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Gaya News: महंगी बिजली से निजात! नक्सल क्षेत्र में सौर ऊर्जा से चल रहा आटा, दाल, तेल और मसाला मिल - Flour mill running through solar power

गया में सौर ऊर्जा के स्त्रोत ने व्यवसाय मंंडी में जान ला दी है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सौर ऊर्जा से आटा, दाल, तेल और मसाला मिल चल रहा है. सौर ऊर्जा से यहां के व्यवसाईयों को काफी मुनाफा हो रहा है. सौर ऊर्जा का सेटअप लगाने में एक बार राशि खर्च होती है. उसके बाद उसमें कोई पैसा नहीं लगता है. आईए जानते हैं कि आटा चक्की व्यवसायी को सौर ऊर्जा के बारे में कहां से जानकारी मिली और कैसे इसे लगाया गया.

गया में सौर ऊर्जा से आटा मील का संचालन
गया में सौर ऊर्जा से आटा मील का संचालन
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Published : Mar 26, 2023, 9:42 PM IST

गया में सौर ऊर्जा से आटा मिल का संचालन

गया: बिहार के गया में सौर ऊर्जा (Solar Energy In Gaya) मील का पत्थर साबित हो रहा है. गया में सौर ऊर्जा एनर्जी का स्रोत बनी है. यदि यह नहीं होती तो छोटे-छोटे उद्योग धंधे बंद हो जाते. आज नक्सल प्रभावित इमामगंज विधानसभा क्षेत्र कई ऐसे धंधे हैं, जो सौर ऊर्जा से संचालित किए जा रहे हैं. आटा चक्की भी इनमें से एक है.

ये भी पढ़ें- ऊर्जा विभाग का 11475.97 करोड़ का बजट पास, मंत्री ने कहा- 'सौर ऊर्जा पर हम लोगों का जोर'

इमामगंज में चल रहा सौर ऊर्जा से मिल: नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सौर ऊर्जा का कमाल दिख रहा है. इस क्षेत्र में सौर ऊर्जा से आटा मिल, तेल मिल, दाल मिल और मसाला मिल संचालित किए जा रहे हैं. सौर ऊर्जा यानि सोलर सिस्टम न सिर्फ उद्योग धंधे को बचा रही है, बल्कि उनकी आमदनी को भी बढ़ाने में मददगार साबित हुई है.

बिजली विभाग के रवैया से बंद हो रहा छोटे धंधे: बिजली विभाग के रवैया के कारण छोटे-छोटे धंधे बंद होते जा रहे थे, लेकिन सौर ऊर्जा के बल से ऐसे बंद होते धंधों को बढ़ावा मिला है. इस तरह से सौर ऊर्जा ने छोटे-छोटे धंधों में जान सी फूंक दी है. व्यवसाई बताते हैं, कि पहले बिजली से मिलों का संचालन करते थे. लेकिन बिजली बिल इतना आता था, कि आमदनी भी कम पड़ जाती थी. ऐसी स्थिति में व्यवसाई परेशान थे. इसके बाद डीजल सेट का सहारा लिया, लेकिन उससे भी आमदनी नहीं बढ़ पा रही थी. डीजल सेट से मिल चलाना काफी मुश्किल भरा काम साबित होने लगा था.

धंधे को बंद करने का लिया था निर्णय: डीजल सेट चला कर भी मिल के संचालन में जब आमदनी नहीं बढ़ी, तो अपने व्यवसाय को ही बंद करने का निर्णय ले लिया. किंतु इसके बीच यूट्यूब पर सर्च किया तो सौर ऊर्जा का आईडिया मिला. इसके बाद घर में सोलर प्लेट लगवा कर मिल का संचालन करवा रहे हैं. अब सौर उर्जा से आटा मिल, दाल मिल, तेल मिल, मसाला मिल आदि संचालित किए जा रहे हैं.

सैकड़ों पेड़ भी होते हैं सुरक्षित: जानकारी के अनुसार सौर ऊर्जा से मिल चलाने से पर्यावरण को भी मदद मिलती है. बताया जाता है, कि डीजल पंप से इस तरह के धंधे किए जाने से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा काफी निकलती है, जो पेड़ पौधों के लिए भी हानिकारक होती है. व्यवसाई रविंद्र कुमार बताते हैं कि सौर ऊर्जा से प्राकृतिक तरीके से सब कुछ होता है. ऐसे में धुआं नहीं निकलता है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वातावरण में नहीं के बराबर फैलती है. ऐसे में इस तरह सौर ऊर्जा से व्यवसायिक मिलों का संचालन कर पेड़ों के बीच सुरक्षा हो रही है. यदि व्यवसायिक मिल सोलर से संचालित होते हैं, तो सैकड़ों पेङों की सुरक्षा होती है.

6 लाख में खरीदी सोलर सिस्टम: इस संबंध में सौर ऊर्जा से मिल का संचालन कर रहे अनिल कुमार बताते हैं, कि 6 लाख में सोलर सिस्टम को खरीदा गया है. उन्होंने बताया कि पहले बिजली और डीजल सेट से मिल चलाते थे, लेकिन वह घाटे का सौदा साबित हो रहा था. बिजली बिल मनमाने तौर पर भेजा जाता था. जिससे आमदनी कम और खर्चा ज्यादा हो रही थी. ऐसी स्थिति में सौर ऊर्जा का आईडिया यूट्यूब से आया तो उसके बाद सोलर सिस्टम की खरीदी 6 लाख में की गई है. अब इसमें अलग से कोई खर्च नहीं आ रहा, बल्कि बचत ही बचत हो रही है.

