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गया: पारंपरिक खेती छोड़ 3 भाईयों ने शुरू की शिमला मिर्च की खेती, कमा रहे हैं लाखों

शिमला मिर्च खेती कर रहे किसान ने मिर्च का बीज बेंगलुरु से मंगवाया है. किसान बीज से नर्सरी में पौधा तैयार करते हैं, फिर उसे तैयार खेत में लगाया जाता है. करीब 45 दिनों के बाद इसमें फूल और मिर्च लगने लगता है.

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Published : Nov 27, 2019, 11:32 PM IST

गया: अमूमन बिहार के किसान धान, गेंहू और सब्जी की खेती करते हैं. अब सरकार के प्रयास और सहयोग से गया में मौसम के विपरीत हाई वैल्यू वाले सब्जियों की खेती की जा रही है. जिले के नगर प्रखंड के बीथो शरीफ के रहने वाले 3 भाईयों ने पारंपरिक धान की खेती को छोड़कर शिमला मिर्च की खेती शुरू की. इन लोगों को जिला उद्यान विभाग ने मिर्च की खेती करने के लिए लागत मूल्य में 75 फीसदी की सब्सिडी दी है.

बता दें कि राज्य में शिमला मिर्च की अच्छी खपत है. घर के पकवान, शादी विवाह, अन्य समारोह के साथ फास्ट फूड और रेस्टोरेंट में शिमला मिर्च का काफी उपयोग होता है. उद्यान विभाग के पहल पर जिले में पहली बार शिमला मिर्च की सफल खेती बीथो शरीफ में की जा रही है. अब तक शिमला मिर्च दूसरे प्रदेशों से मंगाया जाता था, आने वाले दिनों में जिले की सब्जी मंडी को शिमला मिर्च के लिए दूसरे प्रदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

गया
शिमला मिर्च के खेत में किसान और उद्यान विभाग के निदेशक

जैविक तरीके हो रही खेती
बताया जता है कि शिमला मिर्च खेती कर रहे किसान ने मिर्च का बीज बेंगलुरु से मंगवाया है. किसान बीज से नर्सरी में पौधा तैयार करते हैं, फिर उसे तैयार खेत में लगाया जाता है. करीब 45 दिनों के बाद इसमें फूल और मिर्च लगने लगता है. एक पौधा करीब 5 किलो फसल देता है. एक पौधे की लाइफ करीब 8 महीने की होती है. इस जगह पर इंदिरा प्रजाति की शिमला मिर्च के करीब 8 हजार पौधे लगे हैं. पूरी खेती आधुनिक तरीके से जैविक खाद द्वारा किया जाता है.

गया
शिमला मिर्च की खेती दिखाते उद्यान विभाग के निदेशक ओमप्रकाश मिश्रा

शिमला मिर्च के खेती को मिल रहा अच्छा रिस्पॉन्स
किसान धर्मेंद्र कुमार ने बताया इस जमीन पर पहले वह धान और प्याज के खेती करते थे. उद्यान विभाग के अधिकारी ने मुझे शिमला मिर्च की खेती करने के लिए समझाया. तब हम तीनों भाइयों ने सहमति जताई और शिमला मिर्च के खेती कर दिए. इसमें लगभग 28 लाख रुपये की लागत लगा है. जिसमें 7 लाख रुपये हमलोगों ने लगाया और बांकी सब्सिडी दी गई. साथ ही उसने बताया कि इस खेती में उद्यान विभाग से अधिकारी समय समय पर निरीक्षण के लिए आते हैं और आवश्यक निर्देश देते हैं. साथ ही उसने बताया कि अभी तक उसने एक ही दिन शिमला मिर्च तोड़े हैं. बाजार में उसे 30 रुपये के भाव से बेच दिए. बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. अभी तो हम लाखों कमा लेते हैं. पर भारी बारिश के समय फसल खराब होने का डर लगा रहता है.

गया
शिमला मिर्च का पौधा

उद्यान विभाग के देखरेख में हो रही खेती
उद्यान विभाग के निदेशक ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि बीथो शरीफ में 2 हजार वर्ग फुट में शिमला मिर्च की खेती की जा रही है. उद्यान विभाग ने बागबानी मिशन के फ्रंट लाइन डीमोंसट्रेशन के तहत 75 फीसदी की अनुदान दी है. पूरी खेती उद्यान विभाग के देखरेख में की जा रही है.

