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जिस मंदिर में गैर हिंदुओं की एंट्री बैन.. आखिर क्या है विष्णुपद मंदिर का इतिहास

विष्णुपद मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगी है. मंदिर के गेट पर भी दोनों ओर लिखा है कि अहिंदू प्रवेश निषेध. उर्दू में भी ये बात लिखी हुई है. इसके बावजूद Minister Mohamed Israel Mansoori गर्भगृह तक पहुंच गए. जिसको लेकर बिहार की सियासत गरमा गई है. वहीं मंदिर प्रबंधन के साथ साथ विश्व हिंदू परिषद ने भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.

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Published : Aug 23, 2022, 2:24 PM IST

गया: बिहार के गया जिले के विष्णुपद मंदिर में गैर हिंदू मंत्री मो इसराइल मंसूरी के जाने को लेकर विवाद (Muslim minister in Vishnupad Temple Gaya) हो गया है. बताया जा रहा है कि इस मंदिर में गैंर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है और यह मंदिर के बाहर स्पष्ट शब्दों में लिखा हुआ है इसके बाद भी मंत्री का यहां प्रवेश हुआ और अब इसका विरोध हो रहा है. बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने गैर हिन्दू के मंदिर में प्रवेश पर सवाल उठाएं हैं और कहा है कि विधर्मी ने मंदिर को अपमानित किया है. जब मंदिर में यह लिखा हुआ है गैर हिंदू का प्रवेश वर्जित है तब क्यों ऐसा किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदुओं की भावना को आहत किया है.

ये भी पढ़ें: विष्णुपद मंदिर में मुस्लिम मंत्री के प्रवेश पर बवाल.. गंगा जल से धोया गया गर्भगृह

क्या है विष्णुपद मंदिर का इतिहास : विष्णुपद मंदिर सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए मोक्षधाम है. बिहार के गया जी में स्थित विष्णुपद मंदिर सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. वेद व पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया था. सनातन धर्म में इस मंदिर का प्रमुख स्थान है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने करवाया था. मान्यता है कि विष्णुपद मन्दिर में पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. विष्णुपद मंदिर के निकट पवित्र फल्गु नदी बहती है. जो गया को होती हुई दक्षिण दिशा में जाती है. निर्माण के दृष्टि से यह बड़ा ही भव्य मंदिर है.

धर्मशिला पर स्थित भगवान विष्णु का चरण चिह्न: विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में जिस पत्थर पर भगवान विष्णु का चरण चिह्न अंकित हैं उसे धर्मशिला कहा जाता है. किवदंती है कि राक्षस गयासुर को स्थिर करने के लिए धर्मपुरी से माता धर्मवत्ता शिला को लाया गया था, जिसे गयासुर पर रख भगवान विष्णु ने अपने पैरों से दबाया. इसके बाद शिला पर भगवान के चरण चिह्न है. माना जाता है कि विश्व में विष्णुपद ही एक ऐसा स्थान है, जहां भगवान विष्णु के चरण का साक्षात दर्शन कर सकते हैं.

पितरों को मोक्ष दिलाने की करते हैं कामना: मंदिर का इतना अधिक महत्व होने और भव्य होने के बावजूद मंदिर में देश-विदेश से लोग पिंडदान करने आते हैं. यहां सोलह वेदियों के अलावा रूद्रपद, ब्रह्मपद और विष्णुपद पर खीर से पिंडदान का विधान है. श्रद्धालु विष्णुचरण पर तुलसी के पत्ते चढ़ाकर महामत्युंजय पाठ भी करते हैं. यहां प्रतिदिन रात में विष्णुचरण का भव्य तरीके से श्रृंगार और पूजा होती है.

मां सीता ने दशरद का किया था पिंडदान: सीताकुंड पिंडवेदी के मुख्य पुजारी दिनेश कुमार पांडेय ने बताया कि ''यहां स्वयं भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था. इसके बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई. भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण यहां पिंडदान करने के लिए आए थे.''

