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Lockdown Effect: मंदिर लॉक होने से फूल की खेती करने वाले किसान 'मुरझाए', खेतों में सड़ रहे फूल - परेशान किसान

गया में दो विश्व विख्यात मंदिर हैं. जिनके बन्द होने से फूलों की बिक्री नहीं हो पाती है और किसानों के खेतों में लगे फूल पड़े-पड़े मुरझा जाते हैं या किसान खुद उसे नष्ट कर देते हैं. कोरोना काल में फूलों की बिक्री नहीं होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकरें साफ देखी जा सकती हैं.

उड़ी फूलों की रोनक
उड़ी फूलों की रोनक
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Published : May 22, 2021, 7:31 PM IST

गयाः बिहार में कोरोना के बढ़ते प्रभाव को लेकर लॉकडाउन लगा हुआ है. साल 2021 में लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है. वहीं गया में नाइट कर्फ्यू लागू होने के साथ ही मंदिर भी बन्द हो गए हैं. जिस वजह से फूलों की बिक्री नहीं हो रही है. फूल की खेती से जुड़े किसान हताश होकर अब फूल को नष्ट कर रहे हैं.

कोरोना काल में आम जनजीवन तबाह हो गया है. कोरोना से बचाव के लिए जब-जब लॉकडाउन लागू किया जाता है तो दिहाड़ी मजदूरों और नगदी फसल वाले किसानों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं. यहां तक कि किसान हताश होकर खेतों में लगी फसल तक बर्बाद कर रहे हैं.

खेत में लगे फूल
खेत में लगे फूल

नहीं हो रही फूलों की बिक्री
पिछले साल की तरह इस बार भी गया में लॉकडाउन का असर फूलों की खेती करने वालों किसानों पर पड़ा है. गया में दो विश्व विख्यात मंदिर हैं. जिनके बन्द होने से फूलों की बिक्री नहीं हो पाती है और किसान अच्छी खासी फसल को नष्ट कर देते हैं.

बोधगया के खिरियांवा गांव में फूल के खेती करने वाले मुकेश कुमार ने फूल की बिक्री ना होने पर हताश होकर फूल की खेती को नष्ट कर दिया है.

फूलों की खेती
फूलों की खेती

'पिछले साल लॉकडाउन लागू हुआ था, उसमें दो लाख का नुकसान हुआ. इस बार लगा कि लॉकडाउन नहीं होगा. कर्ज लेकर पिछले साल से ज्यादा दो एकड़ में फूल की खेती किया. लेकिन इस बार भी मंदिर बन्द होने और शादी ब्याह कम होने से फूलों की बिक्री नहीं हो रही है. काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है'- मुकेश कुमार, किसान

मुकेश कुमार कहते हैं- मेरे खेत से सामान्य दिनों में 100 किलो फूल बिकता है. आज 25 किलो बेचने में पूरा दिन बीत जाता है. वैसे ही फूलों की खेती करना काफी रिस्की काम है. उस पर से बार-बार लॉडाउन लगने से पूरी खेती बर्बाद हो जाती है.

देखें रिपोर्ट

कोरोना काल में लॉकडाउन के लगते ही सबसे ज्यादा नुकसान मजदूरों और किसानों का होता है. जिनके पास अपनी लगी हुई पूंजी को भी बचा पाना मुश्किल हो जाता है. फूलों की खेती करने वाले किसान भी इस लॉकडाउन में हो रहे नुकासान के कारण चिंचित हैं.

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन का साइड इफेक्ट- खेतों में सड़ रहे किसानों के फल और सब्जी, खेतों तक नहीं पहुंच रहे व्यापारी

गयाः बिहार में कोरोना के बढ़ते प्रभाव को लेकर लॉकडाउन लगा हुआ है. साल 2021 में लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है. वहीं गया में नाइट कर्फ्यू लागू होने के साथ ही मंदिर भी बन्द हो गए हैं. जिस वजह से फूलों की बिक्री नहीं हो रही है. फूल की खेती से जुड़े किसान हताश होकर अब फूल को नष्ट कर रहे हैं.

कोरोना काल में आम जनजीवन तबाह हो गया है. कोरोना से बचाव के लिए जब-जब लॉकडाउन लागू किया जाता है तो दिहाड़ी मजदूरों और नगदी फसल वाले किसानों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं. यहां तक कि किसान हताश होकर खेतों में लगी फसल तक बर्बाद कर रहे हैं.

खेत में लगे फूल
खेत में लगे फूल

नहीं हो रही फूलों की बिक्री
पिछले साल की तरह इस बार भी गया में लॉकडाउन का असर फूलों की खेती करने वालों किसानों पर पड़ा है. गया में दो विश्व विख्यात मंदिर हैं. जिनके बन्द होने से फूलों की बिक्री नहीं हो पाती है और किसान अच्छी खासी फसल को नष्ट कर देते हैं.

बोधगया के खिरियांवा गांव में फूल के खेती करने वाले मुकेश कुमार ने फूल की बिक्री ना होने पर हताश होकर फूल की खेती को नष्ट कर दिया है.

फूलों की खेती
फूलों की खेती

'पिछले साल लॉकडाउन लागू हुआ था, उसमें दो लाख का नुकसान हुआ. इस बार लगा कि लॉकडाउन नहीं होगा. कर्ज लेकर पिछले साल से ज्यादा दो एकड़ में फूल की खेती किया. लेकिन इस बार भी मंदिर बन्द होने और शादी ब्याह कम होने से फूलों की बिक्री नहीं हो रही है. काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है'- मुकेश कुमार, किसान

मुकेश कुमार कहते हैं- मेरे खेत से सामान्य दिनों में 100 किलो फूल बिकता है. आज 25 किलो बेचने में पूरा दिन बीत जाता है. वैसे ही फूलों की खेती करना काफी रिस्की काम है. उस पर से बार-बार लॉडाउन लगने से पूरी खेती बर्बाद हो जाती है.

देखें रिपोर्ट

कोरोना काल में लॉकडाउन के लगते ही सबसे ज्यादा नुकसान मजदूरों और किसानों का होता है. जिनके पास अपनी लगी हुई पूंजी को भी बचा पाना मुश्किल हो जाता है. फूलों की खेती करने वाले किसान भी इस लॉकडाउन में हो रहे नुकासान के कारण चिंचित हैं.

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन का साइड इफेक्ट- खेतों में सड़ रहे किसानों के फल और सब्जी, खेतों तक नहीं पहुंच रहे व्यापारी

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