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गया: 3 साल से बंद पड़ा है 5 लाख की लागत से बना ई-टॉयलेट, लोग बाहर शौच करने को मजबूर

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Published : Dec 15, 2019, 8:31 AM IST

Updated : Dec 15, 2019, 9:50 AM IST

दुकानदार अमरजीत कुमार बताते हैं कि शहमीर तकिया पुलिस अड्डा के पास ई टॉयलेट बनाया गया है. लेकिन इसका उपयोग किसी ने नहीं किया. इसको गन्दगी दूर करने के लिए लगाया गया था.

E toilet is closed from three years in gaya
तीन साल से बंद पड़ा है 5 लाख की लागत से बना ई टॉयलेट

गया: जिले के प्रमुख चार स्थानों पर नगर निगम ने 5 लाख की लागत से 3 साल पहले 6 ई टॉयलेट बनाया था. जब से ये ई टॉयलेट बना है, किसी ने इसका उपयोग नहीं किया. ये शहर बहुत पुराना है. यहां के बाजार तंग गलियों और सड़कों पर हैं. शहर के बाजारों में कहीं भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है. जिसकी वजह से लोग मजबूरी में इधर-उधर खुले में शौचालय करते हैं.

तीन वर्ष पहले लगाया गया था ई टॉयलेट
खुले में शौच मुक्त के उद्देश्य से गया नगर निगम ने तीन वर्ष पहले प्रमुख चौराहे समाहरणालय मोड़, चांद चौरा, शहमीर तकिया, काशीनाथ मोड़ और मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास लगाया था. लेकिन इन चौराहे पर स्टील के बॉडी से बना ई टॉयलेट अब सिर्फ शोभा बनकर रह गया है. स्थानीय निवासी निरंजन गुप्ता ने कहा कि इस शौचालय के बारे में बताया गया था कि इसमें पांच रुपये का सिक्का डालने से गेट खुल जायेगा. जिसके बाद इसका उपयोग किया जा सकता है. ये पूर्ण रूप से स्वयं संचालित है. लेकिन जब किसी ने इसका उपयोग ही नहीं किया तो ये जनता के पैसे की बर्बादी है.

E toilet is closed from three years in gaya
पुलिस अड्डा के पास बना ई टॉयलेट

किसी ने नहीं किया उपयोग
दुकानदार अमरजीत कुमार बताते हैं कि शहमीर तकिया पुलिस अड्डा के पास ई टॉयलेट बनाया गया है. लेकिन इसका उपयोग किसी ने नहीं किया है. इसको गन्दगी दूर करने के लिए लगाया गया था. लेकिन टॉयलेट बन्द होने से यहां गन्दगी का अंबार लगा हुआ है. लोग मजबूरी में टॉयलेट के बाहर शौचालय करते हैं. उन्होंने कहा कि ये टॉयलेट बिजली के ट्रांसफार्मर के नीचे लगाया गया है. जिसकी वजह से इसमें बिजली भी आता है.

पेश है रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: तेजस्वी ने धनबाद में भरी हुंकार, कहा- BJP 16 साल में कुछ नहीं कर पाई, अब क्या करेगी

नगर निगम लगाएगा 150 ई टॉयलेट
नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि शहर के प्रमुख चैराहो पर ई टॉयलेट लगाया गया था. लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में वर्तमान में उसका उपयोग नहीं हो रहा है. इसी को देखते हुए सभी नगर निगम शहर के बाजारों में 150 ई टॉयलेट लगाएगा. इसका टेंडर भी कर दिया गया है. मिली जानकारी के अनुसार तीन साल पहले दिल्ली के एक एजेंसी ने ई टॉयलेट बनाया था. इस एजेंसी को किसी तरह की राशि नगर निगम ने नहीं दिया था.

एक टॉयलेट बनाने में 5 से साढ़े 7 लाख तक खर्च हुआ था. इस तरह के 25 टॉयलेट शहर में लगाना था. लेकिन भुगतान नहीं होने की वजह से ई टॉयलेट के निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो सका है.

गया: जिले के प्रमुख चार स्थानों पर नगर निगम ने 5 लाख की लागत से 3 साल पहले 6 ई टॉयलेट बनाया था. जब से ये ई टॉयलेट बना है, किसी ने इसका उपयोग नहीं किया. ये शहर बहुत पुराना है. यहां के बाजार तंग गलियों और सड़कों पर हैं. शहर के बाजारों में कहीं भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है. जिसकी वजह से लोग मजबूरी में इधर-उधर खुले में शौचालय करते हैं.

तीन वर्ष पहले लगाया गया था ई टॉयलेट
खुले में शौच मुक्त के उद्देश्य से गया नगर निगम ने तीन वर्ष पहले प्रमुख चौराहे समाहरणालय मोड़, चांद चौरा, शहमीर तकिया, काशीनाथ मोड़ और मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास लगाया था. लेकिन इन चौराहे पर स्टील के बॉडी से बना ई टॉयलेट अब सिर्फ शोभा बनकर रह गया है. स्थानीय निवासी निरंजन गुप्ता ने कहा कि इस शौचालय के बारे में बताया गया था कि इसमें पांच रुपये का सिक्का डालने से गेट खुल जायेगा. जिसके बाद इसका उपयोग किया जा सकता है. ये पूर्ण रूप से स्वयं संचालित है. लेकिन जब किसी ने इसका उपयोग ही नहीं किया तो ये जनता के पैसे की बर्बादी है.

