गयाः बिहार के बोधगया स्थित वटपा बौद्ध मठ में मंगलवार को एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इसका शुभारंभ बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने (Buddhist Guru Dalai Lama) किया. इसमें विश्व शांति की भावना को बढ़ावा देने पर चर्चा होगी. साथ ही इस दो दिवसीय पंचवर्षीय कार्यक्रम में पाली व संस्कृत परंपरा से जुड़े बौद्ध भिक्षु व लामा के बीच समन्वय लाने के लिए कार्यक्रम होंगे.
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पाली और संस्कृत परंपरा में समन्वय की कोशिशः वटपा में पाली व संस्कृत परंपरा से जुड़े बौद्ध भिक्षुओं व लामाओं के बीच आपसी समन्वय स्थापित करने को लेकर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. पाली व संस्कृत इंटरनेशनल भिक्षु एक्सचेंज प्रोग्राम के नाम से आयोजित कार्यक्रम पंचवर्षीय योजना के तहत है. बताया गया कि बौद्ध धर्म भारत से उदय होकर थाईलैंड व अन्य पड़ोसी देशों के साथ श्रीलंका पहुंचा. यह पाली भाषा के माध्यम से उक्त देशों तक पहुंचा, जबकि संस्कृत भाषा के माध्यम से तिब्बत व आसपास के अन्य देशों में बौद्ध धर्म पहुंचा.
दोनों परंपरा के मतभेद खत्म करने का प्रयासः कार्यक्रम में बताया गया कि आज स्थिति यह हो गई है कि एक ही धर्म को दो परंपरा व नजरिया से देखा जाने लगा है. पाली व संस्कृत परंपरा से जुड़े बुद्धिस्टों में कुछ मामले में मतभेद है. इसे समाप्त करते हुए एक मंच पर लाने का प्रयास किया जा रहा है. धर्मगुरु दलाईलामा की सोच है कि दोनों परंपरा से जुड़े भिक्षु व लामाओं में आपसी समन्वय स्थापित कर विश्व बिरादरी को शांति की राह पर ले जाने में बुद्ध के अनुयायी काम करें.
सैकड़ों भिक्षु और लामा सेमिनार में पहुंचेः इस कार्यक्रम में तिब्बत और भारत के कई सारे भिक्षु और लामा के साथ अन्य श्रद्धालु शामिल हुए. दो दिवसीय इस सेमिनार में तिब्बत व भारत के 150 भिक्षु और लामा के साथ 200 श्रद्धालुओं ने भाग लिया. बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने अपने भाषण में विश्वशांति के लिए प्रार्थना की. वहीं सभी को एक साथ मिलकर रहने की बात कही. उन्होंने दोनों ही परंपरा के अनुयायियों को एक होने की बात कही.