गया: बिहार के गया में रहने वाले दानवीर चायवाला संजय कुमार चंद्रवंशी 36 वर्षों से चाय और जूस बेचकर गरीब, लाचार और पागलों की मदद कर रहे हैं. जिसकी वजह से लोग संजय को आधुनिक युग का दानवीर कर्ण कहने लगे. ये सालों से गया शहर के गोल पत्थर रोड मोड़ पर हर गरीब, लाचार को निशुल्क चाय और भोजन देते हैं. गया में कड़ाके की पड़ने वाली ठंड में वो लोगों के लिए कंबल और अलाव तक की व्यवस्था करते हैं. इनके अंदर गरीबों की मदद करने का जज्बा इस कदर है कि लॉकडाउन में इन्होंने पैसे की कमी होने पर अपना मकान तक बेच दिया.
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36 वर्षों से कर रहे गरीबों की मददः संजय मुख्य रूप से नक्सल प्रभावित गया जिले के इमामगंज प्रखंड के केंदुआ गांव का रहने वाला हैं, जो इन दिनों गरीब, लाचार व पागलों का सहारा बने हुआ हैं. इस संबंध में संजय कुमार चंद्रवंशी ने बताया कि बीते 36 वर्षों से वह गरीब और लाचार की निशुल्क भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं. चाय और जूस बेचकर जो भी आमदनी होती है, उसके आधा पैसा से परिवार का भरण-पोषण करते हैं और बाकी पैसे से गरीब व लाचारों की मदद करते हैं. संजय कहते हैं कि रिक्शा वाले, ठेला वाले, मानसिक रोग से ग्रसित रोगी और साधु-संत सभी तरह के लोग आते हैं. ये उन्हें भोजन खिलाने से लेकर बाल-दाढ़ी तक बनवाते हैं.
"अहले सुबह चाय और बिस्कुट की व्यवस्था लोगों को करता हूं. रोजाना लगभग 30 से 40 जरूरतमंद लोग चाय दुकान के पास आते हैं और निशुल्क चाय और बिस्कुट ग्रहण करते हैं. दोपहर का भोजन भी लोगों को कराया जाता है. मेरे पास आने वालों में ठेला, रिक्शा चालक और साधु-संत भी हैं. दादा और पिता के द्वारा यह सीख दी गई कि दूसरों की मदद करने से परिवार की तरक्की होती है और इसी प्रेरणा के साथ हमने यह शुरुआत शहर के गोल पत्थर मोड़ पर चाय और जूस की दुकान के साथ की थी और आज भी कर रहे हैं"- संजय कुमार चंद्रवंशी, चाय दुकानदार
लॉकडाउन के समय बेचा मकानः संजय बताते हैं कि कोरोना के कारण लॉकडाउन के समय हमारी स्थिति भी दयनीय होती चली गई. तब गया-पटना मुख्य सड़क मार्ग के कंडी नवादा मोहल्ला के पास हमने अपना मकान 11 लाख रुपये में बेच दिया और गरीबों की मदद की. लेकिन स्थिति तब भी नहीं सुधरी. अब लाचारी में एक वक्त का भोजन ही जरूरतमंदों को करा पाते हैं. ठंड के मौसम में कंबल उपलब्ध कराते हैं और अलाव की व्यवस्था करते हैं. इसके लिए कहीं से भी किसी तरह का दान नहीं लेते.
आगे बातचीत के दौरान संजय कहते हैं- "कई स्वयंसेवी संगठन और सामाजिक लोगों ने साथ रहकर इस तरह का कार्य करने की सलाह दी. लेकिन हमने इनकार कर दिया. हम से जितना बन सकता है, वह हम करते हैं. अब इस काम में हमारी पत्नी और बेटा गौतम चंद्रवंशी भी सहयोग करते हैं. आगे भी हमारा यह दान का काम चलता रहेगा".
सुबह 4 बजे से खुल जाती है चाय दुकानः वहीं, रिक्शा चालक जटा मांझी ने बताया कि अहले सुबह 4 बजे से संजय की चाय दुकान के पास अलाव की व्यवस्था रहती है. जिससे ठंड से काफी राहत मिलती है. इसके अलावा निशुल्क चाय, बिस्कुट और दोपहर का भोजन भी मिलता है. वर्तमान समय में जहां बड़े-बड़े लोग गरीबों की मदद नहीं करते. वहां चायवाला संजय हम गरीब लोगों की मदद कर रहा है. इससे हमें बहुत राहत होती है. खासकर इन दिनों ठंड में अलाव की व्यवस्था और निशुल्क चाय मिल जाती है, तो बहुत राहत मिलती है.
'यह बहुत ही सराहनीय कार्य है': एक स्थानीय निवासी उपेंद्र प्रसाद ने बताया कि बीते 12 सालों से वो यहां रह रहे हैं और संजय को निशुल्क चाय, बिस्कुट व खाना खिलाते देख रहे हैं. यह बहुत ही सराहनीय कार्य है. एक तरफ वर्तमान समय में लोग किसी की मदद नहीं करते, वही संजय चाय और जूस बेचकर गरीबों को निशुल्क भोजन की व्यवस्था करता है. इतना ही नहीं ये मानसिक रूप से ग्रसित रोगियों को बाल-दाढ़ी तक बनवाता है. ठंड में लोगों को अलाव और कंबल की व्यवस्था इनके द्वारा की जाती है.
"12 सालों से हम खुद यहां संजय को ऐसे करते देख रहे हैं. ये मानसिक रूप से ग्रसित रोगियों को बाल-दाढ़ी तक बनवाता है. ठंड में लोगों को अलाव और कंबल की व्यवस्था इनके द्वारा की जाती है. निश्चित रूप से यह गॉड गिफ्टेड है. ऐसा कार्य सभी लोग नहीं कर पाते हैं. इसके लिए हम इन्हें साधुवाद देते हैं"- उपेंद्र प्रसाद, स्थानीय निवासी