E toilet is closed from three years in gaya
पुलिस अड्डा के पास बना ई टॉयलेट

किसी ने नहीं किया उपयोग
दुकानदार अमरजीत कुमार बताते हैं कि शहमीर तकिया पुलिस अड्डा के पास ई टॉयलेट बनाया गया है. लेकिन इसका उपयोग किसी ने नहीं किया है. इसको गन्दगी दूर करने के लिए लगाया गया था. लेकिन टॉयलेट बन्द होने से यहां गन्दगी का अंबार लगा हुआ है. लोग मजबूरी में टॉयलेट के बाहर शौचालय करते हैं. उन्होंने कहा कि ये टॉयलेट बिजली के ट्रांसफार्मर के नीचे लगाया गया है. जिसकी वजह से इसमें बिजली भी आता है.

पेश है रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: तेजस्वी ने धनबाद में भरी हुंकार, कहा- BJP 16 साल में कुछ नहीं कर पाई, अब क्या करेगी

नगर निगम लगाएगा 150 ई टॉयलेट
नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि शहर के प्रमुख चैराहो पर ई टॉयलेट लगाया गया था. लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में वर्तमान में उसका उपयोग नहीं हो रहा है. इसी को देखते हुए सभी नगर निगम शहर के बाजारों में 150 ई टॉयलेट लगाएगा. इसका टेंडर भी कर दिया गया है. मिली जानकारी के अनुसार तीन साल पहले दिल्ली के एक एजेंसी ने ई टॉयलेट बनाया था. इस एजेंसी को किसी तरह की राशि नगर निगम ने नहीं दिया था.

एक टॉयलेट बनाने में 5 से साढ़े 7 लाख तक खर्च हुआ था. इस तरह के 25 टॉयलेट शहर में लगाना था. लेकिन भुगतान नहीं होने की वजह से ई टॉयलेट के निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो सका है.

Intro:बिहार का प्रमुख पर्यटन स्थल में से गया शहर भी आता हैं इसी शहर में मोक्ष धाम है जहां लोग पिंडदान करने आते हैं। शहर के प्रमुख चार स्थानों नगर निगम ने छः ई टॉयलेट पांच लाख के लागत से तीन वर्षों पहले बनाया था जब से ये ई टॉयलेट बना किसी ने इसका उपयोग नही किया। शहर के प्रमुख चौराहे पर ये शौचालय का शोभा का वस्तु बन गया है।


Body:गया शहर बहुत पुराना शहर है यहां के बाजार तंग गलियों और सड़कों पर है। शहर के बाजारों में कही भी शौचालय का व्यवस्था नही है लोग मजबूरी में इधर उधर खुले में प्रसाधन करते हैं। खुले में शौच मुक्त के उद्देश्य से गया नगर निगम तीन वर्ष पहले प्रमुख चौराहे पर समाहरणालय मोड़ के पास, चांद चौरा के पास , शहमीर तकिया के पास , काशीनाथ मोड़ के पास और मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास लगाया गया था । इन चौराहे पर स्टील के बॉडी से बना ई टॉयलेट सिर्फ शोभा का वस्तु बनकर रह गया है।

स्थानीय निरंजन गुप्ता बताते हैं इस शौचालय के बारे में बताया गया था इसमें पांच रुपए का सिक्का डालिये ,गेट खुल जायेगा और इसका उपयोग कर सकते है। ये पूर्ण रूप से स्वयं संचालित है। हमलोग में उत्सुकता था लेकिन जब लगा किसी ने इसका उपयोग नही किया । जनता के पैसा का बर्बादी है। और ये स्टील के डिब्बा बस शोभा का वस्तु बनकर रह गया है।

दुकानदार अमरजीत कुमार बताते हैं शहमीर तकिया पुलिस अड्डा के पास ई टॉयलेट बनाया गया है लेकिन इसका उपयोग किसी ने नही किया। इसको गन्दगी दूर करने के लिए लगाया गया था लेकिन टॉयलेट बन्द होने से यहां गन्दगी का अंबार लगा हुआ है। लोग मजबूरी में टॉयलेट के बाहर प्रसाधन करते हैं। ये टॉयलेट बिजली के ट्रांसफार्मर के निचे लगाया गया जिसे इसमें बिजली भी आता है।

नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया शहर के प्रमुख चैराहो पर ई टॉयलेट लगाया गया था लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में वर्तमान उसका उपयोग नही हो रहा है। इसी को देखते हर नगर निगम में शहर के बाजारों में 150 ई टॉयलेट लगाएगा। इसका टेंडर भी कर दिया गया है जो व्यक्ति निविदेताकर्ता आएंगे उन्ही को बंद पड़े टॉयलेट आउटसोर्सिंग पर दे देंगे। आउटसोर्सिंग करने से पूर्व के समस्या दूर हो जाएगी।


Conclusion:जानकारी के अनुसार तीन साल पहले दिल्ली के एक एजेंसी ने ई टॉयलेट बनाया था इस एजेंसी को किसी तरह का राशि नगर निगम द्वारा नही दिया गया है। एक टॉयलेट बनाने में 5 से साढ़े 7 लाख तक खर्च हुआ है। इस तरह के 25 टॉयलेट शहर में लगाना था लेकिन भुगतान नही करने के वजह से ई टॉयलेट शोभा का वस्तु बनकर रह गया।
Last Updated : Dec 15, 2019, 9:50 AM IST
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