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गया: DM ने चमकी बुखार को लेकर ANMMCH का किया निरीक्षण, दिए कई महत्वपूर्ण निर्देश

जिलाधिकार अभिषेक सिंह ने एएनएमएमसीएच में चमकी बुखार के लिए बनाए जाने वाले वार्ड का निरीक्षण किया. उन्होंने वार्ड में जहां कमी है वहां मरम्मती कराने के भी निर्देश दिए.

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Published : Apr 22, 2020, 9:27 PM IST

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गया: आगामी मौसम में छोटे बच्चों में होने वाली बीमारी एईएस/जेई को लेकर डीएम अभिषेक सिंह ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल का जायजा लिया गया. इस दौरान उन्होंने बताया कि एएनएमएमसीएच में एईएस/जेई के लिए सारी व्यवस्था की गई है. इस बार सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी सतर्क कर दिया गया है. साथ ही सभी आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया है कि वे घर-घर जाकर सभी बच्चों की जांच भी करें.

रखी गई सारी मशीनें
वहीं, अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि सीएसएफ जांच (बच्चों की रीढ़ के पानी की जांच) और अन्य सभी जांच की मशीनें यहां संस्थापित किए जा चुके हैं. साथ ही एईएस/जेई (चमकी बुखार) बीमारी के लिए यहां 60 बेड रखा गया है, जिनमें 16 आईसीयू बेड शामिल हैं.

DM ने दिए कई निर्दोश
निरीक्षण जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने आईसीयू वाले बेड की संख्या और अधिक बढ़ाकर बैकअप में रखने के निर्देश दिए, ताकि मरीज की संख्या बढ़ने पर आईसीयू बेड की कमी न हो पाए. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन का सेंट्रल लाइन उपलब्ध है, साथ ही ऑक्सीजन गैस की रिफिलिंग की भी व्यवस्था सुचारू रखें. जिलाधिकारी ने रोस्टर के अनुसार एएनएमएमसीएच के एक स्टाफ को एईएस/जेई वार्ड में प्रतिनियुक्त रखने को कहा, जहां वे वेंटीलेटर में प्रयोग किए जाने वाले ऑक्सीजन के प्रेशर की जांच करते रहे और ऑक्सीजन का प्रेशर जैसे ही कम होने की स्थिति में रहे तुरंत उसकी रिफिलिंग करें, ताकि वेंटीलेटर में ऑक्सीजन का प्रवाह लगातार होता रहे.

इस बीमारी के लिए सतर्कता अनिवार्य
इस दौरान जिलाधिकारी ने उपस्थित सभी डॉक्टरों को कहा कि चमकी बुखार पूर्ण रूप से बच्चों वाला रोग है, इसलिए इसमें सतर्कता अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष बेलागंज, इमामगंज एवं वजीरगंज वाले क्षेत्र से ज्यादा मामले आए थे. उन्होंने इस वर्ष सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपने-अपने क्षेत्र में अभी से ही प्रचार-प्रसार कराने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपने-अपने अस्पताल में चमकी बुखार वाले मरीजों के लिए बेड सुरक्षित रखें. साथ ही वहां के डॉक्टर एवं नर्स को प्रशिक्षण दें.

घर-घर जाकर जांच के आदेश
गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी पटना के अस्पताल में प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के एक एमबीबीएस डॉक्टर, एक आयुष डॉक्टर और 2-2 नर्स को ट्रेनिंग दिया गया था. डीएम ने कहा कि सभी प्रखंड के आशा को दायित्व दें कि वह घर-घर जाकर के जांच करें और पता करें कि किसी बच्चे को इस तरह का बुखार है या नहीं. अगर किसी बच्चे में इस तरह का लक्षण मिलता है तो उसे तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराएं. सभी आशा अपने साथ ओआरएस का पैकेट एवं पारासिटामोल टेबलेट रखें और चमकी बुखार के लक्षण वाले बच्चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें. निरीक्षण के दौरान जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, प्राचार्य मगध मेडिकल अस्पताल, सिविल सर्जन गया, चमकी बुखार के स्पेशलिस्ट डॉक्टर, डब्ल्यूएचओ के डॉक्टर, डीपीएम सहित अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.