पेश है रिपोर्ट

कृषि मंत्री ने जाहिर की खुशी
जिले में हो रहे शिमला मिर्च की खेती पर कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा मुझे जानकर काफी प्रसन्नता है कि गया में शिमला मिर्च की खेती की जा रही है. सरकार के योजना है कि किसानों का आय दुगनी हो. इसी योजना के तहत शिमला मिर्च के अलावे कई तरह के मशाले और फूलों की भी खेती की जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान है कि 2022 तक किसानों की आय दुगनी हो इस लिए उस दिशा में कृषि विभाग लगातार प्रयासरत है.

गया: अमूमन बिहार के किसान धान, गेंहू और सब्जी की खेती करते हैं. अब सरकार के प्रयास और सहयोग से गया में मौसम के विपरीत हाई वैल्यू वाले सब्जियों की खेती की जा रही है. जिले के नगर प्रखंड के बीथो शरीफ के रहने वाले 3 भाईयों ने पारंपरिक धान की खेती को छोड़कर शिमला मिर्च की खेती शुरू की. इन लोगों को जिला उद्यान विभाग ने मिर्च की खेती करने के लिए लागत मूल्य में 75 फीसदी की सब्सिडी दी है.

बता दें कि राज्य में शिमला मिर्च की अच्छी खपत है. घर के पकवान, शादी विवाह, अन्य समारोह के साथ फास्ट फूड और रेस्टोरेंट में शिमला मिर्च का काफी उपयोग होता है. उद्यान विभाग के पहल पर जिले में पहली बार शिमला मिर्च की सफल खेती बीथो शरीफ में की जा रही है. अब तक शिमला मिर्च दूसरे प्रदेशों से मंगाया जाता था, आने वाले दिनों में जिले की सब्जी मंडी को शिमला मिर्च के लिए दूसरे प्रदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

गया
शिमला मिर्च के खेत में किसान और उद्यान विभाग के निदेशक

जैविक तरीके हो रही खेती
बताया जता है कि शिमला मिर्च खेती कर रहे किसान ने मिर्च का बीज बेंगलुरु से मंगवाया है. किसान बीज से नर्सरी में पौधा तैयार करते हैं, फिर उसे तैयार खेत में लगाया जाता है. करीब 45 दिनों के बाद इसमें फूल और मिर्च लगने लगता है. एक पौधा करीब 5 किलो फसल देता है. एक पौधे की लाइफ करीब 8 महीने की होती है. इस जगह पर इंदिरा प्रजाति की शिमला मिर्च के करीब 8 हजार पौधे लगे हैं. पूरी खेती आधुनिक तरीके से जैविक खाद द्वारा किया जाता है.

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शिमला मिर्च की खेती दिखाते उद्यान विभाग के निदेशक ओमप्रकाश मिश्रा

शिमला मिर्च के खेती को मिल रहा अच्छा रिस्पॉन्स
किसान धर्मेंद्र कुमार ने बताया इस जमीन पर पहले वह धान और प्याज के खेती करते थे. उद्यान विभाग के अधिकारी ने मुझे शिमला मिर्च की खेती करने के लिए समझाया. तब हम तीनों भाइयों ने सहमति जताई और शिमला मिर्च के खेती कर दिए. इसमें लगभग 28 लाख रुपये की लागत लगा है. जिसमें 7 लाख रुपये हमलोगों ने लगाया और बांकी सब्सिडी दी गई. साथ ही उसने बताया कि इस खेती में उद्यान विभाग से अधिकारी समय समय पर निरीक्षण के लिए आते हैं और आवश्यक निर्देश देते हैं. साथ ही उसने बताया कि अभी तक उसने एक ही दिन शिमला मिर्च तोड़े हैं. बाजार में उसे 30 रुपये के भाव से बेच दिए. बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. अभी तो हम लाखों कमा लेते हैं. पर भारी बारिश के समय फसल खराब होने का डर लगा रहता है.

गया
शिमला मिर्च का पौधा

उद्यान विभाग के देखरेख में हो रही खेती
उद्यान विभाग के निदेशक ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि बीथो शरीफ में 2 हजार वर्ग फुट में शिमला मिर्च की खेती की जा रही है. उद्यान विभाग ने बागबानी मिशन के फ्रंट लाइन डीमोंसट्रेशन के तहत 75 फीसदी की अनुदान दी है. पूरी खेती उद्यान विभाग के देखरेख में की जा रही है.

पेश है रिपोर्ट

कृषि मंत्री ने जाहिर की खुशी
जिले में हो रहे शिमला मिर्च की खेती पर कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा मुझे जानकर काफी प्रसन्नता है कि गया में शिमला मिर्च की खेती की जा रही है. सरकार के योजना है कि किसानों का आय दुगनी हो. इसी योजना के तहत शिमला मिर्च के अलावे कई तरह के मशाले और फूलों की भी खेती की जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान है कि 2022 तक किसानों की आय दुगनी हो इस लिए उस दिशा में कृषि विभाग लगातार प्रयासरत है.

