गया: जिले के प्रमुख चार स्थानों पर नगर निगम ने 5 लाख की लागत से 3 साल पहले 6 ई टॉयलेट बनाया था. जब से ये ई टॉयलेट बना है, किसी ने इसका उपयोग नहीं किया. ये शहर बहुत पुराना है. यहां के बाजार तंग गलियों और सड़कों पर हैं. शहर के बाजारों में कहीं भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है. जिसकी वजह से लोग मजबूरी में इधर-उधर खुले में शौचालय करते हैं.
तीन वर्ष पहले लगाया गया था ई टॉयलेट
खुले में शौच मुक्त के उद्देश्य से गया नगर निगम ने तीन वर्ष पहले प्रमुख चौराहे समाहरणालय मोड़, चांद चौरा, शहमीर तकिया, काशीनाथ मोड़ और मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास लगाया था. लेकिन इन चौराहे पर स्टील के बॉडी से बना ई टॉयलेट अब सिर्फ शोभा बनकर रह गया है. स्थानीय निवासी निरंजन गुप्ता ने कहा कि इस शौचालय के बारे में बताया गया था कि इसमें पांच रुपये का सिक्का डालने से गेट खुल जायेगा. जिसके बाद इसका उपयोग किया जा सकता है. ये पूर्ण रूप से स्वयं संचालित है. लेकिन जब किसी ने इसका उपयोग ही नहीं किया तो ये जनता के पैसे की बर्बादी है.
किसी ने नहीं किया उपयोग
दुकानदार अमरजीत कुमार बताते हैं कि शहमीर तकिया पुलिस अड्डा के पास ई टॉयलेट बनाया गया है. लेकिन इसका उपयोग किसी ने नहीं किया है. इसको गन्दगी दूर करने के लिए लगाया गया था. लेकिन टॉयलेट बन्द होने से यहां गन्दगी का अंबार लगा हुआ है. लोग मजबूरी में टॉयलेट के बाहर शौचालय करते हैं. उन्होंने कहा कि ये टॉयलेट बिजली के ट्रांसफार्मर के नीचे लगाया गया है. जिसकी वजह से इसमें बिजली भी आता है.
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नगर निगम लगाएगा 150 ई टॉयलेट
नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि शहर के प्रमुख चैराहो पर ई टॉयलेट लगाया गया था. लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में वर्तमान में उसका उपयोग नहीं हो रहा है. इसी को देखते हुए सभी नगर निगम शहर के बाजारों में 150 ई टॉयलेट लगाएगा. इसका टेंडर भी कर दिया गया है. मिली जानकारी के अनुसार तीन साल पहले दिल्ली के एक एजेंसी ने ई टॉयलेट बनाया था. इस एजेंसी को किसी तरह की राशि नगर निगम ने नहीं दिया था.
एक टॉयलेट बनाने में 5 से साढ़े 7 लाख तक खर्च हुआ था. इस तरह के 25 टॉयलेट शहर में लगाना था. लेकिन भुगतान नहीं होने की वजह से ई टॉयलेट के निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो सका है.