गया: बिहार में नीतीश सरकार 2015 में सरकार बनते ही सात निश्चय योजना शुरू करती है जिसके तहत हर घर नल से जल पहुंचाने का वादा किया गया था. लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है.आज भी कई गांव इस योजना से महरूम है और पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में विदेशियों ने इन गांववालों की मदद की है. इनके गांवों में दो दो चापानल लगवाया है.
नल जल योजना के तहत नहीं पहुंचा पानी
गया के खिजरसराय प्रखण्ड के रामवृक्ष नगर और सोन नगर में पिछले एक साल से नल जल योजना के तहत पानी नहीं पहुंचा था. ग्रामीण एक किलोमीटर दूरी तय करके पानी लाने जाते हैं. जब स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन ने इनकी समस्या का हल नहीं निकाला तो दोनों गांव के ग्रामीणों ने विदेशियों से गुहार लगायी. और विदेशियों ने इनकी मदद भी की.
विदेशियों ने की ग्रामीणों की मदद
जनप्रतिनिधियों से निराश ग्रामीणों की गुहार विदेशियों ने सुनी.अमेरिका की रहनेवाली विदेशी बुद्धिस्ट सिस्टर ब्लू लोटस और बोधगया के समाजसेवी विवेक कल्याण ने दोनो गांव में दो दो चापाकल लगवाए हैं. गांव में चापाकल लगने से ग्रामीण काफी खुश हैं. बरसों से चली आ रही ग्रामीणों की समस्या का काफी हद तक समाधान हो गया है.
ग्रामीणों ने विदेशियों का दिल खोलकर किया स्वागत
महिलाओं ने विदेशी महिला सिस्टर ब्लू लोटस उनके साथ आये दो बौद्ध भंते का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया. महिला और बच्चे बेसब्री से इंतजार में थे कि जल्दी से इन चापाकल का शुभारंभ सिस्टर ब्लू लोटस करें. सिस्टर ने जैसे ही चापाकल से पानी बाल्टी में भरा पूरा गांव एकजुट हो गया था.
एक साल पहले इस गांव में नल जल योजना के तहत पाइप बिछा दिया गया था लेकिन अभी तक पानी नही मिला है. पास में नदी है वो भी सुख चुकी है. पेयजल और दिनचर्या के लिए पानी तक गांव में नही था. दूसरे गांव से पानी लाकर हमलोग पीते थे. हमलोगों ने बोधगया में विदेशियों से संपर्क किया. उन्होंने सरकार से पहले गांव में चापाकल लगा दिया. जिससे अब बहुत आराम हो गया है.
ग्रामीण महिलाओं का कहना है..
हमलोग दूसरे गांव से आकर यहां बस गए हैं. हमलोगों के पास राशन कार्ड ,आधार कार्ड भी है. हमलोग वोट भी देते है लेकिन हमारी समस्या को सरकार ने अभी तक नहीं सुना. बोधगया से विदेशियों ने आकर हमारी पानी की समस्या को दूर कर दिया है. पानी की समस्या से हम सभी महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान थीं.
'मैं पिछले 15 सालो में गया के विभिन्न क्षेत्रों में दो हजार से अधिक चापाकल लगवा चुका हूं. ये चापाकल बिल्कुल निःशुल्क लगता है. लोग विभिन्न माध्यम से मुझसे संपर्क करते हैं. मैं या मेरी टीम उस जगह का निरीक्षण करती है. और फिर चापाकल लगवाते हैं. जब नल जल योजना शुरू हुआ था मुझे उम्मीद थी कि 5 सालो में हर घर मे पानी पहुंच जाएगा. लेकिन गया जिले के दर्जनों ऐसे गांव है जहां पेयजल की समस्या बनी हुई है.' विवेक कल्याण, समाजसेवी
दो गांव को विदेशियों ने दिया पानी
गौरतलब है कि गया जिला की भौगोलिक रचना पथरीली हैं और यहां की नदियां बरसाती हैं. गया जिले के अधिकांश इलाके में पेयजल की समस्या व्याप्त है. खासकर पहाड़ी इलाके और सुदूर इलाके में नल जल योजना नहीं पहुंची है. यहां तक शहरी इलाके में कई स्थानों पर पेयजल की समस्या बनी हुई है. रामवृक्ष नगर और सोननगर में लगभग दो सौ लोगों की बस्ती है. दोनों गांव में दलित समुदाय के लोग बसे है.विदेशियों ने इन दोनों गांव की प्यास बुझाने का काम किया है.