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गया: 40 सालों तक दुश्वारियों से लड़ने के बाद जिंदगी की जंग हार गए जुड़वा भाई - जुड़वा भाई

पिछले चार महीने से दोनों भाई बीमार थे, पैर से लाचार हो गए थे. पटना, गया और रांची में डॉक्टरों को दिखाया. लेकिन, बीमारी ठीक नहीं होने पर घर ले आए.

राम-श्याम (फाइल फोटो)
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Published : May 29, 2019, 11:45 PM IST

गया: विभिन्न राज्यों के मेलों और सर्कस आयोजनों के आकर्षण का केंद्र रहे गया के दिव्यांग जुड़वा भाईयों ने आखिरकार बुधवार को दम तोड़ दिया. यह दोनों भाई बीते 40 वर्षों से कमर के हिस्से से एक-दूसरे से जुड़कर जीवन यापन कर रहे थे. जुड़वा राम-श्याम ने अहले सुबह मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दम तोड़ दिया.

दोनों भाई लगातार प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे थे. लेकिन, कोई लाभ नहीं मिला. आलम इतना बदतर है कि मरने के बाद इन्हें एम्बुलेंस तक नसीब नहीं हुआ. परिजन इनके शव को ठेले पर लाद कर घर लाए.

gaya
राम-श्याम के घर उमड़ी भीड़

सरकार और प्रशासन से नाराज है मां
राम-श्याम ने एक साथ जीवन के 40 साल गुजार दिये. मेला और सर्कस में जाकर अपने शरीर को प्रदर्शित कर जीवनयापन के लिये कुछ पैसे कमा लेते थे. लेकिन, पिछले छः महीने से बीमार होने के कारण वह बेड पर ही पड़े थे. दोनों का दिव्यांग प्रमाण पत्र भी नहीं बना था. वह लगातार सरकार और समाजसेवियों से मदद मांग कर रहे थे. राम और श्याम की मां लड़खड़ाती जुबान में कहती हैं कि दोनों बेटों को स्वस्थ्य करना था लेकिन वह मर गए. इसके जन्म पर इतना अफसोस नहीं हुआ था, जितना आज हो रहा है. सरकार थोड़ी मदद कर देती तो मेरा बेटे नहीं मरते.

ग्रामीणों का बयान

लंबे समय से बीमार थे दोनों
आसपास के लोगों ने बताया कि पिछले चार महीने से ये बीमार थे. पैर से लाचार हो गए थे. पटना, गया और रांची में डॉक्टरों को दिखाया. लेकिन, बीमारी ठीक नहीं होने पर घर ले आए. घर पर पिछले रविवार से बड़ा भाई राम बेहोश हो गया. बीती रात छोटा भाई श्याम की हालत भी खराब होने लगी. तब उन्हें मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करवाया गया. सुबह राम ने दम तोड़ा और उसके बाद श्याम ने. उनकी मौत से ग्रामीण काफी दुखी हैं.

गया: विभिन्न राज्यों के मेलों और सर्कस आयोजनों के आकर्षण का केंद्र रहे गया के दिव्यांग जुड़वा भाईयों ने आखिरकार बुधवार को दम तोड़ दिया. यह दोनों भाई बीते 40 वर्षों से कमर के हिस्से से एक-दूसरे से जुड़कर जीवन यापन कर रहे थे. जुड़वा राम-श्याम ने अहले सुबह मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दम तोड़ दिया.

दोनों भाई लगातार प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे थे. लेकिन, कोई लाभ नहीं मिला. आलम इतना बदतर है कि मरने के बाद इन्हें एम्बुलेंस तक नसीब नहीं हुआ. परिजन इनके शव को ठेले पर लाद कर घर लाए.

gaya
राम-श्याम के घर उमड़ी भीड़

सरकार और प्रशासन से नाराज है मां
राम-श्याम ने एक साथ जीवन के 40 साल गुजार दिये. मेला और सर्कस में जाकर अपने शरीर को प्रदर्शित कर जीवनयापन के लिये कुछ पैसे कमा लेते थे. लेकिन, पिछले छः महीने से बीमार होने के कारण वह बेड पर ही पड़े थे. दोनों का दिव्यांग प्रमाण पत्र भी नहीं बना था. वह लगातार सरकार और समाजसेवियों से मदद मांग कर रहे थे. राम और श्याम की मां लड़खड़ाती जुबान में कहती हैं कि दोनों बेटों को स्वस्थ्य करना था लेकिन वह मर गए. इसके जन्म पर इतना अफसोस नहीं हुआ था, जितना आज हो रहा है. सरकार थोड़ी मदद कर देती तो मेरा बेटे नहीं मरते.

ग्रामीणों का बयान

लंबे समय से बीमार थे दोनों
आसपास के लोगों ने बताया कि पिछले चार महीने से ये बीमार थे. पैर से लाचार हो गए थे. पटना, गया और रांची में डॉक्टरों को दिखाया. लेकिन, बीमारी ठीक नहीं होने पर घर ले आए. घर पर पिछले रविवार से बड़ा भाई राम बेहोश हो गया. बीती रात छोटा भाई श्याम की हालत भी खराब होने लगी. तब उन्हें मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करवाया गया. सुबह राम ने दम तोड़ा और उसके बाद श्याम ने. उनकी मौत से ग्रामीण काफी दुखी हैं.