''भगवान श्रीराम और लक्ष्मण पिंड की सामग्री लेने के लिए चले गए. इसी बीच राजा दशरथ की आकाशवाणी हुई. जिसमें राजा दशरथ ने कहा पुत्री सीता जल्दी से हमें पिंड दे दो. पिंड देने का मुहूर्त बीता जा रहा है. माता सीता ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के आने में देरी होते देख फल्गु नदी के बालू का पिंड बनाया और राजा दशरथ को अर्पित कर दिया. इसके बाद राजा दशरथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई. तब से सीताकुंड पिंडवेदी पर बालू का पिंड बनाकर पितरों को देने का प्रावधान है.'' - दिनेश कुमार पांडेय, मुख्य पुजारी, सीताकुंड पिंडवेदी

कसौटी पत्थर से बना विष्णुपद मंदिर: विष्णुपद मंदिर सोने को कसने वाला पत्थर कसौटी से बना है, जिसे जिले के अतरी प्रखंड के पत्थरकट्‌टी से लाया गया था. इस मंदिर की ऊंचाई करीब सौ फीट है. सभा मंडप में 44 पीलर हैं. 54 वेदियों में से 19 वेदी विष्णपुद में ही हैं, जहां पर पितरों के मुक्ति के लिए पिंडदान होता है. यहां सालों भर पिंडदान होता है. यहां भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के स्पर्श से ही मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं.

क्या है पूरा विवाद? : दरअसल, यह मामला मंगलवार का है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गया स्थित विष्णुपद मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में जाकर विशेष पूजा-अर्चना की. इस दौरान उनके साथ सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी समेत अन्य नेता भी मौजूद थे. अब इसे लेकर मंदिर प्रबंधन ने नाराजगी जताई है. मंदिर के प्रवेशद्वार के दोनों किनारों पर शिलापट्ट लगा हुआ है, जिस पर लिखा है कि मंदिर में अहिंदू (गैर-हिंदू) श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है.

बीजेपी ने कहा.. 'सनातन धर्म का अपमान': गैरहिंदू मंसूरी के मंदिर के गर्भगृह में जाने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. बीजेपी ने इस मुद्दे को लपकते हुए इसे हिंदू धर्म का अपमान तक करार दे दिया. बीजेपी ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है. केन्द्रीय मंत्री व बीजेपी गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर लिखा- ''जब शासक नास्तिक और हिंदू विरोधी हो जाएगा तो बिहार में धर्म की रक्षा कैसे होगी? एक मुसलमान के साथ विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने वाले नीतीश कुमार ने जानबूझकर मंदिर की पवित्रता को भंग किया है और सनातन का अपमान किया है.''

'मुख्यंमत्री ने हिंदुओं की भावना को आहत किया': वहीं, बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के सदस्य और बीजेपी के बिस्फी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने इसे लेकर आक्रोश जताया है. बचौल ने मंत्री के मंदिर में प्रवेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि विधर्मियों ने मंदिर को अपमानित किया. जब मंदिर में लिखा हुआ है कि गैर-हिंदू का प्रवेश वर्जित है, इसके बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदुओं की भावना को आहत किया है. इधर, बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सनातन धर्म में विश्वास करने वाले आम हिंदुओं की भावना को आहत किया है.

''नीतीश कुमार हिंदू धार्मिक परंपरा में विश्वास नहीं करते. यदि नीतीश कुमार जी सेक्युलराइटिस से पीड़ित हैं, तो उन्हें मक्का-मदीना जाकर नमाज अदा करना चाहिए. जिस तरह से नीतीश कुमार ने जानबूझकर प्राचीन सनातन हिंदू धार्मिक मानदंडों को तोड़कर मंदिर परिसर को प्रदूषित करने की कोशिश की है और साथ ही साथ ही स्थानीय पुजारी के नियम का उल्लंघन किया है, उन्हें हिंदू धर्म और विश्व स्तर पर सनातन धर्म में विश्वास करने वाले सभी लोगों से माफी मांगनी चाहिए. राजनीतिक कारणों से और वोटबैंक के लिए मुसलमानों को खुश करने का नीतीश कुमार का यह फोटो-शॉप सेशन गंभीर रूप से निंदनीय है." - निखिल आनंद, प्रवक्ता, बीजेपी

गंगा जल से धोया गया गर्भगृह: विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शंभू लाल बिट्ठल ने कहा, "उस वक्त हमें भी इसकी जानकारी नहीं थी. जो लोग उन्हें जानते थे, उन्हें मंत्री को रोकना चाहिए था. इससे सनातन धर्म और पंडा समाज को ठेस पहुंची है. यह वर्षो की परंपरा है." उन्होंने कहा कि अब तक यहां कभी ऐसा नहीं हुआ था. वहीं विवाद बढ़ने के बाद अब मंदिर प्रबंध कारिणी समिति ने बड़ा फैसला लेते हुए गर्भगृह को गंगा जल से धोया है. आज विष्णुपद मंदिर का शुद्धिकरण करवाया गया है. विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह को पावन फल्गु के जल से धोया गया और शुद्धिकरण किया गया. इसके बाद भगवान को भोग लगाए गए.

