गया: मोक्ष की नगरी गया में पितृपक्ष त्रयोदशी महासंगम मेले में आए श्रद्धालुओं ने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए दीप जलाया. साथ ही फल्गु नदी के पश्चिमी तट पर स्थित देवघाट सूर्य मंदिर के पास अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति और शांति की कामना की.
श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्होंने अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति और शांति के लिए दीप जलाया. ऐसा माना जाता है कि पिंडदान कर्मकांड के बाद दीप जलाने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है.
दीप जलाकर करते हैं श्रद्धा अर्पित
पुरोहित संदीप शास्त्री ने बताया कि पितृपक्ष में पिंडदान के लिए आए तीर्थयात्रियों ने पितृ दीपावली मनाई. श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुसार 1000, 500,108 दीप जलाकर अपने पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि पितृपक्ष त्रयोदशी के दिन पितरों के अंधकार से निवारण करने के लिए और यमलोक द्वार से अंधकार हटाने के लिए दीप जलाया जाता है. दीप जलाने से पूर्वजों की आत्मा प्रकाशमय होकर सीधे स्वर्गलोक में जाती है. जिससे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
ऐसे करें कर्मकांड
सुबह नित्यकर्म कर फल्गु नदी में स्नान कर नदी में दूध से तर्पण करना चाहिए. तर्पण के बाद विष्णुपद मंदिर स्थित गदाधर भगवान को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए. उसके विष्णुपद की पूजा कर. फिर शाम में दीप दान करना चाहिए.
पितरों को किया याद
पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किये जाने वाले श्राद्ध को पितृ पक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है. इस साल 14 से 28 सितंबर तक श्राद्धपक्ष मनाया जा रहा है. बताया जाता है कि जिन घरों में पितरों को याद किया जाता है. वहां हमेशा खुशहाली रहती है. इसलिए पितृ पक्ष में पृथ्वी लोक में आए हुए पितरों का तर्पण किया जाता है. पितृ पक्ष के अवसर पर लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण कर रहे हैं.