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नीदरलैंड से आए विदेशी श्रद्धालु, पितरों की शांति के लिए किया पिंडदान - Foreign Devotees Performed Pind Daan

बिहार के गयाजी में इस बार पिंड दान करने के लिए श्रद्धालु देश- विदेश से आ रहे हैं. इस पितृपक्ष के मौके पर एक परिवार निदरलैंड से अपने पितरों की आत्मा की शांती के लिए पिंडदान करने आया है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

नीदरलैंड से आए विदेशी श्रद्धालु
नीदरलैंड से आए विदेशी श्रद्धालु
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Published : Sep 13, 2022, 7:28 PM IST

गया: बिहार के गया को मोक्ष धाम (Gayaji Moksha Dham) के रूप में जाना जाता है. पिंडदान करने के लिए गयाजी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. वैसे तो पूरे साल गया में पिंडदान किया जाता है. लेकिन आश्विन मास के दौरान प्रतिवर्ष पड़ने वाले पितृपक्ष के मौके पर पिंडदान का विशेष महत्व है. इस दौरान देश-विदेश से भी पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष और आत्मा की शांति के लिए गयाजी आते हैं और विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान करते हैं.

पढ़ें: गया में होता है खुद का पिंडदान ताकि मरने पर आत्मा को मिले शान्ति


विदेश से आए श्रद्धालु: इसी क्रम में 4 विदेशी श्रद्धालु गयाजी पहुंचे और अपने पितरों की मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान किया. ये चारों श्रद्धालु नीदरलैंड से गयाजी पहुंचे थे. सभी ने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए विष्णुपद मंदिर स्थित देवघाट पर पिंडदान किया. इनमें 3 महिला संद्रावत, लीलावती, मिना कुमरी और एक पुरुष चंद्रे कुमार शामिल हैं. सभी ने वैदिक मंत्रोच्चार कर अपने पितृदोष से मुक्ति के लिए पिंडदान किया. इन श्रद्धालुओं को स्थानीय पंडा ने पूरे विधि विधान से पिंडदान कराया.


"मैं यहां पितृदोष से मुक्ति के लिए पिंडदान करने आई हूं. गयाजी में पूर्वजों को लेकर होने वाले इस अनुष्ठान के बारे में मैंने इंटरनेट के माध्यम से पढ़ा था. जिससे यहां आने के लिए प्रेरित हुई. पिंडदान करने के बाद मुझे अलग ही अनुभूति महसूस हुई. घर में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था. इसलिए अपने इस पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए यहां आई हूं. पितृपक्ष मेला में यहां प्रशासन के द्वारा अच्छी व्यवस्था की गई है. मैं ने स्थानीय पंडा के द्वारा बताए गए पूरे विधि विधान के साथ पिंडदान किया है."-मिना कुमरी, नीदरलैंड निवासी



पढ़ें-गया में मनाई गई पितृ दीपावली, दीप जलाकर छोड़े गए पटाखे

गया: बिहार के गया को मोक्ष धाम (Gayaji Moksha Dham) के रूप में जाना जाता है. पिंडदान करने के लिए गयाजी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. वैसे तो पूरे साल गया में पिंडदान किया जाता है. लेकिन आश्विन मास के दौरान प्रतिवर्ष पड़ने वाले पितृपक्ष के मौके पर पिंडदान का विशेष महत्व है. इस दौरान देश-विदेश से भी पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष और आत्मा की शांति के लिए गयाजी आते हैं और विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान करते हैं.

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विदेश से आए श्रद्धालु: इसी क्रम में 4 विदेशी श्रद्धालु गयाजी पहुंचे और अपने पितरों की मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान किया. ये चारों श्रद्धालु नीदरलैंड से गयाजी पहुंचे थे. सभी ने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए विष्णुपद मंदिर स्थित देवघाट पर पिंडदान किया. इनमें 3 महिला संद्रावत, लीलावती, मिना कुमरी और एक पुरुष चंद्रे कुमार शामिल हैं. सभी ने वैदिक मंत्रोच्चार कर अपने पितृदोष से मुक्ति के लिए पिंडदान किया. इन श्रद्धालुओं को स्थानीय पंडा ने पूरे विधि विधान से पिंडदान कराया.


"मैं यहां पितृदोष से मुक्ति के लिए पिंडदान करने आई हूं. गयाजी में पूर्वजों को लेकर होने वाले इस अनुष्ठान के बारे में मैंने इंटरनेट के माध्यम से पढ़ा था. जिससे यहां आने के लिए प्रेरित हुई. पिंडदान करने के बाद मुझे अलग ही अनुभूति महसूस हुई. घर में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था. इसलिए अपने इस पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए यहां आई हूं. पितृपक्ष मेला में यहां प्रशासन के द्वारा अच्छी व्यवस्था की गई है. मैं ने स्थानीय पंडा के द्वारा बताए गए पूरे विधि विधान के साथ पिंडदान किया है."-मिना कुमरी, नीदरलैंड निवासी



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