गया: जिले के मानपुर प्रखंड का पटवाटोली बुनकर व्यवसाय के लिए जाना जाता है. बुनकरों के इस व्यवसाय को बिहार का मैनचेस्टर उद्योग भी कहा जाता है. पटवा समाज की एक बड़ी आबादी इस व्यवसाय से जुड़ी है. बुनकरों के बनाए गए सूती वस्त्र देश के विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर सप्लाई किए जाते हैं, लेकिन इस व्यवसाय को लघु उद्योग का दर्जा न मिलने से पटवा समाज के लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी है.
व्यवसाय से जुड़े हैं हजारों लोग
बिहार प्रदेश बुनकर कल्याण संघ के अध्यक्ष गोपाल प्रसाद पटवा बताते हैं कि आजादी के पहले से पटवा समाज के लोग बुनकर व्यवसाय से जुड़े हैं. यह उनका पुश्तैनी व्यवसाय है और लगभग 40 हजार से भी ज्यादा पटवा समाज के लोगों की जीविका इस व्यवसाय से चलती है. उनका पूरा परिवार बुनकर व्यवसाय पर ही निर्भर है. जिससे सभी परिवारों का भरण-पोषण होता है. उन्होंने कहा कि कई बार हम राज्य और केंद्र सरकार से बुनकर व्यवसाय को लघु उद्योग का दर्जा देने की मांग कर चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई.
बुनकर कल्याण संघ की मांग
बुनकर कल्याण संघ की मांग है कि सरकार इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र घोषित करे. साथ ही व्यवसाय करने के लिए अलग से जगह और सुरक्षा मुहैया कराई जाए ताकि बुनकर व्यवसाय से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके. उन्होंने कहा कि पटवाटोली में मुख्य रूप से सूती के बने चादर, बेडशीट और गमछा बनाए जाते हैं, जो देश के झारखंड, बंगाल, असम, मेघालय सहित अन्य कई राज्यों में बड़े पैमाने पर निर्यात किए जाते हैं. बड़े व्यापारी भी उनकी ओर से निर्मित कपड़े को लेकर जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को अभी तक सरकार की ओर से सिर्फ बिजली पर ही सब्सिडी को मिलती है. वहीं, अगर सरकार लघु उद्योग का दर्जा देती है, तो हमारा व्यवसाय और भी बड़े पैमाने पर विकसित हो सकता है.
'हर संभव मदद का करेंगे प्रयास'
वहीं, भाजपा विधायक वीरेंद्र सिंह का कहना है कि पटवा समाज के लोगों की ओर से पहले भी कई बार लघु उद्योग का दर्जा देने की मांग की जा रही है. बिहार में एनडीए की सरकार है और केंद्र में भी भाजपा की सरकार है. ऐसे में हमारा प्रयास होगा कि केंद्रीय कपड़ा एवं उद्योग मंत्री से मिलकर बुनकर व्यवसाय को लघु उद्योग का दर्जा दिलाएं. उन्होंने कहा कि बुनकरों के लिए हम हर संभव मदद का प्रयास करेंगे.