सफाई में क्या बोले मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी ?: वहीं इस संबंध में बिहार सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री सह गया के प्रभारी मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी ने कहा कि मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ कि मैं सीएम नीतीश कुमार के साथ विष्णुपद मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश किया.

ये भी पढ़ें: विष्णुपद मंदिर में गैर हिंदू मंत्री के प्रवेश पर BJP ने CM नीतीश से पूछा सवाल.. क्या मक्का में करेंगे प्रवेश

गया: बिहार के गया जिले के विष्णुपद मंदिर में गैर हिंदू मंत्री मो इसराइल मंसूरी के जाने को लेकर विवाद (Muslim minister in Vishnupad Temple Gaya) हो गया है. बताया जा रहा है कि इस मंदिर में गैंर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है और यह मंदिर के बाहर स्पष्ट शब्दों में लिखा हुआ है इसके बाद भी मंत्री का यहां प्रवेश हुआ और अब इसका विरोध हो रहा है. बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने गैर हिन्दू के मंदिर में प्रवेश पर सवाल उठाएं हैं और कहा है कि विधर्मी ने मंदिर को अपमानित किया है. जब मंदिर में यह लिखा हुआ है गैर हिंदू का प्रवेश वर्जित है तब क्यों ऐसा किया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदुओं की भावना को आहत किया है.

ये भी पढ़ें: विष्णुपद मंदिर में मुस्लिम मंत्री के प्रवेश पर बवाल.. गंगा जल से धोया गया गर्भगृह

क्या है विष्णुपद मंदिर का इतिहास : विष्णुपद मंदिर सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए मोक्षधाम है. बिहार के गया जी में स्थित विष्णुपद मंदिर सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. वेद व पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया था. सनातन धर्म में इस मंदिर का प्रमुख स्थान है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने करवाया था. मान्यता है कि विष्णुपद मन्दिर में पिंडदान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. विष्णुपद मंदिर के निकट पवित्र फल्गु नदी बहती है. जो गया को होती हुई दक्षिण दिशा में जाती है. निर्माण के दृष्टि से यह बड़ा ही भव्य मंदिर है.

धर्मशिला पर स्थित भगवान विष्णु का चरण चिह्न: विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में जिस पत्थर पर भगवान विष्णु का चरण चिह्न अंकित हैं उसे धर्मशिला कहा जाता है. किवदंती है कि राक्षस गयासुर को स्थिर करने के लिए धर्मपुरी से माता धर्मवत्ता शिला को लाया गया था, जिसे गयासुर पर रख भगवान विष्णु ने अपने पैरों से दबाया. इसके बाद शिला पर भगवान के चरण चिह्न है. माना जाता है कि विश्व में विष्णुपद ही एक ऐसा स्थान है, जहां भगवान विष्णु के चरण का साक्षात दर्शन कर सकते हैं.

पितरों को मोक्ष दिलाने की करते हैं कामना: मंदिर का इतना अधिक महत्व होने और भव्य होने के बावजूद मंदिर में देश-विदेश से लोग पिंडदान करने आते हैं. यहां सोलह वेदियों के अलावा रूद्रपद, ब्रह्मपद और विष्णुपद पर खीर से पिंडदान का विधान है. श्रद्धालु विष्णुचरण पर तुलसी के पत्ते चढ़ाकर महामत्युंजय पाठ भी करते हैं. यहां प्रतिदिन रात में विष्णुचरण का भव्य तरीके से श्रृंगार और पूजा होती है.

मां सीता ने दशरद का किया था पिंडदान: सीताकुंड पिंडवेदी के मुख्य पुजारी दिनेश कुमार पांडेय ने बताया कि ''यहां स्वयं भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था. इसके बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई. भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण यहां पिंडदान करने के लिए आए थे.''

''भगवान श्रीराम और लक्ष्मण पिंड की सामग्री लेने के लिए चले गए. इसी बीच राजा दशरथ की आकाशवाणी हुई. जिसमें राजा दशरथ ने कहा पुत्री सीता जल्दी से हमें पिंड दे दो. पिंड देने का मुहूर्त बीता जा रहा है. माता सीता ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के आने में देरी होते देख फल्गु नदी के बालू का पिंड बनाया और राजा दशरथ को अर्पित कर दिया. इसके बाद राजा दशरथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई. तब से सीताकुंड पिंडवेदी पर बालू का पिंड बनाकर पितरों को देने का प्रावधान है.'' - दिनेश कुमार पांडेय, मुख्य पुजारी, सीताकुंड पिंडवेदी

कसौटी पत्थर से बना विष्णुपद मंदिर: विष्णुपद मंदिर सोने को कसने वाला पत्थर कसौटी से बना है, जिसे जिले के अतरी प्रखंड के पत्थरकट्‌टी से लाया गया था. इस मंदिर की ऊंचाई करीब सौ फीट है. सभा मंडप में 44 पीलर हैं. 54 वेदियों में से 19 वेदी विष्णपुद में ही हैं, जहां पर पितरों के मुक्ति के लिए पिंडदान होता है. यहां सालों भर पिंडदान होता है. यहां भगवान विष्णु के चरण चिन्ह के स्पर्श से ही मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं.

