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जल संचय परियोजना में गया ने पेश की नजीर, पहाड़ों से संचित पानी से 1100 पौधों का हो रहा रख-रखाव - गया नीमचक बथानी

गया के नीमचक बथानी में पहाड़ी इलाकों के पानी को संचित कर 1100 पौधों की सिंचाई का काम किया जा रहा है. प्रखण्ड कार्यालय में पहाड़ से आनेवाले पानी का संचय उसका सदुपयोग पूरे बिहार के लिए उदाहरण है.

जल संचय परियोजना
जल संचय परियोजना
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Published : Aug 30, 2020, 7:18 PM IST

गया: जिले के नीमचक बथानी में जल संचय परियोजना के तहत मनरेगा ने पूरे बिहार के लिए एक नजीर पेश किया है. नीमचक बथानी प्रखण्ड कार्यालय में सालों से बरसात में पहाड़ का पानी बर्बाद हो जाता था. अब उस पानी को संचय कर पानी को बर्बाद नहीं होने दिया जा रहा है.पहाड़ से आया पानी रिचार्ज बोरवेल से होकर कंक्रीट के तालाब में आता है. इसके बाद प्रखण्ड कार्यालय बाथरूम और शौचालय में जाता है. जिससे 1100 पौधे का सिंचाई किया जाता है.

नीमचक बथानी प्रखंड कार्यालय में मनरेगा की ओर से जल संचय परियोजना की जमीनी हकीकत आज पूरे बिहार में नजीर पेश कर रही है. बता दें कि प्रखंड कार्यालय परिसर में पहाड़ी पानी के नियंत्रित निस्तारण और संचालन के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. जिससे व्यवस्थित प्रक्रिया के अभाव में बारिश में कार्यालय तक पहुंचना भी दुर्लभ था.

देखें, खास रिपोर्ट

इस तरह सफल हुआ जल संचय का काम
संपूर्ण परिसर की भौगोलिक व्यवस्थाओं के विस्तृत अध्ययन के बाद ही त्रीस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से योजनाओं का आंकलन, तकनीकी पहचान, योजनाओं की प्राथमिकता भविष्य की अपेक्षाओं से जल संचय का काम सफल हुआ है. बता दें कि नीमचक बथानी कार्यालय परिसर के बाहर 95 एकड़ फैला विशाल पहाड़ है. बरसात के दिनों में बारिश होने पर पहाड़ का पानी प्रखण्ड कार्यालय की दीवार और रास्ते को बर्बाद कर देता था. इस पानी का उपयोग नहीं होता था. इसको लेकर मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी ने पहाड़ से आनेवाले पानी को लेकर प्लान तैयार किया.

GAYA
निरीक्षण करते अधिकारी

मनरेगा अधिकारी ने दी जानकारी
मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी नीरज त्रिवेदी ने बताया इस संपूर्ण परियोजना का लक्ष्य लगभग 95 एकड़ की पहाड़ी पर होने वाली वर्षा जल को एक व्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से इस प्रखंड और निकटवर्ती पंचायतों की लगभग 3500 की आबादी को बारिश की शुद्धता और जल का संचय सुनिश्चित कराना है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना में लगभग 75 एकड़ पहाड़ी भूमि पर होने वाले वर्षा जल को इस रिचार्ज बोरवेल के माध्यम से भूगर्भ जल को रिचार्ज किया जा रहा है. साथ ही कुल 90 फीट गहरे बोरवेल में हर साल लगभग 45 लाख लीटर वर्षा जल को भूगर्भ को बेचकर भविष्य के लिए की विषमताओं को नियंत्रण करना है.

GAYA
मौके पर मौजूद ग्रामीण

DM ने किया परियोजना का उद्घाटन
वहीं जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने नीमचक बथानी प्रखंड कार्यालय में मनरेगा के जल संचय परियोजनाओं का उद्घाटन किया. उद्घाटन के पहले प्रखंड कार्यालय परिसर में प्रखंड विकास पदाधिकारी नीमचक बथानी की ओर से डीएम अभिषेक सिंह का स्वागत किया गया. डीएम अभिषेक सिंह ने कहा कि जल संचय के लिए मनरेगा की भूमिका ऐसी पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अति महत्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने कहा कि इस चुनौतियों के बीच असीम संभावनाओं से इनकार नहीं किया जाता है. डीएम ने आगे कहा कि ऐसे में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती है.

GAYA
कार्यों की जानकारी लेते डीएम

भविष्य में होंगे अनेक फायदे
डीएम अभिषेक ने आगे बताया कि पहाड़ के पानी का संचय करना फिर रिचार्ज बोरवेल लाना उसके बाद बचे पानी को कार्यालय में बने शौचालय में प्रयोग करना है. उन्होंने कहा कि अगर उससे भी पानी बच गया तो उससे सिंचाई करना और मत्स्य पालन करना हमारा लक्ष्य है. इस तरह का प्रयोग खासकर के गांव में भी लोग कर सकते हैं. इससे उनके साथ साथ उनके भविष्य को बहुत फायदे होंगे

93 फीट नीचे पहुंचता है पानी
गौरतलब है कि बिहार में पहला उदाहरण है, जिसमें पहाड़ का पानी जो पहले ऐसे ही बर्बाद होता था. उसे रोककर संरक्षण करने की कोई व्यवस्था नहीं थी. उसे यहां ड्रेन के माध्यम से मनरेगा और जल जीवन हरियाली योजना द्वारा बनाया गया है. इस बारिश के पानी को चैनल के माध्यम से रिचार्ज बोरवेल भूगर्भ के अंदर जल ले जाने का कार्य किया गया. जिसमें करीब 93 फीट नीचे पानी के धरती के अंदर पहुंचता है. उसके बाद छोटा सा चैक डेम,चैक स्टोरेज , बनाया गया है, जिसके बाद यह पानी फिर विभिन्न कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है. वहीं जल निकासी के लिए 450 फीट लंबा और साढे 3 फीट चौड़ा 3 फीट गहरा जल निकासी का निर्माण किया गया है.

