गया: मगध क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Anugrah Narayan Magadh Medical College Hospital) के शिशु वार्ड में इस साल जापानी बुखार (Japanese encephalitis) से पहली मौत का मामला सामने आया है. मृतक बच्ची जहानाबाद जिले की रहने वाली थी और मेडिकल अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर उसकी मौत हो गई.
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12355 बच्चों को दिया गया टीका
दरअसल गया जिले में अभी तक 12355 बच्चों को जापानी बुखार से बचाव के लिए टीका दिया जा चुका है. जिसमें बोधगया प्रखंड में सबसे ज्यादा टीकाकरण किया गया है. कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों को जापानी बुखार से सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण किया जा रहा है. अभी तक गया जिले से एक भी जेई और एईएस के मरीज नहीं मिले हैं. जबकि जहानाबाद की रहने वाली एक बच्ची की जेई से मौत हो गई है.
मानसून के बाद ही दिखता है जापानी बुखार का मामला
आपको बता दें कि मानसून के दस्तक देने के साथ ही जिले में जापानी बुखार के मामले दिखने शुरू हो जाते हैं. पिछले एक दशक के आंकड़े की बात करें तो जेई पीड़ितों की मौत का आंकड़ा 100 से अधिक हो जाते ही जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ समिति जेई से बचाव के लिए चिन्हित क्षेत्रों पर विशेष नजर रखने लगती है.
कैसे होता है जापानी बुखार?
जेई यानी जापानी इंसेफेलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है. ये मच्छर फ्लेविवायरस संक्रमित होते हैं. यह संक्रामक बुखार नहीं है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है. विशेषज्ञों की मानें तो जापानी इंसेफेलाइटिस पूर्वांचल भारत में अधिक होता है. इस बुखार का पता मच्छर के काटने के 5 से 15 दिनों के बाद चलता है.
अगर जापानी बुखार के लक्षण की बात करें तो इसमें तेज बुखार आता है, बुखार आने पर घबराहट होती है, इसके साथ ही सिरदर्द होता है और कभी-कभी तो मरीज कोमा में भी चला जाता है.