ETV Bharat / state

गया में धर्मगुरुओं के बीच विचारों का आदान-प्रदान, पढ़ाया गया मानवता का पाठ

पंडित राम आचार्य ने कहा कि वेदों में ही भारतीय संस्कृति, उपनिषद, आध्यत्मिक ज्ञान और अनुभव की परकाष्ठा है. उन्होंने कहा कि महाबोधी मंदिर खुद सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है. इसलिए सभी को अपने अंदर आपसी भाईचारा और मानवता को लाने की जरूरत है.

bodhgay
bodhgay
author img

By

Published : Feb 1, 2020, 12:39 PM IST

Updated : Feb 1, 2020, 12:51 PM IST

गया: बोधगया के महाबोधी मंदिर परिसर में बीटीएमसी की ओर से विभिन्न धर्मों के गुरुओं के बीच विचारों का आदान प्रदान हुआ. इस दौरान लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाया गया.

सम्राट अशोक के त्यागों का सम्मान करना चाहिए
इस अवसर पर बौद्ध भिक्षु चलिन्दा ने बताया कि इस मौके पर पर सम्राट अशोक की उक्ति को याद करना गलत नहीं होगी. सम्राट अशोक की बुद्धिमता और उनके त्याग का गहराई से सम्मान करना चाहिए.

धर्मगुरुओं के बीच विचारों का आदान-प्रदान

महाबोधी मंदिर सर्वधर्म समभाव का प्रतीक
वहीं, पंडित राम आचार्य ने कहा कि वेदों में ही भारतीय संस्कृति, उपनिषद, आध्यत्मिक ज्ञान और अनुभव की परकाष्ठा है. उन्होंने कहा कि महाबोधी मंदिर खुद सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है. इसलिए सभी को अपने अंदर आपसी भाईचारा और मानवता को लाने की जरूरत है.

गया: बोधगया के महाबोधी मंदिर परिसर में बीटीएमसी की ओर से विभिन्न धर्मों के गुरुओं के बीच विचारों का आदान प्रदान हुआ. इस दौरान लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाया गया.

सम्राट अशोक के त्यागों का सम्मान करना चाहिए
इस अवसर पर बौद्ध भिक्षु चलिन्दा ने बताया कि इस मौके पर पर सम्राट अशोक की उक्ति को याद करना गलत नहीं होगी. सम्राट अशोक की बुद्धिमता और उनके त्याग का गहराई से सम्मान करना चाहिए.

धर्मगुरुओं के बीच विचारों का आदान-प्रदान

महाबोधी मंदिर सर्वधर्म समभाव का प्रतीक
वहीं, पंडित राम आचार्य ने कहा कि वेदों में ही भारतीय संस्कृति, उपनिषद, आध्यत्मिक ज्ञान और अनुभव की परकाष्ठा है. उन्होंने कहा कि महाबोधी मंदिर खुद सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है. इसलिए सभी को अपने अंदर आपसी भाईचारा और मानवता को लाने की जरूरत है.

Intro:बरहाल आपको बता दें कि विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर में धार्मिक बैमनस्यता को भुलकर मानवता का पढ़ाया पाठ।Body:बोधगया महाबोधी मंदिर परिसर में बीटीएमसी की ओर से विभिन्न धर्म बीके गुरुओ के बीच बैचारिक आदान प्रदान हुआ। जब सभी धर्म के लोगो ने धार्मिक बैमनस्यता को भूलकर मानवता का पाठ पढ़ाया बौद्ध भिक्षु चलिन्दा ने बताया कि इस मौके पर पर सम्राट अशोक की उक्ति को याद करना गलत नही है। अशोक सम्राट का बुद्धिमता व उनके त्याग का गहराई से सम्मान करना चाहिए।
वही पंडित रामचार्य ने कहा कि वेदों में ही भारतीय संस्कृति है।व उपनिषद आध्यत्मिक ज्ञान तथा अनुभव की परकाष्ठा है। महाबोधी मंदिर खुद सर्वधर्म समभाव का प्रतीक हैं।इसकी सुरुआत थेरावादी व महायान परपरा के अनुसार सूत्रपाठ से लिया गया है।सभी ने आपसी भाईचारा व मानवता को बढ़ाने के लिए सयुक्त प्रयास की जरूरत है।इससे पहले बीटीएमसी सचिव एन दोरजी ने सभी को स्वगात किया।पंडित रामचार्य प्रो मसरूर अहमद बह्मकुमारी सहित अन्य ने कहा कि सभी धर्मो का निचोड़ हमे करुणा का पाठ पढ़ाता हैं।रास्ता अलग है लेकिन मंजिल सभी का एक ही है।Conclusion:बरहाल आपको बता दें कि विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर परिसर में विभिन्न धर्म के लोगो ने धार्मिक बैमनस्यता को भुलकर मानवता का पढ़ाया पाठ। सभी का रास्ता अलग है पर मंजिल एक ही है।
Last Updated : Feb 1, 2020, 12:51 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.