गया: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला (Gaya Pitri Paksha Mela) 9 सितंबर से शुरू होने जा रहा है लेकिन पितृपक्ष मेले की शुरुआत के दो दिन पहले एक नया विवाद शुरू हो गया है. इस बार पाल पंडा समाज ने ऑनलाइन ई पिंडदान का विरोध (Gaya Pal Panda Samaj opposed e-pinddan) किया है. साथ ही कहा है कि सरकार सनातन धर्म विरोधी इस तरह की नीतियों को प्रश्रय दे रही है.
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अग्नि संस्कार भी ऑनलाइन किया जा सकता है क्या: इस संबंध में विष्णुपद मंदिर प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विट्ठल ने बताया कि ऑनलाइन ई-पिंडदान बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने चालू किया है. लेकिन, उनको यह मालूम नहीं है कि पिंडदान स्वयं के हाथ से पितरों को तर्पण किया जाता है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या अग्नि संस्कार भी ऑनलाइन संभव है.
पंडा समाज किसी से नहीं लेता पैकेज : शंभूलाल विट्ठल ने बताया कि श्रद्धा का नाम श्राद्ध है. पंडा समाज किसी से पैकेज नहीं लेता है, लेकिन सरकार ने शुरू किया है. इसके लिए कथित ब्राह्मण सक्रिय हैं. वह पिंडदानियों से आग्रह करते हैं कि इस तरह के पिंडदान का कोई महत्व नहीं है. साथ ही इसे बंद करने की मुख्यमंत्री से मांग रखेंगे.
मेले में उचित नहीं गरुड़ पुराण का वाचन : उन्होंने कहा कि पितृपक्ष मेले में कथावाचक आ रहे हैं, जो गरुड़ पुराण कहेंगे. जबकि उनको मालूम होना चाहिए कि गरुड़ पुराण अंतिम संस्कार क्रिया के दौरान होता है. इस तरह ठगी करने वाले लोग सक्रिय हैं. पितृपक्ष मेले में गरुड़ पुराण कहीं से उचित नहीं है. इसे वे रोकने की मांग करते हैं.
सनातन धर्म विरोधी है ई-पिंडदान: सरकार का ऑनलाइन ई-पिंडदान सनातन धर्म विरोधी है. इसका हम पंडा समाज खुलकर विरोध करते हैं और जरूरत पड़ी तो आगे की रणनीति भी इसके खिलाफ बनाएंगें.
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"भोले भाले तीर्थयात्रियों को हम आगाह करते हैं कि पिंडदान के लिए कहीं कोई ऑनलाइन की व्यवस्था नहीं है. अपने को ब्राह्मण कहने वाले ऐसे ठगों से बचें. स्वयं अपने हाथ से पितरों को तर्पण करने का विधान है. सरकार हो या हमारे समाज के लोग हों जो ऑनलाइन पिंडदान के नाम पर ठगने का काम कर रहे हैं उनकी हमलोग कड़ी निंदा करते हैं."- शंभूलाल विट्ठल, अध्यक्ष, विष्णुपद मंदिर प्रबंध कारिणी समिति