गया: कहते हैं कि कड़ी मेहनत और प्रयास से आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं. इसका एक जीता-जागता उदाहरण गया जिले से सामने आया है. यहां के एक किसान ने अपनी नई सोच और मेहनत के बल पर अपना जिंदगी संवारने का काम किया है. आज वो सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. दरअसल गया अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने की वजह से यहां विदेशी पर्यटकों का काफी संख्या में आना-जाना लगा रहता है.
गया में विदेशी सब्जी की खेती: इसी को देखते हुए गया के बकरौर के रहने वाले किसान अशोक प्रसाद ने यहां 7 साल पहले विदेशी सब्जियों की खेती शुरू की. कुछ साल पहले शुरू की गई विदेशी सब्जियों की खेती के वजह आज उनकी पहचान नामी गिरामी किसान के रूप में होती है. वहीं वह इससे सालाना लाखों की आय कर आर्थिक रूप से संबल भी हुए हैं. बता दें कि पहले अशोक सब्जी बेचने का काम करते थे.
गया में विदेशी सब्जियों की डिमांड: इसको लेकर किसान ने बताया कि "बोधगया अंतरराष्ट्रीय स्थली है और इन दिनों अभी बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा का बोधगया प्रवास है. ऐसे में बोधगया में पर्यटन सीजन के साथ दलाई लामा के आगमन को देखते हुए विदेशी बौद्ध श्रद्धालुओं-पर्यटकों की भीड़ काफी संख्या में आ रही है. बोधगया में इसके बीच विदेशी सब्जियों की मांग बढ़ी है."
अचानक आइडिया आने पर शुरू की खेती: ऐसे में किसान अशोक के खेतों की उगाई गई सब्जियों का लुत्फ विदेशी बौद्ध श्रद्धालु-पर्यटक उठा रहे हैं. किसान अशोक प्रसाद बताते हैं कि "विदेशी सब्जियों की डिमांड के बीच उन्हें अचानक आइडिया आया कि बोधगया में विदेशियों के काफी संख्या में आने के बावजूद विदेशी सब्जियों की खेती कोई नहीं करता है. अगर इनकी खेती की जाए तो अच्छा मुनाफा होगा. बस फिर खेती शुरू की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा."
इन सब्जियों की कर रहे हैं खेती: किसान अशोक प्रसाद विदेशी लोगों की डिमांड को देखते हुए आधा दर्जन से अधिक विदेशी सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इसमें चाइनीज कैबेज, ब्रोकली, सिलेरी पत्ता (धनिया पत्ता के समान), पेचे (विदेशी साग), लेमनग्रास, लेट्यूस (सलाद पत्ता), जुकीनी, कैप्सिकम रेड और येलो, पकचोंगा आदि शामिल हैं. इन्हें देखकर अन्य किसान भी प्रेरणा ले रहे हैं, और इन्हीं की तरह विदेशी सब्जियों की खेती करने की शुरुआत की है.
"विदेशी सब्जियों की डिमांड इन दिनों काफी है. कुछ विदेशी सब्जियों आज भी दूसरे राज्यों से लाई जा रही है, तो कुछ विदेशी सब्जियों बोधगया में ही उगाई जाती है, जिसे लाकर वे बेचते हैं."- मो. दिलशाद, सब्जी विक्रेता
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