गया: जिले के नीमचक बथानी में जल संचय परियोजना के तहत मनरेगा ने पूरे बिहार के लिए एक नजीर पेश किया है. नीमचक बथानी प्रखण्ड कार्यालय में सालों से बरसात में पहाड़ का पानी बर्बाद हो जाता था. अब उस पानी को संचय कर पानी को बर्बाद नहीं होने दिया जा रहा है.पहाड़ से आया पानी रिचार्ज बोरवेल से होकर कंक्रीट के तालाब में आता है. इसके बाद प्रखण्ड कार्यालय बाथरूम और शौचालय में जाता है. जिससे 1100 पौधे का सिंचाई किया जाता है.

नीमचक बथानी प्रखंड कार्यालय में मनरेगा की ओर से जल संचय परियोजना की जमीनी हकीकत आज पूरे बिहार में नजीर पेश कर रही है. बता दें कि प्रखंड कार्यालय परिसर में पहाड़ी पानी के नियंत्रित निस्तारण और संचालन के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. जिससे व्यवस्थित प्रक्रिया के अभाव में बारिश में कार्यालय तक पहुंचना भी दुर्लभ था.

देखें, खास रिपोर्ट

इस तरह सफल हुआ जल संचय का काम
संपूर्ण परिसर की भौगोलिक व्यवस्थाओं के विस्तृत अध्ययन के बाद ही त्रीस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से योजनाओं का आंकलन, तकनीकी पहचान, योजनाओं की प्राथमिकता भविष्य की अपेक्षाओं से जल संचय का काम सफल हुआ है. बता दें कि नीमचक बथानी कार्यालय परिसर के बाहर 95 एकड़ फैला विशाल पहाड़ है. बरसात के दिनों में बारिश होने पर पहाड़ का पानी प्रखण्ड कार्यालय की दीवार और रास्ते को बर्बाद कर देता था. इस पानी का उपयोग नहीं होता था. इसको लेकर मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी ने पहाड़ से आनेवाले पानी को लेकर प्लान तैयार किया.

GAYA
निरीक्षण करते अधिकारी

मनरेगा अधिकारी ने दी जानकारी
मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी नीरज त्रिवेदी ने बताया इस संपूर्ण परियोजना का लक्ष्य लगभग 95 एकड़ की पहाड़ी पर होने वाली वर्षा जल को एक व्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से इस प्रखंड और निकटवर्ती पंचायतों की लगभग 3500 की आबादी को बारिश की शुद्धता और जल का संचय सुनिश्चित कराना है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना में लगभग 75 एकड़ पहाड़ी भूमि पर होने वाले वर्षा जल को इस रिचार्ज बोरवेल के माध्यम से भूगर्भ जल को रिचार्ज किया जा रहा है. साथ ही कुल 90 फीट गहरे बोरवेल में हर साल लगभग 45 लाख लीटर वर्षा जल को भूगर्भ को बेचकर भविष्य के लिए की विषमताओं को नियंत्रण करना है.

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मौके पर मौजूद ग्रामीण

DM ने किया परियोजना का उद्घाटन
वहीं जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने नीमचक बथानी प्रखंड कार्यालय में मनरेगा के जल संचय परियोजनाओं का उद्घाटन किया. उद्घाटन के पहले प्रखंड कार्यालय परिसर में प्रखंड विकास पदाधिकारी नीमचक बथानी की ओर से डीएम अभिषेक सिंह का स्वागत किया गया. डीएम अभिषेक सिंह ने कहा कि जल संचय के लिए मनरेगा की भूमिका ऐसी पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अति महत्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने कहा कि इस चुनौतियों के बीच असीम संभावनाओं से इनकार नहीं किया जाता है. डीएम ने आगे कहा कि ऐसे में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो जाती है.

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कार्यों की जानकारी लेते डीएम

भविष्य में होंगे अनेक फायदे
डीएम अभिषेक ने आगे बताया कि पहाड़ के पानी का संचय करना फिर रिचार्ज बोरवेल लाना उसके बाद बचे पानी को कार्यालय में बने शौचालय में प्रयोग करना है. उन्होंने कहा कि अगर उससे भी पानी बच गया तो उससे सिंचाई करना और मत्स्य पालन करना हमारा लक्ष्य है. इस तरह का प्रयोग खासकर के गांव में भी लोग कर सकते हैं. इससे उनके साथ साथ उनके भविष्य को बहुत फायदे होंगे

93 फीट नीचे पहुंचता है पानी
गौरतलब है कि बिहार में पहला उदाहरण है, जिसमें पहाड़ का पानी जो पहले ऐसे ही बर्बाद होता था. उसे रोककर संरक्षण करने की कोई व्यवस्था नहीं थी. उसे यहां ड्रेन के माध्यम से मनरेगा और जल जीवन हरियाली योजना द्वारा बनाया गया है. इस बारिश के पानी को चैनल के माध्यम से रिचार्ज बोरवेल भूगर्भ के अंदर जल ले जाने का कार्य किया गया. जिसमें करीब 93 फीट नीचे पानी के धरती के अंदर पहुंचता है. उसके बाद छोटा सा चैक डेम,चैक स्टोरेज , बनाया गया है, जिसके बाद यह पानी फिर विभिन्न कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है. वहीं जल निकासी के लिए 450 फीट लंबा और साढे 3 फीट चौड़ा 3 फीट गहरा जल निकासी का निर्माण किया गया है.

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