सदस्य समीर उर्फ शशि रंजन ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा और नक्सल अभियान अरुण कुमार सिंह के सामने आत्मसमर्पण किया. मौके पर पुलिस अधिकारियों ने सरेंडर करने वाले नक्सली के भीतर हुए बदलाव को सराहा. साथ ही उसे दैनिक सामग्रियां भी उपलब्ध कराई.

'वहां बहुत शोषण होता था'
वहीं, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली समीर उर्फ शशि रंजन ने बताया कि 2017 के दिसंबर महीना में मोबाइल खरीदने के लिए घरवालों से पैसा ना मिलने पर नक्सलियों के बहकावे में आकर माओवादी संगठन के दस्ते में शामिल हो गया था. उसने कहा कि दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 तक जोनल कमांडर अभिजीत उर्फ संदीप यादव के साथ रहा. उसने बताया कि वहां बहुत शोषण होता था इसलिए उसने सरेंडर करने का फैसला लिया.

gaya
नक्सली ने किया सरेंडर

'विरोध करने पर पीटा जाता था'
सरेंडर करने वाले नक्सली ने बताया कि संगठन के अंदर अत्याचारों का विरोध करने वालों को बुरी तरह से पीटा जाता है. साथ ही कई दिनों तक खाना नहीं दिया जाता. इन सभी बातों से तंग आकर उसने संगठन छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया. बता दें कि समीर प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी से जुड़ा हुआ था.

आत्मसमर्पण के बाद बोला नक्सली

पुलिस अधीक्षक ने दी जानकारी
मौके पर वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को सरकार की नीति के तहत मिलने वाली सभी सामग्री जल्द दिए जाएंगे. सरेंडर रिहैबिलिटेशन योजना के तहत इनके खाते में प्रतिमाह 4 हजार रुपये के दर से 3 साल तक कुल 1 लाख 44 हजार जमा किए जाएंगे. साथ ही कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के लिए साधन भी मुहैया कराया जाएगा.

गया: शुक्रवार को नक्सली संगठन के सक्रिय सदस्य समीर उर्फ शशि रंजन ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा और नक्सल अभियान अरुण कुमार सिंह के सामने आत्मसमर्पण किया. मौके पर पुलिस अधिकारियों ने सरेंडर करने वाले नक्सली के भीतर हुए बदलाव को सराहा. साथ ही उसे दैनिक सामग्रियां भी उपलब्ध कराई.

'वहां बहुत शोषण होता था'
वहीं, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली समीर उर्फ शशि रंजन ने बताया कि 2017 के दिसंबर महीना में मोबाइल खरीदने के लिए घरवालों से पैसा ना मिलने पर नक्सलियों के बहकावे में आकर माओवादी संगठन के दस्ते में शामिल हो गया था. उसने कहा कि दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 तक जोनल कमांडर अभिजीत उर्फ संदीप यादव के साथ रहा. उसने बताया कि वहां बहुत शोषण होता था इसलिए उसने सरेंडर करने का फैसला लिया.

gaya
नक्सली ने किया सरेंडर

'विरोध करने पर पीटा जाता था'
सरेंडर करने वाले नक्सली ने बताया कि संगठन के अंदर अत्याचारों का विरोध करने वालों को बुरी तरह से पीटा जाता है. साथ ही कई दिनों तक खाना नहीं दिया जाता. इन सभी बातों से तंग आकर उसने संगठन छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया. बता दें कि समीर प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी से जुड़ा हुआ था.

आत्मसमर्पण के बाद बोला नक्सली

पुलिस अधीक्षक ने दी जानकारी
मौके पर वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को सरकार की नीति के तहत मिलने वाली सभी सामग्री जल्द दिए जाएंगे. सरेंडर रिहैबिलिटेशन योजना के तहत इनके खाते में प्रतिमाह 4 हजार रुपये के दर से 3 साल तक कुल 1 लाख 44 हजार जमा किए जाएंगे. साथ ही कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के लिए साधन भी मुहैया कराया जाएगा.

Intro:प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के नक्सली ने एसएसपी के समक्ष किया सरेंडर,
तीन नक्सली कांडों में थी पुलिस को तलाश,
एसएसपी ने योजनाओं का लाभ देकर किया सम्मानित।


Body:गया: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का सक्रिय सदस्य समीर उर्फ शशि रंजन ने आज वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा व एसपी नक्सल अभियान अरुण कुमार सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया । आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को वरीय पुलिस अधीक्षक ने पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया और उनके परिजन को दैनिक उपयोग के कई सामग्री उपलब्ध कराई।
इस मौके पर वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को सरकार की नीति के तहत मिलने वाली और भी सभी सामग्री शीघ्र दिए जाएंगे। सरेंडर रिहैबिलिटेशन योजना के तहत इनके खाते में प्रतिमाह 4 हजार रुपये के दर से 3 साल तक कुल 1 लाख 44 हजार जमा किए जाएंगे। साथ ही कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के लिए साधन भी मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि निरंतर प्रयास रहता है कि कुछ भटके हुए नौजवान जो नक्सलियों के चंगुल में फंसकर उनका साथ दे रहे हैं। उन्हें सही मार्गदर्शन देकर नक्सलियों के चंगुल से मुक्त कराएं।
वही आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली समीर उर्फ़ शशि रंजन ने बताया कि 2017 के दिसंबर महीना में मोबाइल खरीदने के लिए घरवालों से पैसा ना मिलने पर नक्सलियों के बहकावे में आकर माओवादी संगठन के दस्ते में शामिल हो गया था। उसने कहा कि दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 तक जोनल कमांडर अभिजीत उर्फ संदीप यादव के साथ रहा। वर्तमान में नक्सलियों की संख्या में भारी कमी होने के चलते भोली भाली जनता को बुलाकर उन्हें नक्सलियों द्वारा अपने चंगुल में फंसा लिया जाता है और बाद में ऐसे व्यक्ति का शारीरिक व मानसिक शोषण किया जाता है। संगठन के निचले दर्जे के सदस्यों का भी शोषण किया जाता है। संगठन के अंदर इन सभी अत्याचारों का विरोध करने वालों को बुरी तरह से पीटा जाता है और कई दिनों तक खाना नहीं दिया जाता। इन सभी बातों से तंग आकर संगठन छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आज वरीय पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण कर रहा हूं।

बाइट- राजीव मिश्रा, एसएसपी गया।
बाइट- समीर उर्फ शशि रंजन, आत्मसमर्पण करने वाला नक्सली।

रिपोर्ट- प्रदीप कुमार सिंह
गया


Conclusion:
Last Updated : Oct 4, 2019, 6:33 PM IST
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