"6 लाख में सोलर सिस्टम को खरीदा गया है. पहले बिजली और डीजल सेट से मिल चलाते थे, लेकिन वह घाटे का सौदा साबित हो रहा था. बिजली बिल मनमाने तौर पर भेजा जाता था. जिससे आमदनी कम और खर्चा ज्यादा हो रही थी. ऐसी स्थिति में सौर ऊर्जा का आईडिया यूट्यूब से आया तो उसके बाद सोलर सिस्टम की खरीदी 6 लाख में की गई है. अब इसमें अलग से कोई खर्च नहीं आ रहा है."- अनिल कुमार, सौर ऊर्जा मिल संचालक

गया में सौर ऊर्जा से आटा मिल का संचालन

गया: बिहार के गया में सौर ऊर्जा (Solar Energy In Gaya) मील का पत्थर साबित हो रहा है. गया में सौर ऊर्जा एनर्जी का स्रोत बनी है. यदि यह नहीं होती तो छोटे-छोटे उद्योग धंधे बंद हो जाते. आज नक्सल प्रभावित इमामगंज विधानसभा क्षेत्र कई ऐसे धंधे हैं, जो सौर ऊर्जा से संचालित किए जा रहे हैं. आटा चक्की भी इनमें से एक है.

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इमामगंज में चल रहा सौर ऊर्जा से मिल: नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सौर ऊर्जा का कमाल दिख रहा है. इस क्षेत्र में सौर ऊर्जा से आटा मिल, तेल मिल, दाल मिल और मसाला मिल संचालित किए जा रहे हैं. सौर ऊर्जा यानि सोलर सिस्टम न सिर्फ उद्योग धंधे को बचा रही है, बल्कि उनकी आमदनी को भी बढ़ाने में मददगार साबित हुई है.

बिजली विभाग के रवैया से बंद हो रहा छोटे धंधे: बिजली विभाग के रवैया के कारण छोटे-छोटे धंधे बंद होते जा रहे थे, लेकिन सौर ऊर्जा के बल से ऐसे बंद होते धंधों को बढ़ावा मिला है. इस तरह से सौर ऊर्जा ने छोटे-छोटे धंधों में जान सी फूंक दी है. व्यवसाई बताते हैं, कि पहले बिजली से मिलों का संचालन करते थे. लेकिन बिजली बिल इतना आता था, कि आमदनी भी कम पड़ जाती थी. ऐसी स्थिति में व्यवसाई परेशान थे. इसके बाद डीजल सेट का सहारा लिया, लेकिन उससे भी आमदनी नहीं बढ़ पा रही थी. डीजल सेट से मिल चलाना काफी मुश्किल भरा काम साबित होने लगा था.

धंधे को बंद करने का लिया था निर्णय: डीजल सेट चला कर भी मिल के संचालन में जब आमदनी नहीं बढ़ी, तो अपने व्यवसाय को ही बंद करने का निर्णय ले लिया. किंतु इसके बीच यूट्यूब पर सर्च किया तो सौर ऊर्जा का आईडिया मिला. इसके बाद घर में सोलर प्लेट लगवा कर मिल का संचालन करवा रहे हैं. अब सौर उर्जा से आटा मिल, दाल मिल, तेल मिल, मसाला मिल आदि संचालित किए जा रहे हैं.

सैकड़ों पेड़ भी होते हैं सुरक्षित: जानकारी के अनुसार सौर ऊर्जा से मिल चलाने से पर्यावरण को भी मदद मिलती है. बताया जाता है, कि डीजल पंप से इस तरह के धंधे किए जाने से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा काफी निकलती है, जो पेड़ पौधों के लिए भी हानिकारक होती है. व्यवसाई रविंद्र कुमार बताते हैं कि सौर ऊर्जा से प्राकृतिक तरीके से सब कुछ होता है. ऐसे में धुआं नहीं निकलता है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वातावरण में नहीं के बराबर फैलती है. ऐसे में इस तरह सौर ऊर्जा से व्यवसायिक मिलों का संचालन कर पेड़ों के बीच सुरक्षा हो रही है. यदि व्यवसायिक मिल सोलर से संचालित होते हैं, तो सैकड़ों पेङों की सुरक्षा होती है.

6 लाख में खरीदी सोलर सिस्टम: इस संबंध में सौर ऊर्जा से मिल का संचालन कर रहे अनिल कुमार बताते हैं, कि 6 लाख में सोलर सिस्टम को खरीदा गया है. उन्होंने बताया कि पहले बिजली और डीजल सेट से मिल चलाते थे, लेकिन वह घाटे का सौदा साबित हो रहा था. बिजली बिल मनमाने तौर पर भेजा जाता था. जिससे आमदनी कम और खर्चा ज्यादा हो रही थी. ऐसी स्थिति में सौर ऊर्जा का आईडिया यूट्यूब से आया तो उसके बाद सोलर सिस्टम की खरीदी 6 लाख में की गई है. अब इसमें अलग से कोई खर्च नहीं आ रहा, बल्कि बचत ही बचत हो रही है.

"6 लाख में सोलर सिस्टम को खरीदा गया है. पहले बिजली और डीजल सेट से मिल चलाते थे, लेकिन वह घाटे का सौदा साबित हो रहा था. बिजली बिल मनमाने तौर पर भेजा जाता था. जिससे आमदनी कम और खर्चा ज्यादा हो रही थी. ऐसी स्थिति में सौर ऊर्जा का आईडिया यूट्यूब से आया तो उसके बाद सोलर सिस्टम की खरीदी 6 लाख में की गई है. अब इसमें अलग से कोई खर्च नहीं आ रहा है."- अनिल कुमार, सौर ऊर्जा मिल संचालक

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