क्या है पूरा विवाद? : दरअसल, यह मामला मंगलवार का है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गया स्थित विष्णुपद मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में जाकर विशेष पूजा-अर्चना की. इस दौरान उनके साथ सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी समेत अन्य नेता भी मौजूद थे. अब इसे लेकर मंदिर प्रबंधन ने नाराजगी जताई है. मंदिर के प्रवेशद्वार के दोनों किनारों पर शिलापट्ट लगा हुआ है, जिस पर लिखा है कि मंदिर में अहिंदू (गैर-हिंदू) श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है.

बीजेपी ने कहा.. 'सनातन धर्म का अपमान': गैरहिंदू मंसूरी के मंदिर के गर्भगृह में जाने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. बीजेपी ने इस मुद्दे को लपकते हुए इसे हिंदू धर्म का अपमान तक करार दे दिया. बीजेपी ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है. केन्द्रीय मंत्री व बीजेपी गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर लिखा- ''जब शासक नास्तिक और हिंदू विरोधी हो जाएगा तो बिहार में धर्म की रक्षा कैसे होगी? एक मुसलमान के साथ विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने वाले नीतीश कुमार ने जानबूझकर मंदिर की पवित्रता को भंग किया है और सनातन का अपमान किया है.''

'मुख्यंमत्री ने हिंदुओं की भावना को आहत किया': वहीं, बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के सदस्य और बीजेपी के बिस्फी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने इसे लेकर आक्रोश जताया है. बचौल ने मंत्री के मंदिर में प्रवेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि विधर्मियों ने मंदिर को अपमानित किया. जब मंदिर में लिखा हुआ है कि गैर-हिंदू का प्रवेश वर्जित है, इसके बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदुओं की भावना को आहत किया है. इधर, बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सनातन धर्म में विश्वास करने वाले आम हिंदुओं की भावना को आहत किया है.

''नीतीश कुमार हिंदू धार्मिक परंपरा में विश्वास नहीं करते. यदि नीतीश कुमार जी सेक्युलराइटिस से पीड़ित हैं, तो उन्हें मक्का-मदीना जाकर नमाज अदा करना चाहिए. जिस तरह से नीतीश कुमार ने जानबूझकर प्राचीन सनातन हिंदू धार्मिक मानदंडों को तोड़कर मंदिर परिसर को प्रदूषित करने की कोशिश की है और साथ ही साथ ही स्थानीय पुजारी के नियम का उल्लंघन किया है, उन्हें हिंदू धर्म और विश्व स्तर पर सनातन धर्म में विश्वास करने वाले सभी लोगों से माफी मांगनी चाहिए. राजनीतिक कारणों से और वोटबैंक के लिए मुसलमानों को खुश करने का नीतीश कुमार का यह फोटो-शॉप सेशन गंभीर रूप से निंदनीय है." - निखिल आनंद, प्रवक्ता, बीजेपी

गंगा जल से धोया गया गर्भगृह: विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शंभू लाल बिट्ठल ने कहा, "उस वक्त हमें भी इसकी जानकारी नहीं थी. जो लोग उन्हें जानते थे, उन्हें मंत्री को रोकना चाहिए था. इससे सनातन धर्म और पंडा समाज को ठेस पहुंची है. यह वर्षो की परंपरा है." उन्होंने कहा कि अब तक यहां कभी ऐसा नहीं हुआ था. वहीं विवाद बढ़ने के बाद अब मंदिर प्रबंध कारिणी समिति ने बड़ा फैसला लेते हुए गर्भगृह को गंगा जल से धोया है. आज विष्णुपद मंदिर का शुद्धिकरण करवाया गया है. विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह को पावन फल्गु के जल से धोया गया और शुद्धिकरण किया गया. इसके बाद भगवान को भोग लगाए गए.

सफाई में क्या बोले मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी ?: वहीं इस संबंध में बिहार सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री सह गया के प्रभारी मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी ने कहा कि मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ कि मैं सीएम नीतीश कुमार के साथ विष्णुपद मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश किया.

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