Intro:अमूमन बिहार के किसान धान, प्याज, सब्जी की खेती करते हैं अब सरकार के प्रयास और सहयोग से गया में मौसम के विपरीत हाई वैल्यू वाला सब्जी का खेती किया जा रहा है। गया के नगर प्रखंड के बीथो शरीफ के रहनेवाला तीन भाइयों ने धान की खेती को छोड़कर शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं। जिला उद्यान विभाग ने इस खेती को करने के लिए लागत मूल्य का 75 फीसदी का सब्सिडी दिया है।


Body:बिहार मे शिमला मिर्च की अच्छी खपत है,घर के पकवान, शादी विवाह व अन्य समारोह और फ़ास्ट फ़ूड व रेस्टोरेंट में शिमला मिर्च का उपयोग होता है।उद्यान विभाग की पहल पर जिले में पहली बार सफल शिमला मिर्च की खेती बीथो शरीफ में की जा रही है अब तक शिमला मिर्च दूसरे प्रदेशों से मंगाया जाता था आने वाले दिनों में जिले की सब्जी मंडी को शिमला मिर्च के लिए दूसरे प्रदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। गया के खेतों से उपजी शिमला मिर्च का स्वाद अब गया वासियों चखेंगे।

किसान धर्मेंद ने बताया इस जमीन पर पहले धान और प्याज के खेती करते थे। उद्यान विभाग द्वारा मुझे समझाया गया कि शिमला मिर्च के खेती करे। तीनो भाइयों ने सहमति जताई और शिमला मिर्च के खेती में लग गए। इसमें लगभग 28 लाख लागत लगा है जिसमे सात लाख हमलोग का लगा है बाकी का राशि सरकार ने दिया है। एक कंपनी है जो पॉली हाउस का निर्माण किया है और देखरेख करता है। उद्यान विभाग से अधिकारी आते हैं और निर्देश देते हैं। अभी तक एक दिन शिमला मिर्च तोड़े है 30 रुपये के भाव से गया के बाजार में बेच दिए। बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। अभी तो हम लाखो कमा लेते हैं पर भारी बारिश से फसल खराब हो गया। इस खेत मे एक साल में फसल उपजाकर एक लाख तीन भाई कमाते थे अब आठ माह में सात से आठ लाख की कमाए गए।

उद्यान विभाग के निदेशक ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया गया के बीथो शरीफ में 2000 वर्ग फुट में शिमला मिर्च की खेती की जा रही है। उद्यान विभाग ने बागबानी मिशन के फ्रंट लाइन डीमोंसट्रेशन तहत 75 फ़ीसदी की अनुदान दी है पूरी खेती उद्यान विभाग के देखरेख में की जा रही है। रोजगार की दृष्टि से शिमला मिर्च की खेती काफी कारगर है। पॉली हाउस में जैविक तरीके से खेती करने हाइ वैल्यू का सब्जी,फल और फूल की खेती की जाती है जिससे किसानों की आय दुगनी हो जाती है। गत वर्ष भी शिमला मिर्च की खेती की गई थी पर वो सफल नही हो सके थे। गया जिला के पहला सफल शिमला मिर्च की खेती है।

कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा मुझे जानकर काफी प्रसन्नता है गया में शिमला मिर्च की खेती की जा रही है। बिहार सरकार के योजना हैं किसानों का आये दुगनी हो इसके योजना के तहत शिमला मिर्च के खेती की जा रही है। गया में शिमला मिर्च की काफी खपत है, यहाँ के किसान मेहनती है वो सफल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान है 2022 तक किसानों की आय दुगनी हो उसके दिशा में कृषि विभाग लगातार प्रयास कर रहीं हैं।


Conclusion:शिमला मिर्च का बीज बेंगलुरु से मंगवाया गया है। बीज को किसान नर्सरी में पौधा तैयार कर फिर उसे रोपता है करीब 45 दिनों के बाद इसे फल फूल लगने लगते हैं ।एक पौधा करीब 5 किलो फसल देता है। एक पौधा के लाइफ करीब 5 महीने की होती है। बीथो शरीफ में इंदिरा प्रजाति की शिमला मिर्च के करीब 8000 पौधे लगे हैं। 200 पौधे लाल शिमला मिर्च के लगे हैं। पूरी खेती आधुनिक तरीके से जैविक खाद द्वारा किया जाता है। खेत के क्यारी बनाने में 10 ट्रैक्टर गोबर का उपयोग किया गया है।
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