गया: आगामी मौसम में छोटे बच्चों में होने वाली बीमारी एईएस/जेई को लेकर डीएम अभिषेक सिंह ने अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल का जायजा लिया गया. इस दौरान उन्होंने बताया कि एएनएमएमसीएच में एईएस/जेई के लिए सारी व्यवस्था की गई है. इस बार सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी सतर्क कर दिया गया है. साथ ही सभी आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया गया है कि वे घर-घर जाकर सभी बच्चों की जांच भी करें.

रखी गई सारी मशीनें
वहीं, अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि सीएसएफ जांच (बच्चों की रीढ़ के पानी की जांच) और अन्य सभी जांच की मशीनें यहां संस्थापित किए जा चुके हैं. साथ ही एईएस/जेई (चमकी बुखार) बीमारी के लिए यहां 60 बेड रखा गया है, जिनमें 16 आईसीयू बेड शामिल हैं.

DM ने दिए कई निर्दोश
निरीक्षण जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने आईसीयू वाले बेड की संख्या और अधिक बढ़ाकर बैकअप में रखने के निर्देश दिए, ताकि मरीज की संख्या बढ़ने पर आईसीयू बेड की कमी न हो पाए. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन का सेंट्रल लाइन उपलब्ध है, साथ ही ऑक्सीजन गैस की रिफिलिंग की भी व्यवस्था सुचारू रखें. जिलाधिकारी ने रोस्टर के अनुसार एएनएमएमसीएच के एक स्टाफ को एईएस/जेई वार्ड में प्रतिनियुक्त रखने को कहा, जहां वे वेंटीलेटर में प्रयोग किए जाने वाले ऑक्सीजन के प्रेशर की जांच करते रहे और ऑक्सीजन का प्रेशर जैसे ही कम होने की स्थिति में रहे तुरंत उसकी रिफिलिंग करें, ताकि वेंटीलेटर में ऑक्सीजन का प्रवाह लगातार होता रहे.

इस बीमारी के लिए सतर्कता अनिवार्य
इस दौरान जिलाधिकारी ने उपस्थित सभी डॉक्टरों को कहा कि चमकी बुखार पूर्ण रूप से बच्चों वाला रोग है, इसलिए इसमें सतर्कता अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष बेलागंज, इमामगंज एवं वजीरगंज वाले क्षेत्र से ज्यादा मामले आए थे. उन्होंने इस वर्ष सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपने-अपने क्षेत्र में अभी से ही प्रचार-प्रसार कराने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपने-अपने अस्पताल में चमकी बुखार वाले मरीजों के लिए बेड सुरक्षित रखें. साथ ही वहां के डॉक्टर एवं नर्स को प्रशिक्षण दें.

घर-घर जाकर जांच के आदेश
गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी पटना के अस्पताल में प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के एक एमबीबीएस डॉक्टर, एक आयुष डॉक्टर और 2-2 नर्स को ट्रेनिंग दिया गया था. डीएम ने कहा कि सभी प्रखंड के आशा को दायित्व दें कि वह घर-घर जाकर के जांच करें और पता करें कि किसी बच्चे को इस तरह का बुखार है या नहीं. अगर किसी बच्चे में इस तरह का लक्षण मिलता है तो उसे तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराएं. सभी आशा अपने साथ ओआरएस का पैकेट एवं पारासिटामोल टेबलेट रखें और चमकी बुखार के लक्षण वाले बच्चों को लगातार ओआरएस का घोल पिलाते रहें. निरीक्षण के दौरान जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, प्राचार्य मगध मेडिकल अस्पताल, सिविल सर्जन गया, चमकी बुखार के स्पेशलिस्ट डॉक्टर, डब्ल्यूएचओ के डॉक्टर, डीपीएम सहित अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.

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