Intro:भारत के विभिन्न राज्यो के मेलो और सर्कस का आकर्षण केंद्र कमर जुड़े जुड़वा भाई राम और श्याम होते थे। 40 वर्षीय कमर से जुड़े जुड़वा राम-श्याम अहले सुबह मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दम तोड़ दिया। शासन और प्रशासन ने इन दोनों भाइयों को मदद तक नही किया, सिस्टम की इतनी लचर व्यवस्था मौत होने के बाद शव ठेला पर लादकर परिजन लेगे।


Body:राम- श्याम का जन्म जब 40 वर्ष पूर्व हुआ था उनकी माँ रोती रहती थी,भगवान ने मेरे साथ कैसा इंसाफ किया है। लेकिन राम और श्याम भगवान के अभिशाप को वरदान मानकर मेलो और सर्कस में मनोरंजन कर अपना और अपनी माँ का जीवन यापन करते थे। राम और श्याम की माँ आज भी रो रही हैं बूढ़ी आंख से आंसू रुक नही रहे हैं। जुबान लड़खड़ाते हुए बस कह रही है मेरा दोनो बेटा को स्वस्थ्य करना था लेकिन ये तो मर गया। इसके जन्म पर इतना अफसोस नही हुआ था, जितना आज हो रहा है। सरकार थोड़ी मदद कर देता तो मेरा बेटा मरता नही।

कमर से सटे जुड़वा भाई राम और श्याम की सांसे आखिरकार मदद के अभाव में टूटी गई ।कई मायनों में अजूबे इन जुड़वा भाइयों की कहानी अनेक है ,गया शहर के वार्ड नं 29 के विनोबा नगर मोहल्ले में जन्म लिए राम और श्याम ने किसी तरह अपनी जिंदगी के 40 साल गुजारे और इन दोनों की मंशा थी कि वो जिंदगी की लंबी पारी खेली जो एक रिकॉर्ड बन कर कायम हो जाए। इसके लिए जुड़वा भाइयों को प्रशासन से मदद की आस थी कई जगह पर गुहार लगाई पर कुछ नहीं मिल सका है। पिछले तीन-चार महीनों से राम और श्याम बीमार चल रहे थे उनकी बीमारी के संबंध में मीडिया में खबरें आए फिर भी प्रशासन की संवेदना नहीं जगी। दोनो भाइयो को विकलांग प्रमाण पत्र से भी वंचित रखा गया था। चार माह से बीमार चल रहे राम-श्याम का पिछले दो-तीन दिनों से इस कदर बढ़ गईं, राम 3 दिनों से बेहोश था जबकि दूसरा श्याम स्वस्थ था, लेकिन 3 दिनों से बेहोश राम ने तड़के सुबह दम तोड़ दिया जबकि श्याम राम के मरने के बाद कुछ देर के बाद वो भी मर गया। उनकी मौत होने के बाद उनके परिवार और मोहल्ले के लोगों में काफी आक्रोश है।

मृतक राम और श्याम के बड़ा और छोटा भाइयो ने बताया पिछले चार महीना से बीमार थे, पैर से लाचार हो गए थे। पटना ,गया और रांची सब जगह दिखाए। बीमारी ठीक नही होने पर घर ले आएं ,घर पर पिछले रविवार से बड़ा भाई राम बिहोश होगया बीती रात छोटा भाई श्याम की हालत खराब होने लगा , मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करवाया गया। सुबह राम ने दम तोड़ा उसके बाद श्याम ने दम तोड़ा। पूरा परिवार हर मदद के लिए हर दरवाजा को खटखटाया पर किसी ने आज तक नही मदद नही किया। गरीब को कौन मदद करता है। अमीर रहते तो सभी लोग मदद करते। मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने एम्बुलेंस तक नही दिया, ठेला पर लादकर शव घर लाये हैं। मरने के बाद भी इनको दो गज जमीन नही मिल रहा है। परंपरा के अनुसार कुँवारा व्यक्ति के मौत और दफनाया जाता है। जिस जगह दफनाया जाता है वहा दबंगो ने कब्जा करके रखा है।

वार्ड नंबर 29 के पार्षद राकेश कुमार ने बताया दोनो भाइयो के अंतिम संस्कार के लिए 6 हजार रुपया दिया गया है। राम- श्याम मेरे विद्यालय मेरा जूनियर थे। स्वभाव के सरल थे सरकार ने कोई मदद नही किया कभी इनको। मेला में जाकर जीवनयापन करते थे। आज इनको दफनाने के लिए जमीन भी नही मिल रहा है।



Conclusion:ईटीवी भारत पर दोनो भाइयो ने सरकार और जिला प्रशासन से गुहार लगाए थे मुझे बस स्वस्थ कर दीजिए। मैं अपना जीवनयापन खुद कर लूंगा। वो किसी दूसरे पर सहारा नही बना चाहते थे। दोनो भाइयो को कहना था हमलोग लंबी जिंदगी जीकर रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं। हम दिखाना चाहते हैं ऐसा भी व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होकर जीवन व्यतीत कर रहा है। दोनो भाई नरेंद्र मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते थे उनके पसन्द में क्रिकेट जगत से धोनी का नाम था। दोनो भाई मोदी और धोनी का फैन थे।

नोट- इनदोनो जुड़वा भाइयों का खबर जीवित रहते हुए लगी थी।
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